Sumit patel , कविता की एक छोटी कलम
Wednesday, June 20, 2018
चलो कुछ मैं बदलता हूं,चलो कुछ तुम बदल जाओ।
- SUMIT PATEL
बहुत कुछ गुनगुनाते हो, कभी मेरी गजल गाओ,
अँधेरों में भटकता हूँ , बनो सूरज, निकल आओ।
मैं तुमको याद कर लूंगा,तुम मुझको याद आ जाना,
सुमित,कुछ मैं बदल जाऊं, कुछ तुम बदल जाओ।।
चलो कुछ मैं बदलता हूं, चलो कुछ तुम बदल जाओ।।।
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