Sunday, August 4, 2019

तुम्हारी यादें


आज यूं ही अचानक तुम्हारी यादों के संग
एक अज़ब हलचल उठी है मन मे,
दिल के एक कोने में कोई अपरचित सा डर फिर
अभी इतनी खुशी कि शायद तुमने भी मुझे याद किया है।
तुम्हारी यादों में खोकर अक़्सर मैं ख़ुद को खोने से बचा लेता हूं
तुम्हारी यादों से गुफ्तगू करता हूँ कुछ अपने भी किस्से सुना देता हूं
तन्हाई में तुम्हारी यादें गुनगुनाती हैं दिल में मेला कर जाती हैं
भरे मेले में तुम्हारी यादें कभी कभी निपट अकेला कर जाती हैं
सुनो तुम तुम्हें तुम्हारी यादों के चंद किस्से सुनाने वाला हूं
तुम्हारी तरह ये भी बड़ी प्यारी हैं
बड़ी मासूम हैं बिल्कुल तुम्हारे जैसी
मेरे हर अहसास में सांस सांस में रवां होती रहती हैं तुम्हारी यादें
मुस्कुराती हैं कभी बिल्कुल तुम्हारी तरह खिलखिलाकर हँस देती हैं तुम्हारी यादें
मैंने कई बार आँख मिलाकर देखा है ये भी उतनी ही गहरी हैं जितनी गहरी हैं तुम्हारी आँखें
इनके भी अहसास का मिठास बिल्कुल वैसा ही है जैसे मिश्री और शहद में लिपटी रहती हैं तुम्हारी बातें
एक हाथ चेहरे पे रखकर कभी कभी कुछ सोचने लग जाती हैं
लिखते लिखते दांतों से दबाकर कलम को छेड़ने लग जाती हैं
तुम्हारी यादें अक्सर मेरी उलझनों को सुलझा जाती हैं
खुद भी मुस्कराती हैं मेरे दिल को भी हसाँ जाती हैं
सावन की फुहारें जैसी तुम्हारी यादें वीरान मन को हरा भरा कर देती हैं
हाँ तुम्हारी यादें तुम्हारी आहट बनकर मेरे साथ हमेशा रहती हैं
तुम्हारी यादें मेरे जीवन की अमूल्य पूँजी हैं
तुम्हारी यादें मेरी खुशियों की कुँजी हैं
कैसे खोऊँ इन्हें तुम्हारी यादें मेरी धरोहर हैं
तुम्हारी यादें अक्सर कोई न कोई कमाल करती हैं
मेरी मोहब्बत की इबादत को मालामाल करती हैं
कोई क्या कभी समझे कि कितनी खास हैं ये
तुम्हारी अनुपस्थिति में तुम्हारा अहसास हैं ये
यादें बताती हैं तुम्हारी आँखों मे मेरा वो डूब जाना
तुम्हारे कदमों की मिट्टी को उठा माथे से लगा लेना
याद है अब भी तेरे कदमो को बहाने से स्पर्श कर लेना
तेरी मुस्काती आँखों में तेरे मन के भाव पढ़ लेना
तुम्हारी यादों ने बताया है मोहब्बत नाम है तेरा
झुकाकर सर खड़े हैं हम इबादत काम है मेरा
इसी ने तो सिखाया है तुम्हारे बिन मुझे जीना
हृदय से आंख में आये हुए अश्कों को मुझे पीना
तुम्हारी याद में मैंने टूटा कलावा जोड़ रक्खा है
तुम्हारी याद से ही रिश्ता हृदय का जोड़ रक्खा है
तुम्हारी याद के किस्से कभी भी खत्म न होंगें
रहेंगें तब भी ये जिंदा जिंदा जब हम नहीं होंगें
तेरे पलकों के मसकारे तेरी आँखों की गहराई
ग़ुलाबी होंठ वो तेरे तेरे जलवों की अंगड़ाई
चमकता चाँद सा चेहरा केशों की घटा छाई
सोने का बदन तेरा उतर नभ से परी आई
हंसी तेरी महकती सुबह का फ़ूल लगती है
रुबाई सी तेरी बातें हृदय को छूने लगती हैं
कहो कैसे तुम्हारी यादों से अब दूर जाऊंगा
इजाजत मांगता हूं अब इन्हें दिल में बसाऊंगा
इन्हीं के संग रहने दो इन्हें अपना बनाऊंगा
करूँगा शायरी इन पर इन्हें कविता बनाऊंगा।
I miss you😢😢
SUMIT

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