Wednesday, June 27, 2018

देख लो तुम पलट कर, सँवर जाएँगें।


                                  SUMIT PATEL


इस तरह हम वफ़ाएं निभा जाएंगें,
तुम कभी भी बुलाओ चले आएंगें।
ज़िन्दगी में तुम्हारी ख़ुशी के लिए ,
जो भी करना पड़े कर गुज़र जाएंगें।।

तेरी  चाहत में  हद  से गुजर  जाएंगें ,
देखना तुम कभी हम भी याद आएंगें।
आईने में कभी खुद को देखोगी जब,
तेरी  सूरत  में भी  हम  नज़र आएंगें।।

छोड़कर तेरे दर को किधर जाएंगें,
तुम जो ऐसे करोगे तो मर  जाएंगें।
मेरा तुझपर है  साथी भरोसा बहुत,
देख लो तुम पलट कर सँवर जाएंगें।।

देखो अरमां संजोकरके हम लाएं हैं,
तेरी यादों  को  रोकरके हम गायें हैं।
यूं न  रूठो चलो  मान जाओ प्रिय ,
हम  तुम्हीं को  मनाने चले आयें हैं।।

तेरी चाहत के बादल सनम छायें हैं,
मेरी आँखों से आंसू निकल आयें हैं।
तुम जो चाहो मैं कर दूँ समर्पित तुम्हें,
गीत  जितने  तुम्हारे  लिए  गायें  हैं।।

होंठ ख़ामोश मन से नजऱ कह गई,
नदी कुछ तो ठहरती लहर  बह गई ।
जीत  कि हार हो, सब गंवारा किया,
जान कब  की गई ज़िन्दगी रह गई ।।

देखो जोरों से चलती हवा कुछ कहे,
किससे मिलने को इतनी आतुर बहे।
आसमां में ये उड़ते जो बादल चलें ,
तुम सुनों, तुमसे  मेरी  कहानी कहें।।

बोल उठा अम्बर से तारा।


                                  SUMIT PATEL

बोल उठा अम्बर से तारा,
फैला है जग में अँधियारा,
मैंने रोकर तुम्हे, पुकारा
रात बहुत लम्बी है यारा।।

प्रथम  पहर है सो  न जाऊं ,
विषम तिमिर में खो न जाऊं।
जब नयनों में, नींद न आए,
कैसे हम अब ख़्वाब सजाएं।
आकर दूर करो तुम कारा ।। रात  बहुत  लम्बी है  यारा ।
बोल उठा........

दीप शिखा बन आ जाओ तुम,
स्वर्ण गगन में  छा जाओ तुम,
जीवन को अनुपम कर जाओ ,
इस दिल का दर्पण बन जाओ।
बस एक तुम्ही उम्मीद, सहारा।। रात बहुत  लम्बी है यारा।
बोल उठा........

साथी तुम, उम्मीद हो मेरे ,
फिर क्यों देरी दीद में तेरे,
तुम बिन धीर धरा न जाये,
कैसे मन को हम समझाएं।
मैंने तो बस तुम्हें पुकारा ।। रात  बहुत  लम्बी  है  यारा।
बोल उठा........

Tuesday, June 26, 2018

मैं गाऊं जितने भी,हर गीत तुम्हारे हो ।

                           
                                   SUMIT PATEL
                       Kavita ki ek chhoti kalam

खुशयों का खज़ाना हो,होठों पे तराना हो।
साथी तू जहां जाए, क़दमों में जमाना हो।।

सब रिश्ते सुन्दर हों, कभी दूर न अपने हों।
जो तुमने  कभी देखे, पूरे  हर  सपनें  हों ।।

हर शाम सुहानी हो, परियों की कहानी हो।
गम  दूर  रहें तुमसे, हँसती जिन्दगानी हो।।

बहकी  पुरवाई हो, ख़ुशबू  संग लाई हो ।
तू कदम जहां रख दे,महकी अंगनाई हो।।

चमके से सितारे हो, हर आँख के तारे हो।
दुनिया भी  मानेगी, तुम  जग से न्यारे हो।।

हर रात दिवाली हो, पूजा की थाली हो ।
होंठों से कही तेरी, हर बात निराली हो ।।

फूलों में बसेरा हो,कलियों का घनेरा हो।
सूरज की किरन के संग, दूर अँधेरा हो।।

पल पल में मस्ती हो,तेरी पलकें हँसतीं हो।
हर खुशियां बसें जाकर,जहां तेरी बस्ती हो।।

रंगीन  नज़ारा  हो, उल्फत  का सहारा हो।
चाहत के  बगीचे में, हर फूल  तुम्हारा हो।।

गुलज़ार गुलिस्तां हो,तेरे मन में सरसता हो।
अमृत से भरा बादल,छा करके बरसता हो।।

सुन्दर  से  नज़ारे हों, मौसम  में बहारें हों ।
मैं  गाऊं  जितने भी, हर गीत  तुम्हारे हों ।।

Friday, June 22, 2018

माफ़ी ही नहीं है।।


                                SUMIT PATEL

बहुत मनाने पर भी नहीं मान सके तुम,सुमित
लगता है मेरी गलती की कोई माफ़ी ही नहीं है।। 

