Thursday, June 7, 2018

ऐ बादल, तू मेरे लिए बस गरजना छोड़ दे ।


भोर पहर शांति प्रिय वातावरण में,
चिड़ियां चहक रही थी।

लोग योगासन, व्यायाम, बच्चे
मैदान में खेल रहे थे।

फूल खिलने को आतुर से,भौंरें
प्रतीक्षारत प्रेमी लग रहे थे।

कि अचानक एक घना अँधेरा
पृथ्वी पर छाने लगा,

ऐसा लगा मानो रात के बाद, फिर से
रात होने वाली है।

चीजें अँधेरे में बदलने लगी, और
आँखों की पुतलियां फैलने लगीं।

फूल भी खिलते खिलते रुक से गये,
भौरें उदासी में डूब गए।

शायद सूरज भी किसी बहकावे में,
आकर छुपकर बैठ गया है।

बड़े जोर से हवा का झोंका आकर
हौले से गुजर गया,

महसूस होने लगा यह कुछ और नहीं,
बादल की अपनी पीड़ा है।

वह अपने किसी प्रिय को मनाना चाहता है,
और सूरज भी उसकी पीड़ा समझकर
कहीं दूर निकल गया है।

हवा ने भी उसका सन्देश वाहक बनना
स्वीकार कर लिया है,

अपने प्रेम को स्पष्ट करने के लिए ,
बादल कितने जतन करता है।

पहले अँधेरा फैलाकर चुपके चुपके,
अपने प्रियतम को खोजता है।

फिर बिजली की टॉर्च जलाकर, प्रिय
को देखना चाहता है ।

पर सफलता नहीं मिलती देख ,
विचारों में खो जाता है।

पुनः तैयार होकर भयंकर रूप
से गरजकर चीखता है।

बार बार गरजता है, और उसे
बार बार पुकारता है।

एक बार फिर से बादल ,
खाली हाथ रह जाता है।

निराश होकर जोर जोर से
रोने लगता है।

झूम झूम कर बरसता है, बादल
रोते, रोते तरसता है ,बादल ।

और फिर बीच बीच में गरजकर,
उसे पुकारता जाता है।

और फिर धीरे धीरे निराश होकर,
बैठ जाता है।

हे प्रिय बादल तुम्हारा ऐसे निराश,
होना नहीं अच्छा ।

लगता तुझे तेरे प्रियतम पर भरोसा
नहीं है सच्चा।

मित्र थोड़ा धीरज भी रखना तो जरूरी है,
सॉरी, मैं क्या जानू तुम्हारी क्या मजबूरी है।

लेकिन फिर भी हे बादल तुम जैसे
भी चाहो करो।

जितना भी बरसकर रोना चाहो रोओ
मेरे आंसुओं को भी साथ ले लो ।

पर हे प्यारे बादल तुमसे एक प्रार्थना है
तुम्हें उसकी सपथ जिसे तुम प्यार करते हो, मान लेना।

सब कुछ करना जो भी अच्छा लगे तुम्हें,
पर अबसे गरजना छोड़ देना।

क्योंकि तू इधर अपने प्रिय के लिए गरजता है,
उधर तेरे गर्जन से मेरा प्रिय चौक जाता होगा।

सच बोलता हूं भाई जब जब भी तू गरजता था,
मेरा साथी हाथों से कान बन्दकरके चौक जाता था ।

उसके चौकने से मेरा कलेजा बैठ जाता था,
दिल पर मानों बिजली सी गिर जाती थी।

हो न हो वो अब भी चौक जाता हो, जब
तेरे गर्जन की कर्कश ध्वनि उसके कानों में लगती हों।

इसलिए हे अम्बर तेरे लिए मैं दुवाएं करूँगा,
तू मेरे लिए बस गरजना छोड़ दे।
हो सके तो तू मेरे लिए ये गरजना छोड़ दे।
तू गरजना छोड़ दे........
 
                        -     सुमित पटेल

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