Sumit patel , कविता की एक छोटी कलम
Sunday, June 23, 2019
मर्ज़ी तुम्हारी तुम जिधर जाओगे।
सुना है कि कल परसो कि नरसों में तुम चले जाओगे।
आँख से दूर सही सुमित दिल में मेरे तुम ठहर जाओगे।
तुम्हारी राहों में फ़ूल सा बिखरने का इरादा कर लिया मैंने,
इधर जाओगे कि उधर जाओगे मर्ज़ी तुम्हारी तुम जिधर जाओगे।
Sumit K patel
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