लो तुमने कर ली मुझसे बात
मन सरोज बेमौसम खिल गया महक उठे जज़्बात
जो तुमने कर ली मुझसे बात
हां तुमने कर ली मुझसे बात
एक प्रतीक्षा में दिन बीते कल परसों और बरसों
प्रेम के घन घिर फिर छाए है फिर से मेघा बरसो
स्वप्न तुम्हारे नयन हमारे देख रहे दिन रात
लो तुमने कर ली मुझसे बात
प्रीत गगन में चंचल चंदा चलता चला अकेला
एकाकी मन में यादों का पुनि पुनि लगता मेला
शहद संलिप्तित बोल तुम्हारे दे गए नयी सौगात
लो तुमने कर ली मुझसे बात
याद तुम्हें भी तो कुछ होंगी भूली बिसरी यादें
अधरों पर आकर रुक जाती होंगी मन की बातें
न कहकर भी कह देते हो हूं 'सुमित''तुम्हारे साथ
लो तुमने कर ली मुझसे बात
गंध तुम्हारे तन की संग संग पवन बहाकर लाई
तेज तुम्हारे रूप से लेकर भोर किरण मुस्काई
फूल खिले उपवन मुस्काए कोयल छेड़े राग
लो तुमने कर ली मुझसे बात