Monday, June 11, 2018

गुलिस्तां गुलो गुलज़ार करना है....


सुमित पटेल

 चाहते हो बुलन्दी के शिखर तक पहुंचना है, 
कुत्सित विचारों से तुम्हें बचकर निकलना है।।

माँ बाप की दुआएं करती हैं आसान राहों को,
इनकी सेवा से ही,तेरे स्वर्ग का द्वार खुलना है।।

            दुनिया अपने दांव यहां सब पर आजमाती है,
            तुम्हें अपने इरादों को जरा मजबूत करना है।।

अंधेरों से लड़ना है तो दीपक बनकर जलो,
किसी की खुशयों से जलना, ख़ाक जलना है।।

            दरिया की लहरों से ख़ौफ़ज़दा हो गया है वो,
            जो कहता था कभी, समंदर पार करना है ।।

गिरकर उठना इतना भी आसान नहीं,मगर
धक्का किसका था ये दरयाफ़्त करना है ।।

             ये आरोप सच है,हम अब ज्यादा मुस्कराते हैं
             तुम्हें ज़माने की नजरों में महफ़ूज रखना है ।।

निराशा के अंधेरे में कहीं मैं खो नहीं जाऊं ,
उम्मीद का सूरज तुझे बनकर निकलना है।।

             ख़ूबसूरत वादियों कुछ तरीके तो बताओ,
             उसके गुलिस्तां को गुलो गुलज़ार करना है।।

मौत भी अब व्यंग करके लौट गई,"सुमित"
जिन्दा रहकर भी यहां  हर रोज़ मरना है ।।



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