Saturday, October 26, 2019

Happy Diwali , एक गुमनाम चिट्ठी तुम्हारे नाम।


Happy diwali
प्रकाश के पर्व दीपावली की आपको हार्दिक शुभकामनाएं। आज के दिन मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम अयोध्या लौटे थे। सभी अयोध्या वासियों ने घी के दिये जलाकर उनका स्वागत किया था। आज भी जो लोग घर से दूर रहते हैं आज के दिन घर लौट आते हैं। लेकिन आप शायद इसबार नहीं आने वाले हैं, कोई बात नहीं कुछ जरूरी काम होते जिन्हें करना आवश्यक होता है। हम दीपों से आपके नाम की रंगोली बनाकर आपके लिए शुभकामना करेंगें, हो सके तो आप भी मेरे नाम के पहले अक्षर का एक दीप माला बनाने का प्रयास करना,ये न हो सके तो चुपके से एक दीपक मेरा नाम लेकर जलाकर अपने से करीब कहीं रख देना।  सम्भवतः मैं आपकी आदतों से पहले से परिचित हूं, आजकल आप कुछ परेशान से होगे काम का बोझ होगा सफ़ल होने की अनेक चुनौती होगी। पर आप घबराना नहीं, हौसला बुलन्द रखना जीत बस आपकी ही होगी। अक्सर इस महीने में आपको जुक़ाम हो जाया करता था थोड़ी सावधानी रखिएगा।क्योंकि यदि स्वास्थ्य खराब हो तब लक्ष्य की ओर बढ़ने में अनेक अड़चनें आती हैं।सुबह सुबह रोज योगा करने का प्रयास करना ताकि मस्तिष्क स्वस्थ रहे, उदास होने पर मेरी कविताएं पढ़ लिया करना,केवल आपकेलिए ही लिखा है इन्हें। और मैं कर भी क्या सकता हूँ आपके लिए, एक बात और पिछली बार नाराज़ होकर आपने मिठाई भी नहीं खिलाई थी, इस बार ऐसा मत करना। इकट्ठे दोनों बार की उम्मीद में हूं तोड़ मत देना। काश ये चिट्ठी आज ही आपको मिल जाती तो बहुत अच्छा होता अन्यथा जब कभी भी आप इसे पढ़ोगी ये चिट्ठी सार्थक हो ही जाएगी। एक बार फिर से हैप्पी दीवाली, I love you, I miss you, लो हिम्मत करके लिख दी मैने चिट्ठी आपके नाम की बिना आपका नाम लिखे हुए।
                                                     आपका
                                                   सुमित पटेल


Monday, October 7, 2019

भले बाद मुद्दत मग़र बिछड़े मिलते हैं जरूर।


वक़्त तो हर वक़्त हमारा इम्तहान लेता है
हम भी चलो वक़्त का इम्तहान लेकर देखते हैं
बीते हुए लम्हों ने वादा किया था साथ देने का
उन लम्हों को ज़हन में फिर दोहराकर देखते हैं
उसकी तस्वीर क्यों हमेशा धुंधली नज़र आती है
चलो एक बार आँख से पानी पोंछकर देखते हैं
आदतें उसकी अपनाकर उसे मनाने की तमन्ना है
कागज़ पर शेर कुछ उल्टे हाथ से लिखकर देखते हैं
कड़ककर चमकती बिजली के दिल में पीर है कोई
पहले तुम चौंकते थे आज हम चौंककर देखते हैं
गंवारा है नहीं जिसे अपने होंठों पर हमारा नाम तक लाना
हम उसी की याद में जीना गंवारा करके देखते हैं
वो ग़ुलाब की पंखुड़ी सी नाज़ुक तितली सी चंचल है
यूं ही नहीं हम रोज उसे ख्वाब में डूबकर देखते हैं
भले बाद मुद्दत मगर बिछड़े मिलते हैं जरूर 
सुमित कयामत तक उसका इंतज़ार करके देखते हैं।

