Saturday, February 23, 2019
Sunday, February 10, 2019
मेरी आँखें तुम्हारे ख़्वाब की दीवानी रहती हैं।
(1)
तेरी कलाई पर लाल धागा देखकर अच्छा तो बहुत लगा मग़र,
कभी बेरुख़ी से कलावा काटकर तूने फेका था वो बात ताज़ी भी हो गई।।
(2)
बीते सुहाने पल पुराने प्यार के मौसम नहीं होंगे।
बदलते वक़्त में तुम कहीं होगे हम कहीं होंगे।
अबके सरस्वती पूजा का कलावा न फेक देना तुम,
बड़ा मायूस होगा वो उठाने को जब हम नहीं होंगें।।
(3)
चली आया करो तुम ख़्वाब में तुमको कसम मेरी,
मेरी आँखें तुम्हारे ख़्वाब की दीवानी रहती हैं।
(4)
तुमसे शिकायत नहीं कि तुम रुठकर गये मुझसे,
मलाल तो ये है कि मुझमें कोई कमी रही होगी।
तुम बस ये बता दो भले ही मेरा दिल रखने को,
दूर जाकर तेरी आँखों में कुछ तो नमी रही होगी।।
Saturday, February 9, 2019
गाता हूँ माँ महिमा तेरी शब्दों पर अधिकार बंधा दो।
Sumit patel
अम्बे तेरी माया न्यारी भक्ति का संसार दिला दो।
गाता हूं माँ महिमा तेरी शब्दों पर अधिकार बंधा दो।
माया के इस मद के कारण जन जन में कटुता फैली,
सबमें प्रेम जगाकर मैया मानवता की राह दिखा दो।।
सकल चराचर बालक तेरे तुमही जग की जननी हो।
छाया बनकर छाया करती तुम ही असुर मर्दनी हो।
क्षमा दया के संग में माता साहस धीरज शौर्य जगा दो।
गाता हूं माँ महिमा तेरी शब्दों पर अधिकार बंधा दो।।
श्वेत वसन कर माला वीणा करती हंस सवारी माँ।
हाथ जोड़कर विनती करते सुन लो अरज़ हमारी माँ।
बुद्धि प्रदाता हे जग माता उर में ज्ञान की ज्योति जला दो।
गाता हूं माँ महिमा तेरी शब्दों पर अधिकार बंधा दो।।
सज़दे में सर झुकाकर इबादत की बात करते हैं।
Sumit patel
आओ आज फ़िर तुमसे मोहब्बत की बात करते हैं।
सज़दे में सर जुकाकर इबादत की बात करते हैं।
'मतलब','पता है' कभी जोर से तेरा 'हाँ भाई' कह देना,
मेरी यादों में बसी तेरी पुरानी आदत की बात करते हैं।
कहो सच है न! कभी तुम्हें भी हमारी फ़िकर होती थी,
ख़ुशबू से भरे उस दौर की नज़ाकत की बात करते हैं।
कितनी ख़ुशी कितना सुकून मिला है तेरी मोहब्बत में,
ये इनायत तेरी है फिर से इनायत की बात करते हैं।
चाँद तारों से कहीं ज्यादा मेरे लिए तुम जरूरी हो,
अपनी जिंदगी में तुम्हारी ज़रूरत की बात करते हैं।
हमें मालूम है मुझे तुम भी याद करते हो,मगर फ़िर भी,
तेरे दिल से मोहब्बत की हिफाजत की बात करते हैं।
तुझको भूल जाने की शर्त हरगिज़ गंवारा नहीं मुझको,
अगर ये बग़ावत है तो हम बग़ावत की बात करते हैं।।
तुम अपने हो तुमसे इतनी तो नोंक-झोंक बनती है मेरी,
तुम ये न समझ लेना तुमसे शिकायत की बात करते हैं।।
Sunday, February 3, 2019
देर क्यों प्रभु।
Sumit
रचना काल- 7/11/2018
हे राम एक बार फिर तुम्हारा वनवास समाप्त हुआ
हर बार की तरह फिर तुम्हारी अगवानी में दीप जलाए गए।
पटाखों और पर्यावरण की बहस जारी रही
चीनी झालर बहिष्कार के बावजूद जगमगाते रहे।
बाग़ लोगो ने रंगोली भी क्या खूब सजाई
बन्दनवारों की तरह छतों पर झालर चमकते रहे
पटाखे, मस्ताब,फुलजरियों के साथ तेज आवाज के गोले भी गरजते रहे।
एक बार आपको चौदह वर्ष का वनवास क्या मिला
हर बरस बार बार वनवास समाप्त हो ही जाता है
इतना बड़ा घोर अन्याय क्यूं कर प्रभू
माना कि आप परमात्मा हो,रावण विजेता हो
पर इसका अर्थ ये तो नहीं कि आप न्याय न करो
