ख़ामख़ा रुसवाई की बात करते हो,
अपने साये से जुदाई की बात करते हो।
ठहर भी जाओ, क़दमो से जमीन नापते हो
लगता है दर्द की दवाई से बात करते हो।
सुनों कभी चीखें मिलेंगीं, माँ बाप की उसमें
किसी शादी में जब शहनाई की बात करते हो।
कोयल अपने बगीचे से रूठी रूठी सी है,
तुम बहारों से अमराई की बात करते हो।
अभी तूफ़ान गुजरा है, मौसम संवरने दो,
बड़े बेसब्र हो , पुरवाई की बात करते हो।
बड़े मुस्कराकर मिलते हो,कुछ तो है
अच्छा!दिल से तन्हाई की बात करते हो।
- सुमित पटेल
अपने साये से जुदाई की बात करते हो।
ठहर भी जाओ, क़दमो से जमीन नापते हो
लगता है दर्द की दवाई से बात करते हो।
सुनों कभी चीखें मिलेंगीं, माँ बाप की उसमें
किसी शादी में जब शहनाई की बात करते हो।
कोयल अपने बगीचे से रूठी रूठी सी है,
तुम बहारों से अमराई की बात करते हो।
अभी तूफ़ान गुजरा है, मौसम संवरने दो,
बड़े बेसब्र हो , पुरवाई की बात करते हो।
बड़े मुस्कराकर मिलते हो,कुछ तो है
अच्छा!दिल से तन्हाई की बात करते हो।
- सुमित पटेल
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