Thursday, June 21, 2018

आओ साथी आदत डालें मिलकर हम सब योग की।।


                               -     SUMIT PATEL

      आज 21 जून है , भारत ही नहीं पूरी दुनिया आज विश्व योग दिवस को बड़े उत्साह से मना रही है। क्योंकि पूरा विश्व योग की अनिवार्यता को पूर्ण रूप से न केवल स्वीकार कर चुका है,बल्कि उसे आत्मसात भी कर रहा है। इसलिए भारत को इसे अति आत्मीयता से ग्रहण करने की आवश्यकता है, केवल इसलिए नहीं की योग दुनिया को भारत ने दिया है। वरन
इसलिए की पूरी मानव सभ्यता के भविष्य  को सुरक्षित करने के लिए योग के क्षेत्र में और अधिक वैज्ञानिक प्रयोग किए जाएं। योग ही केवल एक मात्र ऐसी क्रिया है जिससे शरीर, मष्तिक और मन सभी को स्वस्थ रखा जा सकता है।
इसी सन्दर्भ में मैं एक कविता आपके समक्ष प्रस्तुत करता हूँ, यदि कविता सही लगती है तो आप अपने दैनिक जीवन में योग को शामिल कर लीजिए। जिससे आपके तन,मन,और मष्तिष्क की शक्ति और भी प्रखर हो सके।
इसी निवेदन के साथ अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की आपको हार्दिक बधाई। कविता प्रस्तुत है।।

योग है  केवल एक  दवाई  दुनियां  में हर रोग  की ।
आओ साथी आदत डालें मिलकर हम सब योग की।।

ऊर्जा का संचार है अद्भुद जन के तन मन प्राण में,
ध्यान योग से इसे जगाकर सत्कर्म करें संसार में ।
मानवता का पोषण करना एक मात्र अभियान है,
स्वास्थ्य शास्त्र का पाठ पढ़ाये योग एक विज्ञान है।

नफ़रत का  हर भेद मिटायें बात  करें सहयोग की ।
आओ साथी आदत डालें मिलकर हम सब योग की।।

अभी नहीं तो कभी नही,यह जीवन की परिभाषा है,
जब जागो है तभी सबेरा, नित नई नवेली आशा है ।
घोर निराशा, आलस,चिंता,कुंठा,अवसाद मिटाना है,
योग करेंगें  स्वस्थ रहेंगें इस दुनिया को  समझाना है ।

समय से पहले चलो समझ लें कीमत हम निःरोगकी ।
आओ साथी दत डालें मिलकर हम सब योग की ।।

Wednesday, June 20, 2018

चलो कुछ मैं बदलता हूं,चलो कुछ तुम बदल जाओ।

                       
                                -     SUMIT PATEL

बहुत कुछ गुनगुनाते हो, कभी मेरी गजल गाओ,
अँधेरों में भटकता हूँ , बनो सूरज, निकल आओ।
मैं तुमको याद कर लूंगा,तुम मुझको याद आ जाना,
सुमित,कुछ मैं बदल जाऊं, कुछ तुम बदल जाओ।।

चलो कुछ मैं बदलता हूं, चलो कुछ तुम बदल जाओ।।।

देखो देर मत करना ।।

                                -     SUMIT PATEL

उम्मीद बस तुमसे बंधी है,
आस भी  तुमसे लगी है ।
आंधियां निर्लज्ज होकर,
दीपक बुझाने को तुली हैं।
दीप की लौ को बचाने ,
उम्मीद का रिश्ता निभाने,
आस को विश्वास करने ।
मुझे भरोसा है, तुम जरूर आओगे।
लेकिन, देखो देर मत करना ।।

आँख ने आंसू बहाएं हैं,
प्रीत के मोती लुटाए हैं ।
रात अंधेरी है  तो क्या ,
सितारे तो साथ आएं हैं।
आंसू का मान रखने,
प्रीत का सम्मान करने,
रात को उजियार करने।
मुझे भरोसा है, तुम जरूर आओगे।
लेकिन , देखो देर मत करना ।।
"सुमित', देखो देर मत करना ।।

Tuesday, June 19, 2018

मेरा अहंकार टूट गया ।।

                           -    SUMIT PATEL

अब मान भी जाओ,
इतना भी न रुलाओ,
कमी मेरी क्या है,मुझे,
ऐसा तुम कुछ तो बताओ।
कई बार कह चुका हूँ,चलो
फिर से बताता हूं,
तुम क्या जानो सुबह शाम
बस तुम्हारे ही गीत गाता हूं।
तुम्हारे बाद मैंने देख लिया है,
इतना सगा कोई नही पाता हूं।।
जीवन तो गुज़र जायेगा साथी,
चलो अब तुम ही बताओ मुझे
तुम किस कदर दोगे माफ़ी।
मुझे नहीं लगता कि तुमसे कोई
धोखा किया है,
प्यारे मैंने तो बस तुझ पर सदा
भरोसा किया है।
इसके बाद भी तुम्हें मेरी ही कमी
मिलती है।
तो कोई भी सज़ा दो,जितनी भी
तुम्हारी मर्जी है।
पर तेरी बेरुख़ी सहकर जीना सहज
नहीं मुश्किल है,
तुझे हंसते देख लेना ही अब तो,मेरे
जीवन का हासिल है।
हाँ मुझे अहंकार जो भी था, तेरे बगैर
सब टूट गया है,
तेरे अलावा अब क्या बताऊँ तुम्हें, कैसे
मेरा सब छूट गया है।
लो मेरा अहंकार टूट गया है, मैं अब जिद
नहीं करता हूँ।
ऐसे बात बात पर किसी भी तरह से, मैं
नहीं लड़ता हूँ।
काश कोई होता जो मेरी कविताएं तुम्हें,
पूरे मन से सुनाता ।
मैं तुम्हारे बिना बहुत बेचैन हूं, समय समय
पर वक़्त तुमको बताता।
पर अब पानी सर से पार हो गया है,
तुम बिन जीना दुशवार हो गया है ।।
अब तो सहारा दे ही दो
मेरा अहंकार टूट गया।
कम से कम अब तो मान जाओ।
मैं भी टूट गया हूँ , कहीं पर,
और शक हो तो बताओ बहुत कुछ तोड़े जा सकते हैं
कभी कोई पूंछे ओ पन्नें खोले जा सकते हैं।
तुम हंसकर मेरा नाम ले लेना काफ़ी है,
तुम्हारी आस में मेरे हाथों में लकीरें काफ़ी हैं।।

