- Sumit patel
अपनी तो जाहिर कर दी
अब उसकी बारी है।
जंग छिड़े या इश्क निभे ,
पूरी तैयारी है।
जुल्मों की बात करें तो,
अब भी जारी है।
कितना भी हो घना अँधेरा,
जलता दीपक भारी है।
वीराने में दाने बिखरे ,
बैठा कहीं शिकारी है।
मर्जी जितनी उतना दे दो,
गम से रिश्तेदारी है।
यूँ सीने में दर्द का बढ़ना ,
दिल की एक बीमारी है।
वो कब मुझको धोखा देगी,
देख वो जग से न्यारी है ।
मैं और उसे भूल भी जाऊं,
किसकी राय सुमारी है।
कलम लिखेगी केवल सच ही
अपनी भी खुद्दारी है ।
तब भी बस तुमसे ही आशा थी,
अब भी आस तुम्हारी है ।।
पूरी तैयारी है।
जुल्मों की बात करें तो,
अब भी जारी है।
कितना भी हो घना अँधेरा,
जलता दीपक भारी है।
वीराने में दाने बिखरे ,
बैठा कहीं शिकारी है।
मर्जी जितनी उतना दे दो,
गम से रिश्तेदारी है।
यूँ सीने में दर्द का बढ़ना ,
दिल की एक बीमारी है।
वो कब मुझको धोखा देगी,
देख वो जग से न्यारी है ।
मैं और उसे भूल भी जाऊं,
किसकी राय सुमारी है।
कलम लिखेगी केवल सच ही
अपनी भी खुद्दारी है ।
तब भी बस तुमसे ही आशा थी,
अब भी आस तुम्हारी है ।।
बहुत बढ़िया दादा
ReplyDeleteVery nice👍👍
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