Sumit patel , कविता की एक छोटी कलम
Thursday, November 22, 2018
खुदगर्ज़ हूं मग़र इतना नहीं
Sumit patel
तेरे भरोसे रहकर मुझे मेरी क़िस्मत आजमाना है।
नफ़रत का पहाड़ काटकर मोहब्बत का दरिया बहाना है।
खुदगर्ज़ हूँ मग़र इतना नहीं कि तेरे इश्क़ पर अफ़सोस करूं,
मेरी जान तुझसे ये मेरा प्यार मुझे आखिरी दम तक निभाना है।।
खुदगर्ज़=selfish.
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