तुम एक बार मिलो मुझे माफ़ करो,
मेरा अहंकार टूट गया है,
पर मेरा तो विश्वास तुझ पर ही है,और
तू ही मुझसे रूठ गया है।
मेरा अहंकार टूट गया है।।

Monday, June 18, 2018

मैं तुझको लिखता जाता हूँ।।

     
                                    -    SUMIT PATEL

इश्क़ की अदालत में कुछ तो पैरवी जारी रख।
सच खुद गवाही देगा ,तू आईने से यारी रख।।

वो ज़ालिम है,तो जुर्म करे, रोका किसने है ,
तू अपना है! चल कुछ तू ही रिश्तेदारी ऱख।।

चट्टानों से टकराना था,तुम ठोकर से ही टूट गए,
हार जीत की बात अलग,हिम्मत कुछ भारी रख।।

तुझपर मरता हूं तो मर जाने दे मुझे,मेरे हमदम
कम से कम  साथ मेरे  इतनी तो खुद्दारी  रख।।

यूं चलने से सफ़ऱ जरा जल्दी तय हो सकता है,
मैं तुझको लिखता जाता हूं, तू पढ़ना जारी रख।।

बिना दर्द के जीना कैसा नीरस हो जाता है, इश्क
विश्क में जीना है तो दिल की एक बीमारी रख।।

तेरी यादों के जंगल में, भोर का इंतजार करना है।


                        -         SUMIT PATEL

मोहब्बत के रास्ते में जब तन्हा हो जाते हैं,
हम बस तेरी यादों के जंगल में खो जाते हैं।।
विशाल देवदारु सा तुम्हार विशाल प्रेम
हृदय की भूमि पर रोज़ रोज़ बढ़ता जाता है,
तुम्हारी नीली आँखों की चंचलता देख,सुन्दर
हिरन का जोड़ा भी लज्जित हो जाता है ।
तुम्हारे शहद में लिपटे मिश्री से मीठे बोल, सुन
कोयल ईर्ष्या से नित नित काली होती जाती है
लरज़ते हुए तुम्हारे गुलाबी होंठों ने, वादियों में
कलियों के खिलने का भरम ही तोड़ दिया।
तुम्हारा होंना हमारे साथ दुनिया को अच्छा न
लगा, तेरे बाद ये जमाना भी छोड़ गया।।
लहराते केश तेरे, बादल बन उमड़कर आसमां
पर छाने वाले है,
तेरी यादों के जंगल में मेरी आँखों से आंसू
बरसने वाले हैं।
देख तेरी यादों के जंगल में अभी भी हरे हैं, कुछ
वफ़ा के पेड़ जो हमने लगाये थे,
सन्नाटा छाया है, पर ध्यान से सुनो, सुनाई देंगें
जो गीत तुम्हें, मैंने सुनाए थे।
"सुमित" तेरी यादों के जंगल में आशा के तीर से
खुशयों का शिकार करना है,
तेरी यादों के जंगल में काली रात हुई,तेरी यादों के
जंगल में अब भोर का इंतजार करना है।।

अब भोर का इंतज़ार करना है।।।।।

Saturday, June 16, 2018

सामने न भी सही, मेरी यादों में रोज आते हो।


                                    -    SUMIT PATEL

तुम तो साथ ही थे,यहां तो मेरा नसीब ले आया,
तुम पर मरना मेरा मुझे मरने के करीब ले आया।।
आज फिर तुम्हें पुकारा,आज तुम फिर नहीं आए,
कल फिर पुकारूंगा,मैं फिर यही उम्मीद ले आया।।

जिधर भी जाओ इश्क़ में बस दर्द है,तन्हाई है ,
कौन है? किसने मोहब्बत पर GST लगाई है।।
सामने न भी सही मेरी यादों में रोज़ आते हो ,
मेरे  मालिक , इसमें भी तेरी ही  रहनुमाई है।।

बहुत मजबूर हूं मैं , तुमसे दूर नहीं हूं।
गमों से चूर हूं मैं, मगर मगरूर नहीं हूं।।
मेरे हालात मेरी क़िस्मत की बेवफाई देखो।
मैं जलकर भी तेरी आँखों का नूर नहीं हूं ।।

तुम्हारी चाहत का नशा अब और बेशुमार हो गया है,
मोहब्बत का तीर नज़र से जिगर के पार हो गया है।
मेरी तो तमन्ना यही है कि तुम्हारे ख्यालों में खोया रहूं,
तुम भी खबर ले लो,कि'सुमित'फिरसे बीमार हो गया है।।

Friday, June 15, 2018

वही पुराना काम करते हैं।


                                 -     SUMIT PATEL

आओ चाहत की इक दास्तां बयान करते हैं ।
तुम अगर कहो तो कहानी सरे आम करते हैं।।

किस कदर किया है प्यार तुम्हें, महसूस तो करो
जान तुम्हारी याद में ही हम सुबह शाम करते हैं।।

ज़माने ने पूरी ईमानदारी से अपना हक़ निभाया,
वो हमें बदनाम करता है,हम उसका नाम करते हैं।।

उसने खुदगर्ज़ तो यूँ ही, मुझे कह दिया "सुमित" ,
उसे क्या पता,दिल में हम क्या अरमान रखते हैं।।

उसका जिक्र करके, कभी मेरी आँखों में झांक लेना
तुम समझ जाओगे, हम उसे ही क्यों सलाम करते हैं।।

दौरेदोस्ती में भी अब तो साहब,निगेहबानी जरूरी है
दोस्त ऐसे भी हैं, काम जो दुश्मन का तमाम करते हैं।।

