Thursday, August 27, 2020

बस आपके लिए

 बस आपकेलिए

इस तरह हम वफ़ाएं निभा जाएंगें,
तुम कभी भी बुलाओ चले आएंगें।
ज़िन्दगी में तुम्हारी ख़ुशी के लिए ,
जो भी करना पड़े कर गुज़र जाएंगें।।

तेरी  चाहत में  हद  से गुजर  जाएंगें ,
देखना तुम कभी हम भी याद आएंगें।
आईने में कभी खुद को देखोगी जब,
तेरी  सूरत  में भी  हम  नज़र आएंगें।।

छोड़कर तेरे दर को किधर जाएंगें,
तुम जो ऐसे करोगे तो मर  जाएंगें।
मेरा तुझपर है  साथी भरोसा बहुत,
देख लो तुम पलट कर सँवर जाएंगें।।

देखो अरमां संजोकरके हम लाएं हैं,
तेरी यादों  को  रोकरके हम गायें हैं।
यूं न  रूठो चलो  मान जाओ प्रिय ,
हम  तुम्हीं को  मनाने चले आयें हैं।।

तेरी चाहत के बादल सनम छायें हैं,
मेरी आँखों से आंसू निकल आयें हैं।
तुम जो चाहो मैं कर दूँ समर्पित तुम्हें,
गीत  जितने  तुम्हारे  लिए  गायें  हैं।।

होंठ ख़ामोश मन से नजऱ कह गई,
नदी कुछ तो ठहरती लहर  बह गई ।
जीत  कि हार हो, सब गंवारा किया,
जान कब  की गई ज़िन्दगी रह गई ।।

देखो जोरों से चलती हवा कुछ कहे,
किससे मिलने को इतनी आतुर बहे।
आसमां में ये उड़ते जो बादल चलें ,
तुम सुनों, तुमसे  मेरी  कहानी कहें।।
 

खुशयों का खज़ाना हो,होठों पे तराना हो।
साथी तू जहां जाए, क़दमों में जमाना हो।।

सब रिश्ते सुन्दर हों, कभी दूर न अपने हों।
जो तुमने  कभी देखे, पूरे  हर  सपनें  हों ।।

हर शाम सुहानी हो, परियों की कहानी हो।
गम  दूर  रहें तुमसे, हँसती जिन्दगानी हो।।

बहकी  पुरवाई हो, ख़ुशबू  संग लाई हो ।
तू कदम जहां रख दे,महकी अंगनाई हो।।

चमके से सितारे हो, हर आँख के तारे हो।
दुनिया भी  मानेगी, तुम  जग से न्यारे हो।।

हर रात दिवाली हो, पूजा की थाली हो ।
होंठों से कही तेरी, हर बात निराली हो ।।

फूलों में बसेरा हो,कलियों का घनेरा हो।
सूरज की किरन के संग, दूर अँधेरा हो।।

पल पल में मस्ती हो,तेरी पलकें हँसतीं हो।
हर खुशियां बसें जाकर,जहां तेरी बस्ती हो।।

रंगीन  नज़ारा  हो, उल्फत  का सहारा हो।
चाहत के  बगीचे में, हर फूल  तुम्हारा हो।।

गुलज़ार गुलिस्तां हो,तेरे मन में सरसता हो।
अमृत से भरा बादल,छा करके बरसता हो।।

सुन्दर  से  नज़ारे हों, मौसम  में बहारें हों ।
मैं  गाऊं  जितने भी, हर गीत  तुम्हारे 

तुम मुझसे पूछते हो मोहब्बत में कोई नाम दिया था उसने
हां मुझको याद है मुझे इक बार सेल्फ़िश कहा था उसने
मोहब्बत के रस्मोरिवाज को शायद मैं जानता नहीं था मगर
मैं बीमार था सुमित घर जाकर आराम करो, कहा था उसने

कभी तुम मिलो मुझसे टॉम रैमजे की कहानी सुनाऊंगा तुम्हे,
दाँत से कूची कलम काटकर फेका कलावा दिखाऊंगा तुम्हें
तुम तुम मेरी ज़िन्दगी में तो नहीं मगर मेरी जिंदगी तुम ही हो
ज़िन्दगी ज़िन्दगी तुझसे वादा है ज़िन्दगी भर निभाऊंगा तुम्हें

झुकती पलकों के सवालों का जवाब कैसे दूं
ज़िगर से रूह में उतरी मोहब्बत का हिसाब कैसे दूं
बेला चमेली गुलाब इन तमाम फूलों की रंगत है वो
उसे तोहफे में 'सुमित' अब अकेला गुलाब कैसे दूं

दिल की धड़कन आंखों का नूर हुआ करते थे
उसका गुरूर मोहब्बत का सरूर हुआ करते थे
वो मुझे गुस्से में पत्थर कह गया होगा सुमित
उसके लिए तो हम कोहिनूर हुआ करते थे

थोड़ा साहस, इतना कह दो
तुम प्रेम-लोक की रानी हो
जीवन के मौन रहस्यों की
तुम सुलझी हुई कहानी हो।

तुममें लय होने को उत्सुक
अभिलाषा उर में ठहरी है
बोलो ना, मेरे गायन की
तुममें ही तो स्वर-लहरी है।

होंठों पर हो मुस्कान तनिक
नयनों में कुछ-कुछ पानी हो
फिर धीरे से इतना कह दो
तुम मेरी ही दीवानी हो।

इधर को आया उधर गया वो
कहां को जाना किधर गया वो
कभी मोहब्बत कभी शायरी
मुझे लगा कि सुधर गया वो
उधर तुम्हे कुछ ख़बर नहीं है
इधर तुम्हीं पर मर गया वो
सही में हमदर्द अगर हो मेरे
उधर चलो तुम जिधर गया वो
तुम्हारी चाहत में टूटकर तो
बिखरना था पर निखर गया वो

कैसी भी कठिन परीक्षा हो निज साहस को मत खोना तुम
नरवसता के हीन विचारों से किंचित भयभीत न होना तुम
पथ कठिन जरा है तो क्या?तुम लक्ष्य भेदने निकले हो
संकल्प की मिट्टी में हर क्षण विश्वास के दाने बोना तुम

कई वादे कई कसमें कई रस्मों को तोड़ा है
नई मंजिल की चाहत में कई राहों को मोड़ा है
उठो थोड़ा सज़ग होकर तुम्हे आगे को जाना है
इसी खातिर सुमित तुमने भरा परिवार छोड़ा है

तेरा वो रूप प्यारा सा भुलाऊं तो भला कैसे
तेरे कुछ गीत हैं तुझको सुनाऊं तो भला कैसे
सुमित यादें जगाती हैं तेरी अब रातभर मुझको
तुझे सपनों की दुनियां में बुलाऊं तो भला कैसे

तेरी यादों के सहारे एक ज़माने से जिन्दा हूं
आज भी बस तेरी मोहब्बत का नुमाइंदा हूं
लगता है तुम्हें मेरी जरूरत सी हुई है सुमित
मगर मैं दूर हूं तुमसे इस बात से शर्मिन्दा हूं

अभी तुमसे हमे बस ये बात कहना है
अहसास में हर पल तुम्हारे पास रहना है
चलो वक़्त तुम्हारा इम्तहान लेने वाला है
हमें दुआ रब से सांस दर सांस करना है।

और अंत में
चली गयी हो रुठ के जबसे दिल कितना एकाकी है
जान तो कबकी चली गई है सांस का जाना बाकी है