फुर्सत में बैठे हो तो इक काम मेरा तुम कर दो न।
धड़कन में है नाम तुम्हारा तुम धड़कन मेरी पढ़ लो न।
ख़ुद ही ख़ुद का नहीं रहा, हां सच में ये खुदगर्ज़ी है,
फ़िर वही कहानी दोहराकर फिर मुझे सेल्फिश कह दो न।
इसने उसने जाने किसने क्या क्या मुझको बोला है,
मैं ऐसा वैसा कभी नहीं था जानम सबसे कह दो न।
आकर ठहरे थे कुछ दिन से आज मग़र तुम जाते हो,
जाते जाते कुछ अपनी कह दो कुछ मेरी मुझसे सुन लो न।
इस तरह बेरुखी मुझसे तेरी यूं जानम सही नहीं जाती,
हूं निर्दोष अगर तो बरी करो या सजा मुझे तुम दे दो न।
चलो कहो तुम एक कहानी जिसमें राजा रानी हो,
या तुम बिन कैसे मैं जीता हूं मुझसे मेरी सुन लो न।।
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