किरदारों को पहचानना भी कहां आसान है यहां ,
मन में विष की गागर,  मुंह से राम राम करते हैं ।।

ज़रा तुम फिर कदम बढ़ाओ,मैं फिर सज़दा करता हूँ
एक बार फिर दोंनों मिलकर,वही पुराना काम करते हैं।।

चलो मान भी लें कि अभी भी तुम ख़फ़ा हो मुझसे ,
तुम्हारी इसी अदा पर इश्क भी तो हम तमाम करते हैं।।

मंज़िल खुद ही दौड़कर आएगी तुम्हारी, तुम्हारे पास
बेफ़िकर चलो,राहों पर हम फूलों की बरसात करते हैं।।

बुजुर्गों का सहारा बनें, नई पीढ़ी के लिए पेड़ लगाएं।


                           -       SUMIT PATEL

एक घटना घटी, सौभाग्य से नहीं
अपितु दुर्भाग्य से।
और समाचार भी मार्मिकता और करुणा
से भरे मिलने लगे,
की फलाने अब नहीं रहे,
कल तीन बजे ही गुजरे हैं मिट्टी जल्दी ही होगी
वही , कोई दस से ग्यारह बजे।
परिजन, पुरजन पहुँचने लगे
अभी देर है, किसका इंतज़ार है!
पूछने लगे।
गायत्री वाले पंडित जी बुलाये गए ,
अंतिम संस्कार के लिए।
क्योंकि ये भी मामूली थोड़ी थे,
परिवार को बढ़ाने के लिए, क्या
कुछ नहीं किया इन्होंने!
इनके अंतिम संस्कार में लापरवाही
हो, स्वीकारना कठिन है,
बहुत हो चुका पुराना तरीका ,
नए रूप से भी कुछ करना
जरूरी है।
मन्त्रों के उच्चारण के साथ, महकती
धूप की आहुति हो।
शरीर को शांति न दे सके तो क्या हुआ
जीते जी पानी देते तो शरीर पी लेता
पांव दबाते तो शरीर सुखी होता
पौष्टिक भोजन देते तो शरीर का
अहंकार बढ़ता,
पर देह तो नश्वर है उसके साथ कुछ भी
करते साथ थोड़ी जाएगा।
ये तो मिट्टी का बना है, मिट्टी में
ही मिल जायेगा ।
इसलिए आत्मा का सत्कार करो
जो उनके साथ जायेगी।
दूध से नहलाओ गंगा जल से पवित्र करो
क्योंकि बहुत अपवित्र हो गए थे
तुम्हारे साथ रहकर।
तुम्हारी इतनी गन्दी मानसिकता उनका
शरीर भी सहन न कर पाया।
आत्मा क्या ख़ाक सहन कर पाएगी ।
इसलिए कि जिनसे प्यार भरा एक
शब्द भी न बोले कभी,
आत्मा की शांति के लिए अनेक
गायत्री मंत्र पढवाओगे,
जीते जी तुमने पानी तक नहीं दिया,
अब तुम ब्रम्हभोज करवाओगे।
जब हड्डियां दुखी तब तुम दवा नही लाये,
न ही हाथों से कभी सहला पाए।
एक एक हड्डी इकठ्ठा करके, बड़ी तन्मयता
से, हरिद्वार पहुँचाओगे।
मूड़ मुड़वाओगे, भंडारे लगवाओगे,
क्या क्या नहीं करोगे,
पर अर्थ कुछ भी न पाओगे।
बुद्धिहीन कहेंगें, पुरखों के लिए
तुमने हर रस्म अदा की,
अल्पबुद्धि वाले तुम्हारे कर्मों को
समाज का डर बताएंगें ।
पर असल में दोंनों गलत हैं
न तुमने रसमें निभाई और
न ही तुम्हे समाज की चिंता है,
तुम्हें तो बस अपनी चिंता है, अपने
किए अनैतिक कर्मों के प्रति,
तुम डरते हो कि इनके साथ तुमने
कोई सुलभ व्यवहार न किया।
तुमने कभी उनके प्रति अपने कर्तव्यों
को नही समझा।
और तुम्हे लगता है, कहीं उनकी आत्मा
यहीं न हो,
कहीं तुम्हारे कर्मों का तुमसे प्रतिशोध
न लेने आए।
तुम अपने इन्ही पंडितों के ज्ञान से
भयभीत हो,
की आत्मा आएगी, पुकारेगी, डराएगी
इसलिए दान करो,
आत्मा की मुक्ति के लिए।
फिर तुम्हारे स्वार्थ, को उनके शरीर
से मुक्ति चाहिए थी,
सो मिल गयी।
अब तुम्हारे भय को उनकी आत्मा से मुक्ति
चाहिए, इसलिए
तुम भयभीत होकर ये सभी कर्म कांड
करने को उतावले हो जाते हो,
विश्वास कर लेते हो, कि मैंने तो उनकी
सभी इच्छाएं पूरी कर दी।
अपने कर्तव्यों को पूरा करने का झूठा
नाटक करते हो।
कि अब मुझसे कोई सवाल नहीं पूछा
जायेगा,
हर कोई मुझे मातृ- पितृ भक्त बतायेगा ।
पर क्या उस समय ये सत्य किसीसे
छिपा पाओगे,
जब तुम्हारा मन तुमसे पूछेगा, कहो
क्या बताओगे ।
तब पश्चताप भी न होगा जब समय के
साथ खुद को भी यहीं पाओगे।
और हां ये बहुत पुरानी कहावत है"सुमित"
पेड़ जो लगाओगे फल भी वही पाओगे।।
इसलिए आओ कर्मकांडो से पहले भी अपने
कुछ अधूरे कर्तव्य निभाएं,
बुजुर्गों को प्यार दें, उनका सहारा बनें, आने
वालों के लिए आशीर्वाद नहीं,पेड़ लगाएं।।

