Sumit patel
तेरी राह देखूं तो लोग इंतज़ार कहते हैं,
बड़े नासमझ हैं इसे तो प्यार कहते हैं।।
बड़ा नाज़ है तुझको दोनों जहां बनाने पर,
ऐ खुदा उसके बिना हम दुनिया को बेकार कहते हैं।
गुंघरू की छन छन में पांव के छाले रोते हैं,
हद करते हैं आप भी इसे झनकार कहते हैं।
वो मुझसे थोड़ा थोड़ा ख़फ़ा सा क्या हो गया,
मेरे दुश्मन इसे मेरी सबसे बड़ी हार कहते हैं।
मेरे हमदम तेरा हर फ़ैसला कुबूल है मुझको,
तुझे ही हम अपने दिल की सरकार कहते हैं।
हो सके तो उनकी ग़लत फ़हमी ज़रा मिटा देना,
जो ख़ुश होकर तुमको मुझसे बेज़ार कहते हैं।
सुमित'उनके हिस्से में भी कुछ फूल आने चाहिए,
जो हर पल काँटों पर चलने को तैयार रहते हैं।
बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल शायरी
ReplyDeleteतेरी राह देखूं तो लोग इंतज़ार कहते हैं,
ReplyDeleteबड़े नासमझ हैं लोग इसे तो प्यार कहते हैं।।