- SUMIT PATEL
तुम तो साथ ही थे,यहां तो मेरा नसीब ले आया,
तुम पर मरना मेरा मुझे मरने के करीब ले आया।।
आज फिर तुम्हें पुकारा,आज तुम फिर नहीं आए,
कल फिर पुकारूंगा,मैं फिर यही उम्मीद ले आया।।
जिधर भी जाओ इश्क़ में बस दर्द है,तन्हाई है ,
कौन है? किसने मोहब्बत पर GST लगाई है।।
सामने न भी सही मेरी यादों में रोज़ आते हो ,
मेरे मालिक , इसमें भी तेरी ही रहनुमाई है।।
बहुत मजबूर हूं मैं , तुमसे दूर नहीं हूं।
गमों से चूर हूं मैं, मगर मगरूर नहीं हूं।।
मेरे हालात मेरी क़िस्मत की बेवफाई देखो।
मैं जलकर भी तेरी आँखों का नूर नहीं हूं ।।
तुम्हारी चाहत का नशा अब और बेशुमार हो गया है,
मोहब्बत का तीर नज़र से जिगर के पार हो गया है।
मेरी तो तमन्ना यही है कि तुम्हारे ख्यालों में खोया रहूं,
तुम भी खबर ले लो,कि'सुमित'फिरसे बीमार हो गया है।।
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