Thursday, June 14, 2018

इस तरह तुमने भी उम्मीद मेरी रख ली।


                                -     SUMIT PATEL

कुछ इस तरह से आज फिर तुम याद आ गए।
दिल खिल खिला उठा,लगा तुम पास आ गए।।

कैसे कहूं कि दूर बहुत है, मुझसे मेरा ख़ुदा ।
नजरों से चलके जाने कब दिल में समा गए।।

यादों का सिलसिला भी अब कितना हसीन है।
आँखों से देखता था जिन्हें, आँखों में आ गए ।।

कुछ इसलिए भी आपका एहसानमन्द हूँ ।
मन बुझता हुआ चराग था, फिर से जला गए।।

इन आंसुओं का अपना अलग ही उसूल है ।
हम जब भी मिले अकेले, आँखों में आ गए।।

करनी थी कुछ जरूरी बातें भी ज़िन्दगी से ।
मैं कुछ न कह सका, तुम क्या क्या बता गए।।

सब कुछ तुम्ही थे मेरे, सब कुछ तुम्हीं से था।
इक हड़बड़ी में देखो हम सब कुछ गवां गए ।।

"सुमित"इस तरह से तुमने उम्मीद मेरी रख ली।
ख्वाबों में  मेरे आकर तुम  रिश्ता निभा गए ।।





Wednesday, June 13, 2018

आगे जो बढ़े हो प्यारे आगे ही बढ़ो ।।

                          SUMIT PAYEL


कोई भी भरम न ही चिंता तुम करो,
आगे जो बढ़े हो प्यारे आगे ही बढ़ो।
होंगी मुश्किल आसां ये भरोसा तो करो,
आगे जो बढ़े हो प्यारे आगे ही बढ़ो।।

आसमां के चाँद व सितारे बनो तुम,
फूल से खिले हुए नज़ारे बनो  तुम।
गम की दूर दूर तक परछाई न रहे,
महके महके जीवन में रुसवाई न रहे।
पूरे हों जाएं सपने अपने मन जो गढ़ो।
आगे जो बढ़े हो साथी आगे ही बढ़ो।।

कोई भी भरम न ही चिंता तुम करो ,
आगे जो बढ़े हो प्यारे आगे ही बढ़ो।।

चाहे जो भी मौसम हो,सुहाना हो तेरा,
प्यार भरा खुशयों का तराना हो तेरा।
राहों में हों फूल तुम्हे कांटा न मिले ,
आशाओं की बगिया में निराशा न मिले।
मुझको हैं मंजूर जो भी फैसला करो ।
आगे जो बढ़े हो प्यारे आगे ही बढ़ो ।।

कोई भी भरम न ही चिंता तुम करो ,
आगे जो बढ़े हो प्यारे आगे ही बढ़ो।।

हर बुलन्दी हो तुम्हारी ये दुवाएं हैं मेरी,
तेरी यादों की महकी, हवाएं हों  मेरी ।
तेरा  ही  पुजारी , मैं  दीवाना  हूँ  तेरा ,
मुझको भी कुछ जलने दे परवाना हूं तेरा।
मैं सज़दे में लग जाऊं, तुम देवता बनो।
आगे जो  बढ़े हो प्यारे आगे ही बढ़ो ।।

Tuesday, June 12, 2018

असम्भव है जाना की मैं तुम्हें भूल जाऊं।।

   
                                    -      SUMIT PATEL


चाहे तुम रूठो या दुनियां से बिछड़ जाऊं।
असम्भव है जाना की मै तुम्हे भूल जाऊं ।।

जाना,तेरा इश्क़ गहरा समंदर है तो क्या।
हमने भी ठाना है कि तुझमे डूब जाऊं ।।

इतनी बंदिश में जीना,दम घुटने लगा मेरा।
जिंदगी मन करता है शाख़ से छूट जाऊं ।।

तुम भी मुझे मनाओगे बड़ा गुरुर है, सुमित।
सच हो तो कहो, एक बार मैं भी रुठ जाऊं।।

सच्चाई का हश्र ज़माने में तुम भी जानते हो।
अब तुम्ही बताओ सच कहूं या झूठ गाऊं ।।

किसने कब कहाँ कितना सताया है मुझे ।
सोचता हूं तुमसे अभी बताऊं की न बताऊं।।

तुम रूठकर गए न जाने किस डगर साथी ।
मेरी जां मनाने भी तुम्हें जाऊं तो कहां जाऊं।।


  •                              -     सुमित पटेल


Monday, June 11, 2018

जानें कैसे छूटा साथी तेरा मेरा साथ ??


                                     -     SUMIT PATEL

काटे से कटे न दिन बीते नहीं रात ।
जाने कैसे छूटा साथी तेरा मेरा साथ ।।

चलते चलते जाने कैसे रस्ता मुड़ गया,
मन की डाली छोड़कर परिंदा उड़ गया।
छाये बादल मन में हुई नैनों से बरसात।
जानें कैसे छूटा साथी तेरा मेरा साथ ।।

तू जो नहीं राहों का अँधेरा बढ़ा है ,
गम का साया ओढ़े जाने कौन खड़ा है।
कैसे मैं सुनाऊं तुझे अपने ये जज्बात।
जाने कैसे छूटा साथी तेरा मेरा साथ ।।

जगते जगते देखो मेरी किस्मत सो गई,
एक तू ही सब कुछ मेरी नेमत खो गई।
किसको मैं बताऊं किससे करुं फरियाद।
जाने कैसे छूटा साथी तेरा मेरा साथ ।।

मुझको मेरी किस्मत में था जो भी वो मिला,
प्रियतम मेरे तुमसे कोई शिकवा न गिला।
जहां भी तू जाए वहां खुशियां हों दिन रात।
जाने कैसे छूटा साथी तेरा मेरा साथ ।।

काटे से कटे न दिन बीते नहीं रात।
जाने कैसे छूटा साथी तेरा मेरा साथ।।



गुलिस्तां गुलो गुलज़ार करना है....


