Sunday, December 30, 2018

अलविदा ।

                        Sumit patel

अलविदा 2018


हर ओर नये वर्ष के आगमन की प्रतीक्षा हो रही है, बधाइयों के सिलसिले चल पड़े हैं।लोग अपने सपनों को साथ लेकर 2018 से उतरकर 2019 रूपी जहाज़ पर सवार होने को आतुर हैं। ऐसे में बहुत ज़रूरी है कि हम अपने पीछे छूट रहे साल के बारे में समीक्षा करके उसका धन्यवाद अदा करें तथा उसे सम्मानजनक विदाई दें।अन्यथा हम नये साल का स्वागत पूरी ईमानदारी से नहीं कर पाएंगे। क्योंकि जब फिर से दिसम्बर आएगा तब इस नये साल को भी पुराना करके हम नये के इंतजार में लग जाएंगे। सच है भी यही! हम यही तो करते आये हैं अब तक। इसलिए आइए भूल की पुनरावृत्ति न करें 2019 के स्वागत से पहले 2018 को विदा करें।
     जहां तक मेरा सवाल है, 2018 के पल पल को मैं शत शत नमन करता हूँ। मेरे जीवन के अभिन्न सहयोगी तुम्हें हृदय से धन्यवाद और भीगीं पलकों से विदाई अर्पित है। मुझे अब भी याद है,तुम्हारा पहला दिन ही मेरे जीवन का बहुत महत्वपूर्ण दिन बन गया था। सोमवार कि सुबह लगभग साढ़े आठ बजे होंगें जब किसीने मुझे HAPPY NEW YEAR कहकर बधाई दी थी। मेरे पास उस ख़ुशी को व्यक्त करने को शब्द ही नहीं हैं। बहुत आभार, पहले ही दिन मेरा पूरा वर्ष मंगल हो गया और मंगल ही रहा। ऐसे अनेक खुशयों के पल आये तो कुछ विपरीत परिस्थितियां भी आईं।उतार चढ़ाव तो समय के साथ चलते हैं,इसके लिए समय दोषी नहीं होता। हमें सकारात्मक होना चाहिए तथा सकारात्मक पलों को ही ज़हन में रखना चाहिए। नकारात्मक पलों को समय के साथ ही भूल जाना चाहिए। ऐ बीतते वर्ष तेरे साथ रहकर मैंने अनेक खट्टे मीठे पल जियें हैं उनके लिए तेरा शुक्रिया।।
रखेंगें हम याद,जो तुमने दी सौगात,
कोई जब बात आएगी,तुम्हारी याद आएगी।
Thanks 2018
Good bye 2018
       

Wednesday, December 26, 2018

तुझे ही अपने दिल की सरकार कहते हैं।

                         Sumit patel

तेरी राह देखूं तो लोग इंतज़ार कहते हैं,
बड़े नासमझ हैं इसे तो प्यार कहते हैं।।

बड़ा नाज़ है तुझको दोनों जहां बनाने पर,
ऐ खुदा उसके बिना हम दुनिया को बेकार कहते हैं।

गुंघरू की छन छन में पांव के छाले रोते हैं,
हद करते हैं आप भी इसे झनकार कहते हैं।

वो मुझसे थोड़ा थोड़ा ख़फ़ा सा क्या हो गया,
मेरे दुश्मन इसे मेरी सबसे बड़ी हार कहते हैं।

मेरे हमदम तेरा हर फ़ैसला कुबूल है मुझको,
तुझे ही हम अपने दिल की सरकार कहते हैं।

हो सके तो उनकी ग़लत फ़हमी ज़रा मिटा देना,
जो ख़ुश होकर तुमको मुझसे बेज़ार कहते हैं।

सुमित'उनके हिस्से में भी कुछ फूल आने चाहिए,
जो हर पल काँटों पर चलने को तैयार रहते हैं।

Sunday, December 23, 2018

मेरे यार को मनाने में...

