बात इश्क़ की करनी है मोहब्बत और प्यार की करनी है प्रेम के सच्चे स्वरूप को देखना है समझना है मात्र देखना समझना ही नहीं प्रेम को जीना है। किसी के प्रेम में जीना नहीं है वरन किसी के प्रेम को जीना है। क्योंकि किसी के प्रेम में जीना तब तक ही सम्भव है जब तक वह भी तुम्हें प्रेम करे तुम्हारे साथ रहे। परन्तु किसी के प्रेम को जीना सदैव सम्भव है चाहे वह तुम्हें प्रेम करे या न करे तुम्हारे पास हो या दूर कोई फ़र्क नहीं पड़ता। हां एक बात जरूर है किसी के प्रेम में जीने की अपेक्षा किसी के प्रेम को जीना जरा कठिन है। क्योंकि किसी के प्रेम में जीना तो आत्ममुग्धता है किसी के द्वारा स्वयं के लिए किए गए सद्व्यवहार के प्रति भावनात्मक अभिव्यक्ति है कि अमुक व्यक्ति मेरा बड़ा खयाल रखता है वह तो बस मेरे लिए ही बना है आदि आदि। परन्तु प्रेम को जीना ज़रा अलग है दूसरे के प्रति अपने हृदय में प्रेम का बीज बोना प्रेम का वृक्ष लगाना परन्तु अपने लिए कोई भी कामना न करना प्रेम को जीना कहलाता है। सुबह से शाम तक अपने प्रियतम का शुभ सोचना बिना किसी अपेक्षा के प्रियतम की खुशी में अति प्रसन्न होना प्रेम में जीने के लक्षण हैं। इस बात का कभी ध्यान ही नहीं आता कि प्रियतम मेरे लिए क्या कर रहे हैं अपितु मैं प्रियतम के लिए क्या क्या करूँ कैसे उनका और अधिक शुभ कर सकूं पूरी तन्मयता से यही विचार चलते रहते हैं। प्रियतम का शुभ करने की चेष्टा जैसे जैसे बढ़ती जाती है वैसे वैसे हम असहाय होते चले जाते हैं। क्योंकि एक बन्दा जिसे हम बहुत प्यार करते हैं जिसे दुनिया की सारी खुशियां देने की आरजू पाल रखी है और वास्तव में हम उसे कुछ दे नहीं पाते क्योंकि कुछ भी करो प्रेम में कम ही रहता है।और जब मुझे इसका ज्ञान हुआ तब मैंने स्वंय को बड़ा विवश पाया मेरा अहंकार मेरे प्रेम की विवशता के सामने चकनाचूर हो गया ।
हो भी क्यों प्रेमपात्र(जिससे व्यक्ति प्रेम करता है ) के साथ व्यक्ति बिल्कुल असहाय हो जाता है। यही प्रेम की पीड़ा है कि हमें पता ही नहीं चलता कि हम क्या कर सकते हैं हम सबकुछ करना चाहेंगें अपनी प्रेमिका को पूरा ब्रम्हांड देना चाहेंगे! लेकिन हम कर क्या सकते हैं? मैं भी तुम्हारे प्रेम में असहाय और असमर्थ हो गया हूँ मैं तुम्हारे लिए कुछ कर सकता हूँ या मैंने तुम्हारे लिए कुछ किया है मेरा ये गुमान टूट गया है इस गुमान और अहंकार के टूटने के बाद मेरे पास मात्र तुम्हारा प्रेम बचा है सुद्ध प्रेम अमर प्रेम। अतः मैं स्वयं को तुम्हे समर्पित करके तुम्हारे प्रेम को जीता हूं। तुम्हारे स्वरूप में खो जाता हूँ, तुम्हें अनवरत प्रेम करता हूँ ।
Happy navratri
I love you
I miss you
Your
Patel sumit(pappu)
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