Sumit patel
आओ आज फ़िर तुमसे मोहब्बत की बात करते हैं।
सज़दे में सर जुकाकर इबादत की बात करते हैं।
'मतलब','पता है' कभी जोर से तेरा 'हाँ भाई' कह देना,
मेरी यादों में बसी तेरी पुरानी आदत की बात करते हैं।
कहो सच है न! कभी तुम्हें भी हमारी फ़िकर होती थी,
ख़ुशबू से भरे उस दौर की नज़ाकत की बात करते हैं।
कितनी ख़ुशी कितना सुकून मिला है तेरी मोहब्बत में,
ये इनायत तेरी है फिर से इनायत की बात करते हैं।
चाँद तारों से कहीं ज्यादा मेरे लिए तुम जरूरी हो,
अपनी जिंदगी में तुम्हारी ज़रूरत की बात करते हैं।
हमें मालूम है मुझे तुम भी याद करते हो,मगर फ़िर भी,
तेरे दिल से मोहब्बत की हिफाजत की बात करते हैं।
तुझको भूल जाने की शर्त हरगिज़ गंवारा नहीं मुझको,
अगर ये बग़ावत है तो हम बग़ावत की बात करते हैं।।
तुम अपने हो तुमसे इतनी तो नोंक-झोंक बनती है मेरी,
तुम ये न समझ लेना तुमसे शिकायत की बात करते हैं।।
बहुत अच्छा भैया
ReplyDeleteThank you
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