अपना वनवास बार बार समाप्त करो प्रभू पर
निज जन के वनवास का भी तो कुछ स्मरण करो
वह छण भी आये जब हमारा भी अज्ञातवास पूरा हो।
घर में ही नहीं प्रभु मन भी पुनः सवेरा हो।
यदि ऐसा नहीं तो हे राम मुबारक आपको आपकी दीवाली है,
आप रहो प्रकाश पुन्ज बनकर अपनी हर रात अमावश सी काली है।
माफ़ करना प्रभु ह्र्दय विदीर्ण हुआ शिकायत कर बैठा,
अंजान बन्दा हूं कोई परमात्मा नहीं हिमाकत कर बैठा।
आप ही तो कहते हैं कि खेती सूख जाये तो बारिश से क्या फायदा,
प्यास से मृत व्यक्ति को अमृत का कलश देना बेकार है।
यदि करुणा निधन हो तो करुणा करने में देर क्यों प्रभु,
आपके होते हुए भी किसी की दुनियां में अंधेर क्यों प्रभु
रचना काल- 7/11/2018
हे राम एक बार फिर तुम्हारा वनवास समाप्त हुआ
हर बार की तरह फिर तुम्हारी अगवानी में दीप जलाए गए।
पटाखों और पर्यावरण की बहस जारी रही
चीनी झालर बहिष्कार के बावजूद जगमगाते रहे।
बाग़ लोगो ने रंगोली भी क्या खूब सजाई
बन्दनवारों की तरह छतों पर झालर चमकते रहे
पटाखे, मस्ताब,फुलजरियों के साथ तेज आवाज के गोले भी गरजते रहे।
एक बार आपको चौदह वर्ष का वनवास क्या मिला
हर बरस बार बार वनवास समाप्त हो ही जाता है
इतना बड़ा घोर अन्याय क्यूं कर प्रभू
माना कि आप परमात्मा हो,रावण विजेता हो
पर इसका अर्थ ये तो नहीं कि आप न्याय न करो
अपना वनवास बार बार समाप्त करो प्रभू पर
निज जन के वनवास का भी तो कुछ स्मरण करो
वह छण भी आये जब हमारा भी अज्ञातवास पूरा हो।
घर में ही नहीं प्रभु मन भी पुनः सवेरा हो।
यदि ऐसा नहीं तो हे राम मुबारक आपको आपकी दीवाली है,
आप रहो प्रकाश पुन्ज बनकर अपनी हर रात अमावश सी काली है।
माफ़ करना प्रभु ह्र्दय विदीर्ण हुआ शिकायत कर बैठा,
अंजान बन्दा हूं कोई परमात्मा नहीं हिमाकत कर बैठा।
आप ही तो कहते हैं कि खेती सूख जाये तो बारिश से क्या फायदा,
प्यास से मृत व्यक्ति को अमृत का कलश देना बेकार है।
यदि करुणा निधन हो तो करुणा करने में देर क्यों प्रभु,
आपके होते हुए भी किसी की दुनियां में अंधेर क्यों प्रभु
Saturday, February 2, 2019
तेरा ज्ञान भी मस्त हो विज्ञान भी मस्त हो
Sumit patel
महकती फ़िज़ाओं के आलम में,
मस्त रहे तेरा फूल सा जीवन।
मस्त हो फ़ागुन की पुरवाई तेरी,
मस्त रहे तेरा हर एक सांवन।
मस्त रहे तेरे उल्टे हाथ की लिखावट।
रहे मस्त तेरे मासूम चेहरे की बनावट।
मस्त रहे वो आँगन जहाँ तेरे कदम पड़ जाएं,
मस्त रहे हमेशा तेरी ज़िन्दगी की सजावट।।
तेरा खिलखिलाकर हंसना सदा मस्त रहे।
वो क़ातिल मुस्कान तेरी और भी मस्त रहे।
मस्त रहे तेरी नज़रों का मुझसे नाराज होना,
मुझसे दूर होकर तेरा हर एक पल मस्त रहे।।
मस्त रहे हर वो शक़्स जिसे तेरी झलक मिले।
मस्ती ही मस्ती जहाँ में तुझे दूर तलक मिले।
मस्त रहे ज़माने में मेरी जान तेरा अल्हड़पन,
मुझे भी मस्ती भरी तेरी याद की अनहलक मिले।।
तेरा आत्म गौरव स्वाभिमान मस्त हो।
जीवन की हर एक दास्तान मस्त हो।
ऐ ख़ुदा मस्त हो तेरा हर एक करिश्मा,
अंग्रेजी तो ठीक है विज्ञान भी मस्त हो।।
मेरा क्या! मेरी जान मैं भी तेरी मस्ती में मस्त रहूँ।
रात दिन तेरी सुहानी फूल सी यादों में व्यस्त रहूँ।
तुझे मनाने को क्या क्या जतन न कर डाला"सुमित"
आगे भी बस तुझको ही लिखने में अभ्यस्त रहूँ।।
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