Saturday, February 29, 2020

चले आओ चले आओ, सुस्वागतम


कर्तव्य पथ की तुमने हर जिम्मेदारी पूरी की
बधाई हो तुम्हें।

लक्ष्य की ओर बढ़ने का तनाव
असमय रातों में जगना
जागती उनींदी आँखें
और फिर परिणाम की घबराहट के साथ
महीनों की मेहनत भरे आशा के बीज
लो आज पूर्ण रूप से रोप दिए तुमने
रोप दिए तुमने अपनी मेहनत के मोती
अब सफलता के पौधों को उगना ही पड़ेगा
महीनों की अधूरी नींद होगी
उत्साह में विश्राम होगा
तो करो विश्राम हम लोरी सुनाते हैं
वहाँ तुम सुनो यहाँ हम गुनगुनाते हैं
यहां भी बिन तेरे कुछ रास न आता
चले आओ तुम्हे हम सब बुलाते हैं
बुलाता है तुम्हे मौसम सुहाना तुम इसे कर दो
उजड़ता जा रहा गुलशन फूलों से इसे भर दो
हवा भी चाहती है अब महकना गंध से तेरे
डगर बेताब है कितनी कदम अब चूम लेने को
तुम्हारे बिन परिंदे भी चहकना भूल बैठे हैं
भोर की किरण व्याकुल है झलक इक देख लेने को
चले आओ कि तुमको फ़ाग संग होली बुलाती है
तुम्हारा गांव वो बचपन की टोली बुलाती है
आम के बौर बाग़ की कोयल बुलाती है
मम्मा की ममता अम्मा की लोरी बुलाती है
बुलाते हैं पुराने पल पुराना द्वार का दीपक
बुलाता है तुम्हें आंगन गांव की मिट्टी बुलाती है
तुम्हारे नाम लिखकर जिसे हम दे नहीं पाए
सजोया है जिसे वर्षों वो चिट्ठी बुलाती है
रुआँसा कण्ठ ये मेरा बुलाती हैं भरी आँखें
चले आओ कि तुमको सदाए बुलाती हैं
गुज़ारिश चांदनी करती तुम्हे तारे बुलाते हैं
वफ़ाएँ बुलाती हैं तुम्हे दुआएं बुलाती हैं
चले आओ चले आओ वास्ता है तुम्हें रब का
वास्ता है तुम्हें रब का चले आओ चले आओ
चले आओ चले आओ कि प्रतीक्षा में खड़े हैं हम
चले आओ चले आओ कि स्वागत में बिछे हैं हम
चले आओ चले आओ चले आओ चले आओ
सुस्वागतम सुस्वागतम सुस्वागतम सुस्वागतम
वन्दनम वन्दनम वन्दनम वन्दनम
अभिनन्दनम अभिनन्दनम अभिनन्दनम अभिनन्दनम।
तुम्हारा
सुमित

Tuesday, February 18, 2020

Best of luck


चलो अब मैं करूँ कुछ यूं तुम्हारी याद में खोकर
वही मंगल पुराने दिन हंसी जज्बात में खोकर
तरक्की की तरफ़ तेरा कदम तुझको फले फूले
सुमित मैं पास आ जाऊं तेरे अहसास में खोकर

परीक्षा के प्रथम दिन की हृदयतल से बधाई है
तेरी खातिर जुबां पर फिर वही अरदास आयी है
हुआ भी क्या अगर आंखें हुई मेरी सुमित गीली
दुआ दिल में जो बैठी थी छलक आंखों से आयी है

काश मैं तुम्हारे आने से पहले वहां खड़ा रहता
तुम्हारे निकलने पर भी मैं बस वहीं खड़ा मिलता
काश ऐसे ही चला करता बराबर समय का पहिया
पहले सबेरे खड़ा रहता था अब दोपहर को खड़ा रहता

तड़प तब भी थी तुम्हारे लिए
तड़प अब भी है तुम्हारी लिए
फर्क बस इतना है सुमित,
पहले तुम्हारे लिए कुछ कर गुजरने की तड़प थी
आज तुम्हारे लिए कुछ न कर पाने की तड़प है

Sunday, February 16, 2020

Best of luck.....


कैसी भी कठिन परीक्षा हो निज साहस को मत खोना तुम
नरवसता के हीन विचारों से किंचित भयभीत न होना तुम
पथ कठिन जरा है तो क्या?तुम लक्ष्य भेदने निकले हो
संकल्प की मिट्टी में हर क्षण विश्वास के दाने बोना तुम

कई वादे कई कसमें कई रस्मों को तोड़ा है
नई मंजिल की चाहत में कई राहों को मोड़ा है
उठो थोड़ा सज़ग होकर तुम्हे आगे को जाना है
इसी खातिर सुमित तुमने भरा परिवार छोड़ा है

तेरा वो रूप प्यारा सा भुलाऊं तो भला कैसे
तेरे कुछ गीत हैं तुझको सुनाऊं तो भला कैसे
सुमित यादें जगाती हैं तेरी अब रातभर मुझको
तुझे सपनों की दुनियां में बुलाऊं तो भला कैसे

तेरी यादों के सहारे एक ज़माने से जिन्दा हूं
आज भी बस तेरी मोहब्बत का नुमाइंदा हूं
लगता है तुम्हें मेरी जरूरत सी हुई है सुमित
मगर मैं दूर हूं तुमसे इस बात से शर्मिन्दा हूं

अभी तुमसे हमे बस ये बात कहना है
अहसास में हर पल तुम्हारे पास रहना है
चलो वक़्त तुम्हारा इम्तहान लेने वाला है
हमें दुआ रब से सांस दर सांस करते रहना है।


Friday, February 7, 2020

Rose day special

झुकती पलकों के सवालों का जवाब कैसे दूं
ज़िगर से रूह में उतरी मोहब्बत का हिसाब कैसे दूं
बेला चमेली गुलाब इन तमाम फूलों की रंगत है वो
उसे तोहफे में 'सुमित' अब अकेला गुलाब कैसे दूं