Tuesday, November 13, 2018

वो मेरी समस्याओं का मुझे हल दे गया ।

           Kavita ki ek chhoti kalam


समझौता कर लेते हैं,
अक्सर ज़िन्दगी में ऐसे पल आ ही जाते हैं,
विवशता की बेड़ियां परिस्थितियों को जकड़ लेती है,
समस्याएं जटिल होकर हौंसले को रौंदना चाहती हैं,
जिजीविषा तमस के आवरण को लपेटकर सो जाती है,
वेदना के उत्तुंग शिखर से अश्रु धार निर्झर बन बह निकलती है,
और फिर अचानक!
धैर्य रखना,राह तकना,मंजिल मिलेगी मन से आत्मा विरहणी कह गुजरती है।
पल तो पल में बीत जाएगा हर्ष का हो या विषाद का,
यत्किंचित वृतांत रह जाएगा भविष्य में अनुवाद का,
छूटना, जकड़ने का और टूटना, बेड़ियों का आगामी अर्थ होता है
और परिस्थितियों का रोना रोना कर्मवाद में सदैव व्यर्थ होता है,
समस्याएं जितना विवश करेंगी, हौंसला उतना ही अदम्य होगा,
संघर्षों से जूझकर आया परिणाम अतुलनीय और सुरम्य होगा,
ऐसे में उसका अकस्मात सम्मुख आ जाना मेरे हौंसले को संबल दे गया,
मौन रहकर ही सही "सुमित" वो मेरी समस्याओं का मुझे हल दे गया।
जिसकी तलाश मैं ख़्वाबों मे करता था वो अपनी झलक मुझे कल दे गया,
मेरा विश्वाश जीवन्त कर गया, मानो वो डूबते को तिनके का बल दे गया।।


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