Sunday, May 6, 2018

साहित्य की साधना ही प्रेम की सच्ची पूजा है।

Be positive, please


हवा का रुख़ हो जब विपरीत
लगे जब समय की उलटी रीत
बचा के रखना तुम उम्मीद
मिलेगी बस तुमको ही जीत
कि साथी धीरज रखना,
मितवा धीरज रखना।
पड़ेगा हर शय को बदलना,
कि साथी धीरज रखना।।

मिले जब अपनों से आघात
न करना तुम कोई प्रतिघात
बनेगी बिगड़ी हर इक बात
संभालो बस अपने जज्बात
कि साथी धीरज रखना,
मितवा धीरज रखना।
पड़ेगा हर शय बदलना,
कि साथी धीरज रखना।।
          सुमित पटेल

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