                         Sumit patel

माना कि अब देर नहीं है ऐ नये साल तेरे आने में।

पर मुझे न छेड़ मैं व्यस्त हूं मेरे यार को मनाने में।।

उसकी मुबारक़ रज़ा बिन मज़ा क्या जश्न मनाने में।

जब वो ही मुझसे रूठा है तो बचा क्या इस जमाने में।।

Wednesday, December 19, 2018

बिछड़कर भी फ़क्र है उसपर

                        Sumit patel

गुलशन से कली को बेज़ार कर गया।
वह फिर से अपनी हदें पार कर गया।।

मैं खिलौना ही था तो मुझसे खेलता वो,
मैं टूटा भी नहीं और दरकिनार कर गया।।

जो भी कहा, मुस्कुराकर कहा था उसने,
मैं और करता भी क्या ऐतबार कर गया।।

उसके चेहरे पर मोहब्बत की लिखावट थी,
जिसे पढ़ते ही मैं उससे प्यार कर गया ।।

आशियाने से दूरी उसे क्योंकर गंवारा थी,
शज़र रोता रहा परिंदा आजाद कर गया।।

उसकी यादों को सँजोने के शिवा करूं भी क्या,
जो हर बार करता था वही इस बार कर गया।।

वक़्त से वक़्त माँगा था वक़्त बेवक़्त रोने को,
कमबख़्त वक़्त ज़ो ठहरा इनकार कर गया।।

बिछड़कर भी 'सुमित' अब फ़क्र है उस पर,
उसी की आरजू थी उसी को प्यार कर गया।।

Saturday, December 15, 2018

तेरे सपने देखता

                        Sumit patel

हल्के में मत लीजिए यूं जीवन को मित्र।
जाने बदले कब यहां,अपने अपने चित्र।।1

तेरे सपने देखता, दिल मूरख दिन रैन।
तेरी सुधि हो जहां, मिलता इसको चैन।।2

तू है तो ये जिंदगी , मुझपे है आसान।
जान न पाए जानके, जान हुए अनजान।।3

Saturday, December 8, 2018

"पता है"।

                              Sumit patel

"पता है"

मैं कहता कि मैं पागल हूं,
काश तुम ये कहती "पता है"।
मैं कहता कि मैं तुम्हे बहुत चाहता हूँ,
काश तुम ये कहती "पता है"।
मैं कहता मैं कि मैं तुम्हें सच में बहुत चाहता हूँ,
काश तुम ये कहती, हाँ बाबा! कहा न, "पता है"।
मैं कहता कि हर छूटी कॉल वापस किया है तुम्हें जानकर,
काश तुम ये कहती , "पता है"।
मैं कहता कि हर पल तुम्हें देखने के बहाने ढूंढता था,
काश तुम ये कहती , "पता है"।
मैं कहता कि अब बस तुम्हारे लिए जी रहा हूँ,
काश तुम ये कहती , "पता है"।
मैं कहता कि अब बस तुम्ही जिंदगी हो,
काश तुम ये कहती , हाँ हाँ! "पता है"।
मैं ये कहता हिचकी आती है मुझे बस तेरे नाम की,
काश तुम ये कहती , "पता है"।
मैं कहता तुम मेरे सपनों में रोज आती हो,
काश तुम मुस्कुराकर ये कहती, "पता है"।
मैं कहता तुम्हारी मुस्कराहट कयामत ढाती है,
क़ाश तुम भाव खाकर ये कहती,"पता है"।
मैं ये कहता कि तुम मेरी आशा और विश्वास हो,
क़ाश तुम ये कहती, "पता है"।
मैं कहता कि तुम्हें देने को रोज़ रोज मैं तोड़ता था,
काश तुम फिर से ये कहती, "पता है"।
मैं ये कहता कि तुम्हारी यूज़ की कुछ कलमें मेरी धरोहर हैं,
काश तुम चिढ़कर कहती, "पता है"।
मैं फिर ये कहता जिन्हें तुमने दी नहीं मैंने चुराई थी,
काश तुम अफ़सोस के साथ कहती,"पता है"।
मैं ये कहता कि मैं कल भी निर्दोष था आज भी हूँ,
काश तुम ये पूरे विश्वाश से कहती,"पता है"।
मैं ये कहता कि तड़पन भी तड़पाकर हार गयी पर मैं हारा नहीं,
काश तुम दर्द से सिहरकर कहती, "पता है"।
मैं कहता कि चाँद में बड़ी रात तक तुम्हे निहारता हूँ,
काश तुम जोर से हंसकर ये कहती, "पता है"।
मैं कहता कि तुम्हारी यादें मुझसे बात करती रहती हैं
काश तुम भावुक होकर ये कहती, "पता है"।
मैं ये कहता तुम्हारे साथ बीते लमहों में पूरी जिंदगी जी ली,
काश तुम शांत होकर ये कहती, "पता है"।
मैं कहता कि तुम हमारे सांवरे मैं तुम्हारी राधिका हूँ,
काश तुम रसखान सा चौककर ये कहती, "पता है"।
मैं कहता कि तुम्हारा इंतज़ार अब बहुत करता हूं,realy
काश तुम मेरा दिल बनकर ये कहती,"............है"

