(1)
तेरी कलाई पर लाल धागा देखकर अच्छा तो बहुत लगा मग़र,
कभी बेरुख़ी से कलावा काटकर तूने फेका था वो बात ताज़ी भी हो गई।।
(2)
बीते सुहाने पल पुराने प्यार के मौसम नहीं होंगे।
बदलते वक़्त में तुम कहीं होगे हम कहीं होंगे।
अबके सरस्वती पूजा का कलावा न फेक देना तुम,
बड़ा मायूस होगा वो उठाने को जब हम नहीं होंगें।।
(3)
चली आया करो तुम ख़्वाब में तुमको कसम मेरी,
मेरी आँखें तुम्हारे ख़्वाब की दीवानी रहती हैं।
(4)
तुमसे शिकायत नहीं कि तुम रुठकर गये मुझसे,
मलाल तो ये है कि मुझमें कोई कमी रही होगी।
तुम बस ये बता दो भले ही मेरा दिल रखने को,
दूर जाकर तेरी आँखों में कुछ तो नमी रही होगी।।
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