Sunday, May 27, 2018

तुम भी प्यार का इक दीप जलाओ तो बात बने.

हे मेरे"प्रेम"तुझे बहुत धन्यवाद कि तुम्हारी वजह से लगता है कि मैंने कुछ अच्छा लिख दिया है,क्योंकि केवल तुम्हें ही लिखना था, लेकिन न जाने कहाँ से कुछ समाज की बातें भी सामने आकर कहने लगीं कि यदि लिखते हो तो हमारा भी ध्यान रखो, इसलिए हे मेरे मन के सबसे प्रिय तुम्हे लिखते लिखते समाज को भी लिखने का हौंसला आ गया, इसलिए हे रूठे साथी तुम्हारे साथ जमाने को भी लेकर चलता हूँ, रूठकर भी साथ निभाना,
              तुम्हारा      - सुमित

फ़ेसबुकिया दोस्तों, जोश में आओ तो बात बने,
कहां खोये हो, ज़रा होश में आओ तो बात बने ।

कट्टरता व ज़ेहाद का ज़हर ज़हन को मारता है,
सोशल मीडिया को इससे बचाओ तो बात बने।

जाति-पाति, अगड़ा-पिछड़ा ये ले डूबेगा सुन लो,
हिन्दू थे,हिन्दू हो,हिन्दू ही नज़र आओ तो बात बने।

बात घर की है, तुम बाँसुरी बजाओ सँवर जायेगी,
अपनों की लड़ाई से सुदर्शन हटाओ तो बात बनें।

राणा,भीम,पटेल,शिवा,वेवेकानंद जैसे महापुरुष,
सबके हैं, इन्हें किसी जाति का न बनाओ तो बात बने।

कैराना, कश्मीर को भगत सिंह और आज़ाद चाहिए,
जवानों ,ये चोला फिर से बसन्ती रँगाओ तो बात बने।

बुद्धजीवियों धर्मनिरपेक्षता के पहाड़े खूब पढ़ो लेकिन,
रोहंगियों से भी बचने के तरीके बताओ तो बात बनें।
,
क्या?नफ़रत की आंधी के हौसले बढ़ते हैं, तो बढ़ने दो,
मोहब्बत का हिमालय बनके टकराओ तो बात बनें।

दोस्ती,इश्क,वफ़ा,ईमानदारी,सहजता व सरलता नेमत है,
नेटवर्क के साथ साथ इन्हें भी दौड़ाओ तो बात बनें।

वो जाकर फिर नहीं लौटा ये उसकी अपनी मरजी है ,
तुमको किसने रोका है, बार बार बुलाओ तो बात बनें।

इश्क के शहर को रोशन करने की खातिर दिल तो जलता है,
"सुमित"तुम भी प्यार का इक दीप जलाओ तो बात बनें।

 सही लगी है हर बात तो, शुक्रिया दिल से है साहब ,
फिर भी इनायत करके कॉमेंट बॉक्स में आओ तो बात बने।
                                       आपका - सुमित पटेल

मगर जो प्यार था तुमसे........

 
"प्रेम" तेरी सेवा में मेरी भेंट स्वरूप ह्र्दय के अनमोल भाव कविता के रूप में समर्पित हैं। इसे स्वीकार करो कि मेरी कलम तुम्हारे प्रति आभार प्रकट करना चाहती है।
                                                      -  सुमित पटेल
              बिन बताये हमें दूर तुम यूँ गये,
          छोड़ राधा को बृज में ज्यूँ मोहन गये।
             याद आई तो होगी हमारी प्रिय,
          बोलो क्या थी विवशता तुम्हारी प्रिय।।

   मैंने जमीन पर बैठकर सर झुकाते हुए धरती से कहा,
   माँ! लो मैं हारकर आ गया, मिट्टी में मिलने के लिए।
   जमीं मुस्कराई, चुपके से बोली इन्तज़ार कर लल्ला ,
    तेरी मोहब्बत भी तड़पती है तुझसे मिलने के लिए ।।

      मोहब्बत के अलावा तुम कोई पैगाम मत देना,
      जहां आग़ाज़ में हो छल उसे अंजाम मत देना।
      नहीं वाजिब किसीके दिल को कोई चोट पहुंचाओ,
     "सुमित"तुम प्यार करते हो उसे इल्जाम मत देना।।

      मुझे विश्वास था तुम पर, मुझे विश्वास है तुम पर
      मेरी हर आस थी तुमसे मेरा उल्लास है तुम पर ।
      हुईं जब दूर तुम मुझसे "सुमित" आँखें बहुत रोईं,
      मगर जो प्यार था तुमसे मेरा वो प्यार है तुम पर।।
           
              कैसे बताएं साथी, तेरे बगैर
              कितना टूट गए हैं हम।
             आंखे जागती हैं शब भर ,
             नींद के कर्ज में डूब गए हैं हम।
             कैसा हवा का झोंका आया है,
             अपने दामन से छूट गए हैं हम।
             तू नहीं मुझसे खफा है जाना,
             खुद ही खुदसे रुठ गए हैं हम।
                                             - सुमित पटेल

Thursday, May 24, 2018

बुच्ची भर ही सही, तू मुझे प्यार करती तो होगी।

प्रेम शिकायत नहीं समर्पण तथा प्रतीक्षा का नाम है, अपने प्रिय पर स्वयं समर्पित होकर बस प्रतीक्षा कीजिए। स्मृतियों को मानसपटल पर दोहराते रहिए।