सजा दे जिन्दगानी या सज़ा दे साथिया

                        Sumit patel

मुझसे जो ख़ता हुई बता दे साथिया,
मीठी मीठे बोल फिर सुना दे साथिया।
फेरी क्यों निगाहें कुछ वजह दे साथिया,
सजा दे जिन्दगानी या सज़ा दे साथिया।।

Tumhare hawale kiya lo tumhare geet,

                         Sumit patel

इश्क़ की नाज़ुक राहों मेरे हौंसले को परवाज़ देना।
शामोसहर पुकारता जाता हूं उनको ये आवाज देना।।

जिन्दा रहने के लिए भरोसा जिन्दा रहना जरूरी है,
मैंने कब कहा तुझसे ऐ खुदा मुझे तख़्तोताज़ देना।।

तुझे फ़रिश्ता मानकर रख दिया सर तेरे क़दमो में,
तेरी मर्जी चाहे उबार देना या धड़ से उतार देना ।।

तुम्हारी मोहब्बत के परदे पर कुछ शीन हमारे भी हैं,
क़िरदार में वफ़ादारी मिले तो मोहब्बत से नवाज़ देना।।

तुम्हारे हवाले किया लो तुम्हारे गीत,जो मैंने लिखे हैं
दिल की इन्हें क़ैद और होंठों का अपने साज़ देना।।

Sunday, December 2, 2018

तुम्हारा निश्छल प्रेम

                        Sumit patel


मुझे याद है थोड़ा थोड़ा,
कि तुमने भी मेरी आँखों से नज़र मिलाई थी।
मेरे इधर उधर ढूँढने में तुम भी मुझे ढूंढती नज़र आई थी।
मैं तुम्हें देखूं उसी समय तुम भी मुझे देखो,
 ऐसा अकस्मात तो नहीं हो सकता,
एक दो बार को मानूँ हर बार तो नहीं हो सकता,
मैंने देखा कि नजरों से नजरें तुमने भी मिलाई थी,
कुछ न होकर मेरी सबकुछ बनकर नजरों के सामने
आईं थी,
मेरी हर भूल पर टोका था तुमने,
कुछ भी न कहकर बहुत कुछ कहा था तुमने,
मैंने देखा तम्हे, मेरे हाथों में नशीला पदार्थ देख
नाराजगी से नजरें फेर लेना,
और उसे फेंकते ही निश्छलता से तेरा
मुस्करा देना,
फ़िकर में मेरी कहा था तुमने,
इस तरह बीमार होकर सर्दी में घूमना अच्छी बात नहीं है,
जल्दी घर जाओ आराम करो,तुम्हारी आवाज भी
बदल गयी है,
ऐसी बहुत सी बातें तुम्हें बताऊं जो बीत गयी हैं,
कभी हाथ पकड़कर तुम्हारा वो अपना काटकर फेंका कलावा चेक करना, जो आज भी सुरक्षित है।
और तो और तुम्हारी आंख में मैंने अपनी रूह की हर
ख़ुशी पाई थी,
ऐसे वैसे ही सही पर तुमने भी नज़र मिलाने की हर
रस्म निभाई थी,
मैंने भरी महफ़िल देखा है कि मैं तुम्हें,और 
तुम मुझे ढूंढ रही थी,
तुम्हारे इशारों में ही मेरी कविता हो रही थी।
मंच पर खड़ा मैं केवल बोल रहा था,
तुम्हें कैसे समझाऊं कविता के भाव, सोच रहा था,
कविता का रस बदलने से तुम्हें नाराज़ देख
मैं फिर श्रंगार गाने लग गया था,
शायद तुम्हें अब भी याद हो वो पल
बड़े अधिकार से जब तुमने,कविता खत्म करने पर इशारों से ऐतराज जताया था,
और उस ऐतराज को तुम्हारा आदेश मानकर मैंने
एक गीत और गाया था,
असम्भव प्रेम!मैंने क्या कहा,तुम चौंक जो गये,
अब क्या शेष बचा था जो तुम कह न गये,
वैसे भी तुम्हारी आँखों में मैंने घंटों निहारा है,जहां बस
निश्छलता के शिवा कुछ और न मिला,
लोग कहते हैं जहां निश्छल भाव होगा।
वहीं दया,करुणा,प्रेम,स्नेह और लगाव होगा।
जहां दया,करुणा,प्रेम,स्नेह और लगाव होगा,
वहां नदियों सा भटकाव नहीं कुएँ सा ठहराव होगा।।
गूंगे की तरह प्रेम के मीठे फल का स्वाद
कैसे मैं बताता,
तुम्हीं कहो तुम्हारी निश्छल आँखों में डूबने से
खुद को कैसे मैं बचाता।।

