हे मेरे"प्रेम"तुझे बहुत धन्यवाद कि तुम्हारी वजह से लगता है कि मैंने कुछ अच्छा लिख दिया है,क्योंकि केवल तुम्हें ही लिखना था, लेकिन न जाने कहाँ से कुछ समाज की बातें भी सामने आकर कहने लगीं कि यदि लिखते हो तो हमारा भी ध्यान रखो, इसलिए हे मेरे मन के सबसे प्रिय तुम्हे लिखते लिखते समाज को भी लिखने का हौंसला आ गया, इसलिए हे रूठे साथी तुम्हारे साथ जमाने को भी लेकर चलता हूँ, रूठकर भी साथ निभाना,
तुम्हारा - सुमित
फ़ेसबुकिया दोस्तों, जोश में आओ तो बात बने,
कहां खोये हो, ज़रा होश में आओ तो बात बने ।
कट्टरता व ज़ेहाद का ज़हर ज़हन को मारता है,
सोशल मीडिया को इससे बचाओ तो बात बने।
जाति-पाति, अगड़ा-पिछड़ा ये ले डूबेगा सुन लो,
हिन्दू थे,हिन्दू हो,हिन्दू ही नज़र आओ तो बात बने।
बात घर की है, तुम बाँसुरी बजाओ सँवर जायेगी,
अपनों की लड़ाई से सुदर्शन हटाओ तो बात बनें।
राणा,भीम,पटेल,शिवा,वेवेकानंद जैसे महापुरुष,
सबके हैं, इन्हें किसी जाति का न बनाओ तो बात बने।
कैराना, कश्मीर को भगत सिंह और आज़ाद चाहिए,
जवानों ,ये चोला फिर से बसन्ती रँगाओ तो बात बने।
बुद्धजीवियों धर्मनिरपेक्षता के पहाड़े खूब पढ़ो लेकिन,
रोहंगियों से भी बचने के तरीके बताओ तो बात बनें।
,
क्या?नफ़रत की आंधी के हौसले बढ़ते हैं, तो बढ़ने दो,
मोहब्बत का हिमालय बनके टकराओ तो बात बनें।
दोस्ती,इश्क,वफ़ा,ईमानदारी,सहजता व सरलता नेमत है,
नेटवर्क के साथ साथ इन्हें भी दौड़ाओ तो बात बनें।
वो जाकर फिर नहीं लौटा ये उसकी अपनी मरजी है ,
तुमको किसने रोका है, बार बार बुलाओ तो बात बनें।
इश्क के शहर को रोशन करने की खातिर दिल तो जलता है,
"सुमित"तुम भी प्यार का इक दीप जलाओ तो बात बनें।
सही लगी है हर बात तो, शुक्रिया दिल से है साहब ,
फिर भी इनायत करके कॉमेंट बॉक्स में आओ तो बात बने।
आपका - सुमित पटेल
तुम्हारा - सुमित
फ़ेसबुकिया दोस्तों, जोश में आओ तो बात बने,
कहां खोये हो, ज़रा होश में आओ तो बात बने ।
कट्टरता व ज़ेहाद का ज़हर ज़हन को मारता है,
सोशल मीडिया को इससे बचाओ तो बात बने।
जाति-पाति, अगड़ा-पिछड़ा ये ले डूबेगा सुन लो,
हिन्दू थे,हिन्दू हो,हिन्दू ही नज़र आओ तो बात बने।
बात घर की है, तुम बाँसुरी बजाओ सँवर जायेगी,
अपनों की लड़ाई से सुदर्शन हटाओ तो बात बनें।
राणा,भीम,पटेल,शिवा,वेवेकानंद जैसे महापुरुष,
सबके हैं, इन्हें किसी जाति का न बनाओ तो बात बने।
कैराना, कश्मीर को भगत सिंह और आज़ाद चाहिए,
जवानों ,ये चोला फिर से बसन्ती रँगाओ तो बात बने।
बुद्धजीवियों धर्मनिरपेक्षता के पहाड़े खूब पढ़ो लेकिन,
रोहंगियों से भी बचने के तरीके बताओ तो बात बनें।
,
क्या?नफ़रत की आंधी के हौसले बढ़ते हैं, तो बढ़ने दो,
मोहब्बत का हिमालय बनके टकराओ तो बात बनें।
दोस्ती,इश्क,वफ़ा,ईमानदारी,सहजता व सरलता नेमत है,
नेटवर्क के साथ साथ इन्हें भी दौड़ाओ तो बात बनें।
वो जाकर फिर नहीं लौटा ये उसकी अपनी मरजी है ,
तुमको किसने रोका है, बार बार बुलाओ तो बात बनें।
इश्क के शहर को रोशन करने की खातिर दिल तो जलता है,
"सुमित"तुम भी प्यार का इक दीप जलाओ तो बात बनें।
सही लगी है हर बात तो, शुक्रिया दिल से है साहब ,
फिर भी इनायत करके कॉमेंट बॉक्स में आओ तो बात बने।
आपका - सुमित पटेल
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