दोहा छन्द
पागल राही प्रेम का , देखे तेरी राह ।
तेरा नाम पुकारता , मन में तेरी चाह ।। 1
ऊब गया मन साख़ से , गया परिंदा छोड़ ।
देख विवशता पेड़ की , वो जाए किस ओर।। 2
रहें बड़ों के संग हम , जीवन का ये मूल ।
डाली से जब तक जुड़े , लगते सुन्दर फूल।। 3
तेरी खातिर हम जलें , हमको रखना याद ।
बुझता दीपक रात से , बोल पड़ा ये बात ।। 4
मुझमें हो तुम यूँ बसी , तन में जैसे सांस ।
आँखों से हो दूर तुम , मन के कितने पास।। 5
मुझपे हंसती है हंसे , लेकिन रखना याद ।
दुनियां की औकात क्या , जब होगी वो साथ।। 6
सूरज को है डूबना , होगी काली रात ।
खुद से जब बढ़ने लगे ,साये की ओकात।। 7
हंसकर करता मैं विदा , कहते मुझसे आप ।
मेरी तो बस पीर ये , गये छुड़ाकर हाथ ।। 8
आँख लगी थी याद संग , कैसे लगती आँख ।
नींद सुलाकर थक गयी , लौटी खाली हाथ ।। 9
सुनों कभी कुछ कह रही , आँखों की बरसात ।
मन में उठती पीर से , आँसू करते बात ।। 10
तुम निकले हो जीतने , पूरा ये संसार ।
मेरा तो संसार ही , साथी तेरा प्यार ।। 11
- सुमित पटेल
पागल राही प्रेम का , देखे तेरी राह ।
तेरा नाम पुकारता , मन में तेरी चाह ।। 1
ऊब गया मन साख़ से , गया परिंदा छोड़ ।
देख विवशता पेड़ की , वो जाए किस ओर।। 2
रहें बड़ों के संग हम , जीवन का ये मूल ।
डाली से जब तक जुड़े , लगते सुन्दर फूल।। 3
तेरी खातिर हम जलें , हमको रखना याद ।
बुझता दीपक रात से , बोल पड़ा ये बात ।। 4
मुझमें हो तुम यूँ बसी , तन में जैसे सांस ।
आँखों से हो दूर तुम , मन के कितने पास।। 5
मुझपे हंसती है हंसे , लेकिन रखना याद ।
दुनियां की औकात क्या , जब होगी वो साथ।। 6
सूरज को है डूबना , होगी काली रात ।
खुद से जब बढ़ने लगे ,साये की ओकात।। 7
हंसकर करता मैं विदा , कहते मुझसे आप ।
मेरी तो बस पीर ये , गये छुड़ाकर हाथ ।। 8
आँख लगी थी याद संग , कैसे लगती आँख ।
नींद सुलाकर थक गयी , लौटी खाली हाथ ।। 9
सुनों कभी कुछ कह रही , आँखों की बरसात ।
मन में उठती पीर से , आँसू करते बात ।। 10
तुम निकले हो जीतने , पूरा ये संसार ।
मेरा तो संसार ही , साथी तेरा प्यार ।। 11
- सुमित पटेल
No comments:
Post a Comment