SUMIT PATEL
तेरे क़दमो में झुका दिया मैंने मेरे सर को,
तमन्ना है इतनी रखूं ऊंचा सदा तेरे सर को।।
रस्म ए उल्फत को चलो मिलकर निभाते हैं,
मोहब्बत में किनारे से न मैं सरकूं न तुम सरको।।
किसी बन्दिश की खातिर सरकना गर जरूरी है,
सरकना है तो सरको कलम करके मेरे सर को।।
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