Saturday, October 5, 2019

मैं तुम्हारे प्रेम को जीता हूँ really



बात इश्क़ की करनी है मोहब्बत और प्यार की करनी है प्रेम के सच्चे स्वरूप को देखना है समझना है मात्र देखना समझना ही नहीं प्रेम को जीना है। किसी के प्रेम में जीना नहीं है वरन किसी के प्रेम को जीना है। क्योंकि किसी के प्रेम में जीना तब तक ही सम्भव है जब तक वह भी तुम्हें प्रेम करे तुम्हारे साथ रहे। परन्तु किसी के प्रेम को जीना सदैव सम्भव है चाहे वह तुम्हें प्रेम करे या न करे तुम्हारे पास हो या दूर कोई फ़र्क नहीं पड़ता। हां एक बात जरूर है किसी के प्रेम में जीने की अपेक्षा किसी के प्रेम को जीना जरा कठिन है। क्योंकि किसी के प्रेम में जीना तो आत्ममुग्धता है किसी के द्वारा स्वयं के लिए किए गए सद्व्यवहार के प्रति भावनात्मक अभिव्यक्ति है कि अमुक व्यक्ति मेरा बड़ा खयाल रखता है वह तो बस मेरे लिए ही बना है आदि आदि। परन्तु प्रेम को जीना ज़रा अलग है दूसरे के प्रति अपने हृदय में प्रेम का बीज बोना प्रेम का वृक्ष लगाना परन्तु अपने लिए कोई भी कामना न करना प्रेम को जीना कहलाता है। सुबह से शाम तक अपने प्रियतम का शुभ सोचना बिना किसी अपेक्षा के प्रियतम की खुशी में अति प्रसन्न होना प्रेम में जीने के लक्षण हैं। इस बात का कभी ध्यान ही नहीं आता कि प्रियतम मेरे लिए क्या कर रहे हैं अपितु मैं प्रियतम के लिए क्या क्या करूँ कैसे उनका और अधिक शुभ कर सकूं पूरी तन्मयता से यही विचार चलते रहते हैं। प्रियतम का शुभ करने की चेष्टा जैसे जैसे बढ़ती जाती है वैसे वैसे हम असहाय होते चले जाते हैं। क्योंकि एक बन्दा जिसे हम बहुत प्यार करते हैं जिसे दुनिया की सारी खुशियां देने की आरजू पाल रखी है और वास्तव में हम उसे कुछ दे नहीं पाते क्योंकि कुछ भी करो प्रेम में कम ही रहता है।और जब मुझे इसका ज्ञान हुआ तब मैंने स्वंय को बड़ा विवश पाया मेरा अहंकार मेरे प्रेम की विवशता के सामने चकनाचूर हो गया ।
हो भी क्यों प्रेमपात्र(जिससे व्यक्ति प्रेम करता है ) के साथ व्यक्ति बिल्कुल असहाय हो जाता है। यही प्रेम की पीड़ा है कि हमें पता ही नहीं चलता कि हम क्या कर सकते हैं हम सबकुछ करना चाहेंगें अपनी प्रेमिका को पूरा ब्रम्हांड देना चाहेंगे! लेकिन हम कर क्या सकते हैं?  मैं भी तुम्हारे प्रेम में असहाय और असमर्थ हो गया हूँ मैं तुम्हारे लिए कुछ कर सकता हूँ या मैंने तुम्हारे लिए कुछ किया है मेरा ये गुमान टूट गया है इस गुमान और अहंकार के टूटने के बाद मेरे पास मात्र तुम्हारा प्रेम बचा है सुद्ध प्रेम अमर प्रेम। अतः मैं स्वयं को तुम्हे समर्पित करके तुम्हारे प्रेम को जीता हूं। तुम्हारे स्वरूप में खो जाता हूँ, तुम्हें अनवरत प्रेम करता हूँ ।
Happy navratri
I love you
I miss you
                                                        Your
                                              Patel sumit(pappu)