सुमित पटेल

 चाहते हो बुलन्दी के शिखर तक पहुंचना है, 
कुत्सित विचारों से तुम्हें बचकर निकलना है।।

माँ बाप की दुआएं करती हैं आसान राहों को,
इनकी सेवा से ही,तेरे स्वर्ग का द्वार खुलना है।।

            दुनिया अपने दांव यहां सब पर आजमाती है,
            तुम्हें अपने इरादों को जरा मजबूत करना है।।

अंधेरों से लड़ना है तो दीपक बनकर जलो,
किसी की खुशयों से जलना, ख़ाक जलना है।।

            दरिया की लहरों से ख़ौफ़ज़दा हो गया है वो,
            जो कहता था कभी, समंदर पार करना है ।।

गिरकर उठना इतना भी आसान नहीं,मगर
धक्का किसका था ये दरयाफ़्त करना है ।।

             ये आरोप सच है,हम अब ज्यादा मुस्कराते हैं
             तुम्हें ज़माने की नजरों में महफ़ूज रखना है ।।

निराशा के अंधेरे में कहीं मैं खो नहीं जाऊं ,
उम्मीद का सूरज तुझे बनकर निकलना है।।

             ख़ूबसूरत वादियों कुछ तरीके तो बताओ,
             उसके गुलिस्तां को गुलो गुलज़ार करना है।।

मौत भी अब व्यंग करके लौट गई,"सुमित"
जिन्दा रहकर भी यहां  हर रोज़ मरना है ।।



Saturday, June 9, 2018

अब भी आस तुम्हारी है ।


                                      -     Sumit patel

अपनी तो जाहिर कर दी
अब उसकी बारी है।
           जंग छिड़े या इश्क निभे ,
           पूरी तैयारी है।
जुल्मों की बात करें तो,
अब भी जारी है।
           कितना भी हो घना अँधेरा,
           जलता दीपक भारी है।
वीराने में दाने बिखरे ,
बैठा कहीं शिकारी है।
           मर्जी जितनी उतना दे दो,
           गम से रिश्तेदारी है।
यूँ सीने में दर्द का बढ़ना ,
दिल की एक बीमारी है।
           वो कब मुझको धोखा देगी,
           देख वो जग से न्यारी है ।
मैं और उसे भूल भी जाऊं,
किसकी राय सुमारी है।
           कलम लिखेगी केवल सच ही
           अपनी भी खुद्दारी है ।
तब भी बस तुमसे ही आशा थी,
अब भी आस तुम्हारी है ।।

Friday, June 8, 2018

अब भी क्या मजबूरी है।


बड़े गर्व से संघर्ष विराम का फरमान सुना दिया,
भारतीय सैनिकों के संघर्ष को और बढ़ा दिया ।
संघर्ष पर विराम तो नहीं लगा पाए आप, साहब
विराम,अपने ही जवानों के जीवन पर लगा दिया।।


भैंस के आगे बीन बजाना साहब जी अब ठीक नहीं,
अबके भी यदि चूक गए तो आगे फिर उम्मीद नहीं।।

आतंकी पागल कुत्तों का अब मरना बहुत जरूरी है ,
चार साल तो बीत गए पर अब भी क्या मजबूरी है ।।

कुछ काम अभी जो बाक़ी हैं उनको तो करना होगा,
घायल भारत माता के हर घावों को भरना होगा।।

छोटा सा एक सूअर पड़ोसी नित आँख दिखा गुर्राता है
तुम कहते हो दुनिया भर में भारत का परचम लहराता है।।

ये बात मान भी सकते थे यदि पाकिस्तान सधा होता  ,
वीर जवानों की क़ुरबानी का बदला अगर लिया होता  ।।

Thursday, June 7, 2018

ऐ बादल, तू मेरे लिए बस गरजना छोड़ दे ।


भोर पहर शांति प्रिय वातावरण में,
चिड़ियां चहक रही थी।

लोग योगासन, व्यायाम, बच्चे
मैदान में खेल रहे थे।

फूल खिलने को आतुर से,भौंरें
प्रतीक्षारत प्रेमी लग रहे थे।

कि अचानक एक घना अँधेरा
पृथ्वी पर छाने लगा,

ऐसा लगा मानो रात के बाद, फिर से
रात होने वाली है।

चीजें अँधेरे में बदलने लगी, और
आँखों की पुतलियां फैलने लगीं।

फूल भी खिलते खिलते रुक से गये,
भौरें उदासी में डूब गए।

शायद सूरज भी किसी बहकावे में,
आकर छुपकर बैठ गया है।

बड़े जोर से हवा का झोंका आकर
हौले से गुजर गया,

महसूस होने लगा यह कुछ और नहीं,
बादल की अपनी पीड़ा है।

वह अपने किसी प्रिय को मनाना चाहता है,
और सूरज भी उसकी पीड़ा समझकर
कहीं दूर निकल गया है।

