Sumit patel , कविता की एक छोटी कलम
Monday, November 12, 2018
एक बार फिर तुम हाथ जोड़ के रुला गये।
Sumit patel
चलो अच्छा हुआ कि
तुम आ गए ,
उजड़ी नैनों की दुनिया
फिर बसा गए ।
तुम अचानक से मुझको क्या मिले,
दिल में बिजली बनकर समा गए।
आओ एक बार फिर मैं तुम्हारे कदम छू लूँ,
एक बार फिर तुम हाथ जोड़ के रुला गये।।
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