Saturday, November 10, 2018

तेरी सूरत में मुझको ख़ुदा चाहिए।

               
                           Sumit patel 
तुम कहो तो कहूं मुझको क्या चाहिए,
तेरी सूरत में मुझको ख़ुदा चाहिए।

तुम ये मानो न मानो है हक़ीक़त यही,
तेरी यादों का जंगल घना चाहिए ।

तुमको चाहूं तुम्हारी इबादत करूँ,
तुझसे मेरे ख़ुदा ये रज़ा चाहिए ।

है वीरान सी मन की बगिया मेरी,
एक तू ही मुझे बागबाँ चाहिए ।

शामो ओ सहर तुम ज़ेहन में रहो,
दिल में मेरे सदा ये सदा चाहिए ।

दिल है मेरा तुम्हारा ही अपना मकाँ,
तेरा आना वज़ह बेवज़ह चाहिए ।

दूर होकर भी कहां तुम दूर होते हो,
तुम मुझमें हो मुझे और क्या चाहिए।

देखो कभी मुझसे नजर न फ़ेर लेना,
सुमित को तुम्ही तुम रहनुमा चाहिए।।

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