Sumit patel , कविता की एक छोटी कलम
Sunday, December 23, 2018
मेरे यार को मनाने में...
Sumit patel
माना कि अब देर नहीं है ऐ नये साल तेरे आने में।
पर मुझे न छेड़ मैं व्यस्त हूं मेरे यार को मनाने में।।
उसकी मुबारक़ रज़ा बिन मज़ा क्या जश्न मनाने में।
जब वो ही मुझसे रूठा है तो बचा क्या इस जमाने में।।
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