Saturday, December 1, 2018

मैं भारत का किसान हूँ

                        Sumit patel


मैंने कहा तेल का दाम बढ़ रहा है,
वो बोले देश भी तो बढ़ रहा है,
मैंने कहा रसोई गैस के मामले में क्या ख्याल है,
वो बोले ये विपक्षी दलों की चाल है।
महंगाई में बाज़ार है तो कुछ असर तो होगा ही,
मैंने कहा सुना है सोना भी चढ़ गया है,
टीवी,फ़्रिज,वाशिंगमशीन का दाम भी बढ़ गया है,
फ़र्जी के सर्टिफ़िकेट,चुनाव के टिकेट,दाढ़ी के ब्लेट
खेतों की यूरिया,गेहूं के बीज,बिजली के बिल।
पुलिस की घूस,जंगलात का हफ़्ता,होटल की टिप
बाइक का रजिस्ट्रेशन,पंचर वाला सुलेशन,
दांत का मंजन,आँखों का अंजन,खुजली का लोशन,
तहसीलदार की अकड़,सी ओ की पकड़,बेईमानी की जकड़।
सबका रेट हाई है,
महंगाई ही महंगाई है।
वो गुस्से से लाल होकर चौंके,
कुत्ते की माफ़िक़ मुझ पर भौंके,
बोले, बेवकूफ़ परमानेंट हो,
अंड बंड संट हो,
लगता है विरोधी पार्टी के एजेंट हो,
विकास हो रहा है पर तुम नहीं देख पाओगे,
देखना,अच्छे दिन आएंगे तब मान जाओगे,
माना कि कुछ चीजों का रेट बढ़ता जा रहा है,
पर देश भी तो बुलन्दी की सीढ़ियां चढ़ता जा रहा है।
मैंने भी हिम्मत दिखाई,
उनकी आँखों से आँखें मिलाई,
और कहा, साहब
आप भी न जाने क्यों एजेंट की माँ बहन कर रहे हो,
एक ज़ाहिल की तुलना एजेंट से कर रहे हो,
माँ कसम कभी किसी भी पार्टी ने मुझे
अपना एजेंट नही समझा,
सभी दलों के लिए समान हूं किसी ने भी मुझे
डिफरेंट नहीं समझा,
मैं वो हूं जिसकी जिंदगी दमा,मलेरिया,खांसी है
मैं वो हूं जिसे हर रस्सी में दिखती फांसी है,
मैं वो हूं जिसके गन्दे कपड़े देख अधिकारी
केबिन से दुत्कार देते हैं,
कभी यदा कदा इलेक्शन वेलेक्शन के मौके पर
नेता पुचकार देते है,
मैं वो हूँ जिसने सदियों से सर्दी,गर्मी,
बरसात झेला है,
मैं वो हूँ जिसके चारों ओर गमो का मेला है,
मैं वो हूँ जिसका बेटा इलाज़ के अभाव में
दम तोड़ देता है,
मैं वो हूँ जिसपर छोटी सी बात पर सिपाही 
अपना डंडा छोड़ देता है,
मैं वो हूँ जो विकास की आस में रोज बिकता
गया हूं,
अच्छे दिन के प्रलोभनों में फंसकर साबुन सा 
घिसता गया हूँ,
कभी तो सिद्ध हो जाएगा कि मैं भी
इंसान हूँ,
हालांकि मुझे अब भी गर्व है कि मैं
भारत का किसान हूँ।
चलो मैंने भी मान लिया चीजों के दाम बढ़ने से देश
बुलंदियों की सीढ़ी चढ़ रहा है,
"सुमित" यदि गन्ने का भी कुछ रेट बढ़ जाता,
तो क्या देश बुलंदियों की सीढ़ी से गिर जाता?

