SUMIT PATEL
Kavita ki ek chhoti kalam
खुशयों का खज़ाना हो,होठों पे तराना हो।
साथी तू जहां जाए, क़दमों में जमाना हो।।
सब रिश्ते सुन्दर हों, कभी दूर न अपने हों।
जो तुमने कभी देखे, पूरे हर सपनें हों ।।
हर शाम सुहानी हो, परियों की कहानी हो।
गम दूर रहें तुमसे, हँसती जिन्दगानी हो।।
बहकी पुरवाई हो, ख़ुशबू संग लाई हो ।
तू कदम जहां रख दे,महकी अंगनाई हो।।
चमके से सितारे हो, हर आँख के तारे हो।
दुनिया भी मानेगी, तुम जग से न्यारे हो।।
हर रात दिवाली हो, पूजा की थाली हो ।
होंठों से कही तेरी, हर बात निराली हो ।।
फूलों में बसेरा हो,कलियों का घनेरा हो।
सूरज की किरन के संग, दूर अँधेरा हो।।
पल पल में मस्ती हो,तेरी पलकें हँसतीं हो।
हर खुशियां बसें जाकर,जहां तेरी बस्ती हो।।
रंगीन नज़ारा हो, उल्फत का सहारा हो।
चाहत के बगीचे में, हर फूल तुम्हारा हो।।
गुलज़ार गुलिस्तां हो,तेरे मन में सरसता हो।
अमृत से भरा बादल,छा करके बरसता हो।।
सुन्दर से नज़ारे हों, मौसम में बहारें हों ।
मैं गाऊं जितने भी, हर गीत तुम्हारे हों ।।
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