Monday, July 30, 2018

महक तेरी किधर नहीं।

       
                                       SUMIT PATEL
घर वही दर वही
नगर वही डगर वही
तय हुआ था जो कभी
है अभी सफर वही
मैं वही नजर वही
तीर वही जिगर वही
ख़ुशबू भरी वादियों में
महक तेरी किधर नहीं।

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