Sunday, February 16, 2020

Best of luck.....


कैसी भी कठिन परीक्षा हो निज साहस को मत खोना तुम
नरवसता के हीन विचारों से किंचित भयभीत न होना तुम
पथ कठिन जरा है तो क्या?तुम लक्ष्य भेदने निकले हो
संकल्प की मिट्टी में हर क्षण विश्वास के दाने बोना तुम

कई वादे कई कसमें कई रस्मों को तोड़ा है
नई मंजिल की चाहत में कई राहों को मोड़ा है
उठो थोड़ा सज़ग होकर तुम्हे आगे को जाना है
इसी खातिर सुमित तुमने भरा परिवार छोड़ा है

तेरा वो रूप प्यारा सा भुलाऊं तो भला कैसे
तेरे कुछ गीत हैं तुझको सुनाऊं तो भला कैसे
सुमित यादें जगाती हैं तेरी अब रातभर मुझको
तुझे सपनों की दुनियां में बुलाऊं तो भला कैसे

तेरी यादों के सहारे एक ज़माने से जिन्दा हूं
आज भी बस तेरी मोहब्बत का नुमाइंदा हूं
लगता है तुम्हें मेरी जरूरत सी हुई है सुमित
मगर मैं दूर हूं तुमसे इस बात से शर्मिन्दा हूं

अभी तुमसे हमे बस ये बात कहना है
अहसास में हर पल तुम्हारे पास रहना है
चलो वक़्त तुम्हारा इम्तहान लेने वाला है
हमें दुआ रब से सांस दर सांस करते रहना है।


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