हवा ने भी उसका सन्देश वाहक बनना
स्वीकार कर लिया है,

अपने प्रेम को स्पष्ट करने के लिए ,
बादल कितने जतन करता है।

पहले अँधेरा फैलाकर चुपके चुपके,
अपने प्रियतम को खोजता है।

फिर बिजली की टॉर्च जलाकर, प्रिय
को देखना चाहता है ।

पर सफलता नहीं मिलती देख ,
विचारों में खो जाता है।

पुनः तैयार होकर भयंकर रूप
से गरजकर चीखता है।

बार बार गरजता है, और उसे
बार बार पुकारता है।

एक बार फिर से बादल ,
खाली हाथ रह जाता है।

निराश होकर जोर जोर से
रोने लगता है।

झूम झूम कर बरसता है, बादल
रोते, रोते तरसता है ,बादल ।

और फिर बीच बीच में गरजकर,
उसे पुकारता जाता है।

और फिर धीरे धीरे निराश होकर,
बैठ जाता है।

हे प्रिय बादल तुम्हारा ऐसे निराश,
होना नहीं अच्छा ।

लगता तुझे तेरे प्रियतम पर भरोसा
नहीं है सच्चा।

मित्र थोड़ा धीरज भी रखना तो जरूरी है,
सॉरी, मैं क्या जानू तुम्हारी क्या मजबूरी है।

लेकिन फिर भी हे बादल तुम जैसे
भी चाहो करो।

जितना भी बरसकर रोना चाहो रोओ
मेरे आंसुओं को भी साथ ले लो ।

पर हे प्यारे बादल तुमसे एक प्रार्थना है
तुम्हें उसकी सपथ जिसे तुम प्यार करते हो, मान लेना।

सब कुछ करना जो भी अच्छा लगे तुम्हें,
पर अबसे गरजना छोड़ देना।

क्योंकि तू इधर अपने प्रिय के लिए गरजता है,
उधर तेरे गर्जन से मेरा प्रिय चौक जाता होगा।

सच बोलता हूं भाई जब जब भी तू गरजता था,
मेरा साथी हाथों से कान बन्दकरके चौक जाता था ।

उसके चौकने से मेरा कलेजा बैठ जाता था,
दिल पर मानों बिजली सी गिर जाती थी।

हो न हो वो अब भी चौक जाता हो, जब
तेरे गर्जन की कर्कश ध्वनि उसके कानों में लगती हों।

इसलिए हे अम्बर तेरे लिए मैं दुवाएं करूँगा,
तू मेरे लिए बस गरजना छोड़ दे।
हो सके तो तू मेरे लिए ये गरजना छोड़ दे।
तू गरजना छोड़ दे........
 
                        -     सुमित पटेल

एक हार जो हर जीत से बड़ी है।


अजीब बात है, उसे इसका गुरुर है , कि वो

अपने दिमाग़ की शातिर चालों से जीत गया।

उसे कहो, वह जानता ही नहीं, कि उसके साथ

दिमाग नहीं, हमेशा दिल लगाया है मैंने, दिल!

जिससे दिल लग जाए वो दिल का अपना होता है।

और फिर, खेल जब अपने ही खेलते हों,

तो हार जाना, बहुत अच्छा लगता है  ।

क्योंकि अपनी ही उंगली से दुःख जाने पर,

आंखें रोती तो हैं पर शिकायत नहीं करतीं।

ये हार भी इतनी कीमती होती है , कि

दोबारा जीतने की इच्छा ही मर जाती है ।

सुना है हर खेल के कुछ नियम,तरीके होते हैं,

मोहब्बत की राह में भी कुछ ऐसा ही था, पर

जहां हमने दिल उसने वहां दिमाग़ लगाया।

नियम तोड़कर खेल खेलना चीटिंग कहलाता है।

पता नहीं दिमाग़ का दिल से खेलना, क्या कहलाता है?

जब कभी वो अपनी जीत का विश्लेषण करेगा ,

देखना मेरी पराजय तब विजय से भी बड़ी होगी ।

देखते देखते वो दिन भी आ जायेगा, भले देर से ही ,

कि उसका जीतना ,शायद उसे ही अच्छा न लगे ।

मेरी शिकस्त को सोंचकर उसकी आंखें भर जाएं

शायद कल उसको भी लगे कि निर्दोष था मैं,और

न ही कोई छल कपट किया था मैंने उसके साथ ।

हो सकता है तब वो मुझे माफ़ कर दे, उस ख़ता

के लिए,जिसे मैंने किया नहीं, पर आरोप है मुझपर।

क्योंकि बिना कारण के अगर वो सजा दे सकता है,

तो मैं अब, बेगुनाह होकर भी उससे क्षमा मांगता हूं।
                          -          सुमित पटेल

Wednesday, June 6, 2018

तुम्हारे चले जाने के बाद , अब कहाँ सबेरा होता है।।


फूल सुन्दर ना होते तो क्या होता ,
नदियां कल कल न बहतीं तो क्या होता,
चिड़यां यूँ न चहकतीं तो क्या होता,
आंखें बिलकुल न रोतीं तो क्या होता,

ये मैं जानें क्यों सोचा करता हूँ
ऐसा न होता तो क्या होता ,
वैसा न होता तो क्या होता ,
शायद कुछ न कुछ तो होता!
ये जानता है मन ।
पर किसी अपरचित भय से काँपता है मन।
और सबकुछ जानकर भी खामोश हो जाता हूँ,
नन्हें बच्चे की माफ़िक नींद में बेहोश हो जाता हूँ।

होश में आते ही फिर वही पैंडुलम चलने लगता है,कि
मछली न होती तो पानी का क्या होता ,
बारात न होती तो अगवानी का क्या होता ,
परियां न होती तो कहानी का क्या होता ,
मौजें न होतीं तो रवानी का क्या होता न

क्या होता गर कुछ भी न होता ?????