बढ़ती दूरियों का मन ही मन अहसास करती तो होगी,
बातों बातों ही सही किसी से मेरी बात करती तो होगी ।

मेरे शेर सुनकर,आँखों में चमक, दांतो में कलम लेकर,
मुस्कराते होंठों से, 'मतलब'? कहकर टोकती तो होगी।

बेबस होगी तू भी, जो हमें भूलने की बात करती है ,
यादों को मेरी अपने जहन में आने से रोकती न होगी।

यूं मेरा चेहरा दिख जाता होगा तुझे तेरी सूरत में अक्सर,
तू दर्पण के आगे देर तक खुदको निहारती तो होगी।

दूर हूं, टूटा हूँ और जिन्दा भी हूँ ये ताज्जुब की बात है,
यकीनन मेरी सलामती की दुआ रब से करती तो होगी।

मुझसे किया एक वादा तब उसे बहुत अखरता होगा,
किसी के बालों को सँवारकर चोटी करती जो होगी ।

पता है?दो सौ प्रतिशत भरोसा जताती थी मुझपर,
एक दो प्रतिशत भरोसा अब भी तू करती तो होगी।

फोनवा कहां रख लेते हो, तेरे बाद जो दोहराती थीं,
वो तेरी सहेलियां मेरे नाम से तुझे चिढ़ाती तो होंगी,

मेरे जिस प्यार के चित्र में तुमने कुछ रंग भरे थे प्रिय ,
दिल के पन्नों पर बनाकर यादों के रंग भरती तो होगी।

वो तेरा खिलखिलाता चेहरा मेरे मन की धरोहर है ,
टॉम रैमजे की कहानी पर तुझे हंसी आती तो होगी ।

Your love is boundless for meतुमने कहा था,
पता है! बुच्चीभर ही सही,तू मुझे प्यार करती तो होगी।
                                                 सुमित पटेल

Tuesday, May 15, 2018

अच्छा दिल से तनहाई की बात करते हो!

ख़ामख़ा रुसवाई की बात करते हो,
अपने साये से जुदाई की बात करते हो।

ठहर भी जाओ, क़दमो से जमीन नापते हो
लगता है दर्द की दवाई से बात करते हो।

सुनों कभी चीखें मिलेंगीं, माँ बाप की उसमें
किसी शादी में जब शहनाई की बात करते हो।

कोयल अपने बगीचे से रूठी रूठी सी है,
तुम बहारों से अमराई की बात करते हो।

अभी तूफ़ान गुजरा है, मौसम संवरने दो,
बड़े बेसब्र हो , पुरवाई की बात करते हो।

बड़े मुस्कराकर मिलते हो,कुछ तो है
अच्छा!दिल से तन्हाई की बात करते हो।
                  -        सुमित पटेल

Tuesday, May 8, 2018

प्रेम, बोले तो परमात्मा !

किसी ने कहा है कि "मोहब्बत की तारीफ में ज़्यादा मत बोलो,  उसके लिए यही काफी है कि वो मोहब्बत है" सत्य है। क्योंकि प्रेम से व्यापक शायद स्वयं परमात्मा भी नही है, प्रेम की अनुपस्थिति में तो परमात्मा की कल्पना तक नही की जा सकती। देखिए न, पक्षियों का प्रेम किलोल, लहरों का हिलोर, माताओं का प्रेम वात्सल्य, प्रेमियों का प्रणय, अपने से छोटों के प्रति प्रेम स्नेह का रूप ले लेता है। ऐसे ही पुचकार, दुलार, प्रणाम, नमस्ते,आशीर्वाद, हर्ष, उल्लास, रूठने, मनाने, आंसू,वेदना, आदि विभिन्न स्वरूपों द्वारा प्रेम सदैव हमारे पास होता है।

पराई वेदना हंसकर हृदय के तार सहते हैं,
नयन से नीर के निर्झर सदा रसधार बहते हैं।
बहुत हैरान कर दे मन चले कुछ जोर न अपना,
समझ लेना मेरे हमदम इसी को प्यार कहते हैं।

इसी के ढाई आखर में कबीरा भी समाया है,
गरल हो जाएगा अमृत ये मीरा ने बताया है।
समर्पण के अलावा मोल इसका है नहीं कोई,
न पूछो प्यार में किसने कहाँ किसको गंवाया है।

उतर कर खान में रस के कभी रसखान को पढ़ना,
बसी जो ख़्वाब में छवि हो उसे प्रतिमान में गढ़ना।
वफादारी, सजगता और सरलता, हौंसलें रखना,
प्रेम, दुर्गम सी चोटी है, पड़ेगा दूर तक चढ़ना ।
                                      सुमित पटेल

Sunday, May 6, 2018

साहित्य की साधना ही प्रेम की सच्ची पूजा है।

Be positive, please


हवा का रुख़ हो जब विपरीत
लगे जब समय की उलटी रीत
बचा के रखना तुम उम्मीद
मिलेगी बस तुमको ही जीत
कि साथी धीरज रखना,
मितवा धीरज रखना।
पड़ेगा हर शय को बदलना,
कि साथी धीरज रखना।।

मिले जब अपनों से आघात
न करना तुम कोई प्रतिघात
बनेगी बिगड़ी हर इक बात
संभालो बस अपने जज्बात
कि साथी धीरज रखना,
मितवा धीरज रखना।
पड़ेगा हर शय बदलना,
कि साथी धीरज रखना।।
          सुमित पटेल