जो हृदय में बैठे होते हैं

                             Sumit patel

देखो न अँधेरे में तुम और खूबसूरत दिखाई देती हो,
जब कुछ नहीं दिखता तब तुम दिखाई देती हो।
बिलकुल,
अँधेरे में तुम मुझे और स्पष्ट दिखाई देती हो,
और वो भी मनपसन्द स्वरूपों में,
मैं चाहूं तो तुम्हें पर्वत से भी विशाल देखूं,
या कि फूल से ज्यादा सुन्दर देखूं,
चाहूं तो तुम्हें आते हुए निहारूं,
चाहूं तो गुनगुनाते हुए,
चाहूं तो खिलखिलाते हुए निहारूं,
चाहूं तो मुस्कुराते हुए,
चाहूं तो गाल पर हाथ रख सोचते हुए देखूं
चाहूं तो दांतों से कलम दबाते हुए,
चाहूं तो ख़ुशी से उछलते हुए देखूं,
चाहूं तो अचानक चौंकते हुए,
मैं जैसा चाहूं तुम्हें बाधारहित देख सकता हूँ
हाँ सच में
क्योंकि अंधेरे में दृष्टि सीमित और दृश्य असीमित हो जाते हैं,
फिर दृष्टि तो आँखों की और दृश्य हृदय के होते हैं,
दृष्टि उन्हें देखती है जो आँखों के सामने होते हैं,
सुमित' दृश्य उनके बनते हैं जो हृदय में बैठे होते हैं।।

तू मेरा सबसे मंहगा धन

                         Sumit patel


ये तेरा प्यारा प्यारा प्यार,
है जिसमें मीठी सी तकरार,
न होना तू मुझसे बेज़ार,
अरे सुन मेरे वो सरकार,
कि तुमको दिल में बसाया है।
तुम्हीं को ख़ुदा बनाया है।।

है तेरा प्यार बड़ा निर्मल,
कि जैसे गंगा जी का जल,
है ऊंचा जितना अडिग अचल,
ये शीतलता में है सन्दल,
मुझे है बस इतनी दरकार,
तेरा हो महका सा संसार,
कि तुमको दिल में बसाया है।
तुम्हीं को ख़ुदा बनाया है ।।

मेरे प्यार का तू दर्पण,
है मेरा सब तुझको अर्पण,
तू मेरा सबसे महंगा धन,
निछावर तुझपे ये जीवन,
बनूं मैं मीरा की करतार,
पांव में नूपुर की झनकार,
कि तुमको दिल में बसाया है।
तुम्ही को ख़ुदा बनाया है।।

तेरा जब लहराए आंचल,
गगन में छा जाएं बादल,
तुम्हारी बोली कहे गज़ल,
खिलता चेहरा लगे कमल,
चलो अब करलो तुम ऐतबार,
निभाना है बस तुमसे प्यार,
कि तुमको दिल में बसाया है।
तुम्ही को ख़ुदा बनाया ह।।

ये तेरा प्यारा प्यारा प्यार,
है जिसमें मीठी सी तकरार,
न होना तू मुझसे बेज़ार,
अरे सुन मेरे वो सरकार,
कि तुमको दिल में बसाया है।
तुम्हीं को ख़ुदा बनाया है।।