सम्भवतः कुछ ऐसा ही होता ,
जो टूटते तारे के साथ होता है,
या कि जो स्वाति के बिना पपीहे का होता है,
या कि जो बसन्त के बिना कोयल का होता है,
या कि जो पतझड़ में हरे भरे पेड़ों का होता है,
या की जो ऑक्सीजन के बिना अस्पतालों में होता है,

अथवा हे प्रिय, वह होता, जो कि
तुम्हारी अनुपस्थिति में मेरा होता है।
मेरी जागती आँखों का सपना,
सदैव अधूरा होता है।
आंसुओं के बिना आँखों में,
रेत का बसेरा होता है।
जैसे की रात भर मुर्दे की देख रेख ,
करने वाले के घर सवेरा होता है।

या कि, तुम्हारे चले जाने के बाद,
अब कहाँ सबेरा होता है।
या कि..
अब कहाँ सवेरा होता है।।।।

          -         सुमित पटेल
         

Tuesday, June 5, 2018

मेरा तो संसार ही, साथी तेरा प्यार।

दोहा छन्द

पागल राही प्रेम का , देखे तेरी राह ।
तेरा नाम पुकारता , मन में तेरी चाह ।। 1

ऊब गया मन साख़ से , गया परिंदा छोड़ ।
देख विवशता पेड़ की , वो जाए किस ओर।। 2

रहें बड़ों के संग हम , जीवन का ये मूल ।
डाली से जब तक जुड़े , लगते सुन्दर फूल।। 3

तेरी खातिर हम जलें , हमको रखना याद ।
बुझता दीपक रात से , बोल पड़ा ये बात ।। 4

मुझमें हो तुम यूँ बसी , तन में जैसे सांस ।
आँखों से हो दूर तुम , मन के कितने पास।। 5

मुझपे हंसती है हंसे , लेकिन रखना याद ।
दुनियां की औकात क्या , जब होगी वो साथ।। 6

सूरज को है डूबना , होगी काली रात ।
खुद से जब बढ़ने लगे ,साये की ओकात।। 7

हंसकर करता मैं विदा , कहते मुझसे आप ।
मेरी तो बस पीर  ये  ,  गये छुड़ाकर हाथ  ।। 8

आँख लगी थी याद संग , कैसे लगती आँख ।
नींद सुलाकर थक गयी , लौटी खाली हाथ ।। 9

सुनों कभी कुछ कह रही , आँखों की बरसात ।
मन  में  उठती  पीर  से , आँसू  करते  बात  ।। 10

तुम  निकले  हो  जीतने , पूरा  ये  संसार ।
मेरा  तो  संसार  ही , साथी  तेरा  प्यार   ।। 11

                         -      सुमित पटेल

Monday, June 4, 2018

मेरे साथी तुम्हारी याद आएगी।


ये पूर्वा प्यार के मोती पवन में जब लुटाएगी,
औ कोयल कंठ से अपने सुरीले गीत गायेगी।
बहुत ढूढेंगीं नज़रें मिलोगे पर न इनको तुम,
मेरे प्रियतम मेरे साथी, तुम्हारी याद आएगी।।

उमड़कर आसमां पर ये बादल फिर से छायेंगें,
कभी गर्जन कभी बिजली कभी बरसात लायेंगें।
बुझेगी प्यास वसुधा की हरी होगी जमीं सारी ,
खिलेंगें पुष्प पौधों पर महक जाएगी हर क्यारी।
मिलन की प्यास तब तेरी मुझे कितना सतायेगी,
मेरे प्रियतम मेरे साथी तुम्हारी याद आएगी ।।
ये पूर्वा प्यार के मोती पवन में जब लुटाएगी..........

मेरी तन्हाई अकेले में करेगी बात जब मुझसे,
उदासी है नहीं अच्छी कहेगी रात ये मुझसे ।
न होगी नींद आँखों में सुकूं मन को न आएगा,
कोई आशिक़ कोई रांझा कोई पागल बतायेगा।
ये दुनिया व्यंग्य उर में धर हमें समझाने आएगी।
मेरे प्रियतम मेरे साथी तुम्हारी याद आएगी ।।

ये पूर्वा प्यार के मोती पवन में जब लुटाएगी,
औ कोयल कंठ से अपने सुरीले गीत गायेगी।
बहुत ढूंढेंगीं नजरें मिलोगे पर न इनको तुम,
मेरे प्रियतम मेरे साथी तुम्हारी याद आएगी।।
तुम्हारी याद आएगी।।।
                           -      सुमित पटेल

Sunday, June 3, 2018

तेरे चरण छूकर मुझे खुद में परफेक्शन नजर आता है।


जल्दबाजी भरे एक्शन का रिएक्शन नजर आता है,
अभी भी जिन्दा है,मरा नही, करेप्शन नजर आता है।।

रंग फिर से मज़हब के रंग में रंग गये साहब, देखो,
कहीं दूर उधर, बड़ी दूर इलेक्शन नजर आता है  ।।

आँख वालों की रेवड़ी छीनकर यहां अंधे खाते हैं ,
दलों में भाई भतीजेवाद का सेलेक्शन नजऱ आता है।।

न करना तुम यहां तमाशा ,सपनों का अरमान टूटेगा,
किसी बिटिया की शादी में तुम्हें फ़ंक्शन नजर आता है।।

आओ देखें देश की खातिर,नेताओं नें क्या क्या पचाया है,
कोयला,चारा तो छोड़ो विधवा पेंशन तक नजर आता है।।

इतना थोड़ी घबराते हैं, मुश्किलें आई हैं तो हल भी होंगी,
चलो छोड़ो भी मियां, ये जो चेहरे पर टेंशन नज़र आता है।।

चलो लौट चलें पीपल,बरगद,नीम, महुआ,आम के गांव ,
बाद में मत कहना कि शहर में पॉल्यूशन नजर आता  है।।

तुझसे क्या मिले , मेरा अधूरापन मिट गया मेरे ईश्वर ,
तेरे चरण छूकर मुझे खुद में परफेक्शन नज़र आता है।।

बुजुर्गों का सम्मान करना ही जवानी की रवायत है'सुमित'
माँ - बाप की दुवाओं में मुझे प्रोटेक्शन नज़र आता है ।।
     
              -     सुमित पटेल