Thursday, January 17, 2019

बिछड़े यार को.......मैं वचन......... आया हूँ


                         Sumit patel


उसके तन की ख़ुशबू मन में समेट के लाया हूँ।
मेरे महबूब की निंगाहों में मैं डूब के आया हूँ।

मेरे चेहरे की चमक को मत पूछ मेरे हमदम,
बिछड़े यार को बड़े करीब से देख के आया हूँ।

माना कि उससे जो कहना था,कह न सका ,
मगर कुछ फेक के और कुछ लपेट के आया हूँ।

जिसकी ख़बर के लिए शामोसहर बेख़बर रहता था,
उससे खुद ही मैं उसका हाल-चाल पूछ के आया हूँ।

उदासी,निराशा,हताशा,बेचैनी,घबराहट में फंसा था,
उसकी मुस्कान के मरहम से सारे जख्म भरके आया हूँ।

वो गुस्से में है,रूठा है कि ख़फा है मुझसे,
मैं भरम में था,भरम सारे तोड़ के आया हूँ ।

इबादत किया है इबादत ही करूंगा ये वचन है तुमसे,
ये मेरा वचन ही मैं तेरे कदमों में छोड़ के आया हूँ।


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