मेरी आँखों में दिखता हो वो सच्चा हाल कह देना।
नहीं सम्भव अगर है आज तो तुम काल कह देना।
मेरी कविता को सुनने वालों तुम पर कर्ज़ है मेरा,
कभी तुमसे मिले उसको मुबारक साल कह देना।
वफ़ादारी ,भरोसे की कमाई साथ ले करके।
चले आओ नूतन वर्ष कुछ विस्वास ले करके ।
नये नम्बर से कोई कॉलआई तो लगा मुझको,
तुम्हारा फ़ोन आया है बधाई साथ ले करके ।
दिनकर उदित होकर सुबह जब व्योम में जाना।
जाना खुली छत पर वहां जाकरके रुक जाना।
सुनो सूरज मेरी जाना कभी छत पर जो आ जाए,
किरणों से बधाई दे उन्हें स्पर्श कर आना ।।
सितारे संग में लेकर वो बड़ा इतराके आया था।
चमकता चाँद मेरे पास ज़रा इठलाके आया था।
उसीसे कह दिया मुबारक़बाद मेरे यार को देना,
गगन का चाँद मेरे चाँद से शरमाके आया था।।
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