ये पूर्वा प्यार के मोती पवन में जब लुटाएगी,
औ कोयल कंठ से अपने सुरीले गीत गायेगी।
बहुत ढूढेंगीं नज़रें मिलोगे पर न इनको तुम,
मेरे प्रियतम मेरे साथी, तुम्हारी याद आएगी।।
उमड़कर आसमां पर ये बादल फिर से छायेंगें,
कभी गर्जन कभी बिजली कभी बरसात लायेंगें।
बुझेगी प्यास वसुधा की हरी होगी जमीं सारी ,
खिलेंगें पुष्प पौधों पर महक जाएगी हर क्यारी।
मिलन की प्यास तब तेरी मुझे कितना सतायेगी,
मेरे प्रियतम मेरे साथी तुम्हारी याद आएगी ।।
ये पूर्वा प्यार के मोती पवन में जब लुटाएगी..........
मेरी तन्हाई अकेले में करेगी बात जब मुझसे,
उदासी है नहीं अच्छी कहेगी रात ये मुझसे ।
न होगी नींद आँखों में सुकूं मन को न आएगा,
कोई आशिक़ कोई रांझा कोई पागल बतायेगा।
ये दुनिया व्यंग्य उर में धर हमें समझाने आएगी।
मेरे प्रियतम मेरे साथी तुम्हारी याद आएगी ।।
ये पूर्वा प्यार के मोती पवन में जब लुटाएगी,
औ कोयल कंठ से अपने सुरीले गीत गायेगी।
बहुत ढूंढेंगीं नजरें मिलोगे पर न इनको तुम,
मेरे प्रियतम मेरे साथी तुम्हारी याद आएगी।।तुम्हारी याद आएगी।।।
- सुमित पटेल
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