Sunday, December 29, 2019

Happy new year part 1

Best wishes
नव वर्ष आपके जीवन में सफलता,सुख, समृद्धि और आनन्द का सूचक हो।

दिवस माह सब बीत गए ये साल भी जाने वाला है।
बदलाव की नूतन गंगा में फिर समय नहाने वाला है।
परिवर्तन की इस नौका में बैठो खुद ही पतवार बनो,
तुम जिधर चलोगे उधर चलेगा साल जो आने वाला है।
नव वर्ष मंगलमय हो।
Best of luck
Happy new year .
Love you..

Sunday, December 15, 2019

सिलसिले तेरी मोहब्बत के


बिछड़ने वाले तेरी मोहब्बत के सिलसिले भी अजीब हैं
तसवीर सीने से लगाता हूं कभी तेरे दस्तख़त चूम लेता हूँ।

वो बदल गया है भरोसा इस बात पर भला मैं कैसे करलूं
तसवीर में वही भोलापन साइन का स्टाइल भी पुराना है।

मत फैलाओ ये अफवाह वो नाराज़ है मुझसे
पिछले दफ़ा मिली थी तो मुस्कुराके मिली थी।
                                          sumit patel...

Sunday, December 1, 2019

Happy birthday जन्मदिन है तेरा प्यारे मुबारकबाद देनी है।


अपार हर्ष हो रहा है आज पोस्ट करते हुए। माफी चाहता हूं थोड़ा देर से कर पाया क्योंकि काफी दिनों से रोज लिख रहा था पर पूरा नहीं कर पा रहा था। विगत मास में आपका जन्मदिवस था और मेरे पास उपहार देने के लिए मेरी भावनाओं के अतिरिक्त और कुछ नहीं है।
Happy birthday dear
सुमित

होठों पर मुस्कान रहे और जीवन में खुशहाली हो।
महके महके फूल खिलें हर ओर तेरे हरियाली हो।
जन्म दिवस की ढेर बधाई अन्तस् की गहराई से,
होली सा हर दिन हो तेरा हर रात तेरी दीवाली हो।१

बड़े बैलून ब्ल्यू रंग के हवा में फोड़कर आए।
जनम दिन की मुबारकबाद भी दिल खोलकर लाए।
कभी मिलना तुम्हें भी हम कसम से पार्टी देंगें,
अकेले  याद  में  तेरी  समोसे  तोड़कर  आए।।२

तुम्हारी याद न आई हो ऐसा कौन सा दिन था,
तुम्हारी याद लेकिन आज मुझे भरपूर आई है।
ख़ुशी का पल सजा आलम तमन्ना न अधूरी हो,
जनमदिन की मुबारक़बाद बधाई हो बधाई है।।३

सदा खुशियों की दुनिया मे तुम्हारा बसेरा हो।
सुहानी हो शाम महकता हर एक सवेरा हो।
जन्मदिवस कुछ इस तरह मुबारक हो सुमित,
बनो चमन के फूल तुम्हें खुशबुओं ने घेरा हो।।४

मन शांत रहे हिमगिरि जैसा।
तन महके तेरा सन्दल सा।
यश कीर्ति बढ़े अम्बर जैसी,
हो निर्मलता गंगा जल जैसा।।५

सितारों से भरा आंगन महकती रात देनी है।
चमन के फूल तुम मेरे तुम्हे सौगात देनी है।
तुम्हारे व्यस्त जीवन से कुछ पल सुमित दे दो,
जनम दिन की तुम्हें प्यारे मुबारकबाद देनी है।।६

चमकता चांद सा चेहरा हँसी से फूल खिल जाए।
तेरी गहरी सी आंखों से समंदर खुद लजा जाए।
केश  तेरे  घने  काले  घटा  के  रूप  लगते  हैं,
सुरीला कंठ कोयल सा गज़ल बोली से बन जाए।।७

आना  मुबारक़ हो  तुझे जाना  मुबारक़ हो।
प्यार का  हर  एक अफ़साना  मुबारक़ हो।
तोहफ़े  में  तुम्हें  देने  तुम्हारे गीत  लाया हूँ,
जनमदिन पर तुझे मेरा नज़राना मुबारक़ हो।।८

खुशयों का खज़ाना हो,होठों पे तराना हो।
साथी तू जहां जाए, क़दमों में जमाना हो।।

सब रिश्ते सुन्दर हों, कभी दूर न अपने हों।
जो तुमने  कभी देखे, पूरे  हर  सपनें  हों ।।

हर शाम सुहानी हो, परियों की कहानी हो।
गम  दूर  रहें तुमसे, हँसती जिन्दगानी हो।।

बहकी  पुरवाई हो, ख़ुशबू  संग लाई हो ।
तू कदम जहां रख दे,महकी अंगनाई हो।।

चमके से सितारे हो, हर आँख के तारे हो।
दुनिया भी  मानेगी, तुम  जग से न्यारे हो।।

हर रात दिवाली हो, पूजा की थाली हो ।
होंठों से कही तेरी, हर बात निराली हो ।।

फूलों में बसेरा हो,कलियों का घनेरा हो।
सूरज की किरन के संग, दूर अँधेरा हो।।

पल पल में मस्ती हो,तेरी पलकें हँसतीं हो।
हर खुशियां बसें जाकर,जहां तेरी बस्ती हो।।

रंगीन  नज़ारा  हो, उल्फत  का सहारा हो।
चाहत के  बगीचे में, हर फूल  तुम्हारा हो।।

गुलज़ार गुलिस्तां हो,तेरे मन में सरसता हो।
अमृत से भरा बादल,छा करके बरसता हो।।

सुन्दर  से  नज़ारे हों, मौसम  में बहारें हों ।
मैं  गाऊं  जितने भी, हर गीत  तुम्हारे हों।।


Saturday, October 26, 2019

Happy Diwali , एक गुमनाम चिट्ठी तुम्हारे नाम।


Happy diwali
प्रकाश के पर्व दीपावली की आपको हार्दिक शुभकामनाएं। आज के दिन मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम अयोध्या लौटे थे। सभी अयोध्या वासियों ने घी के दिये जलाकर उनका स्वागत किया था। आज भी जो लोग घर से दूर रहते हैं आज के दिन घर लौट आते हैं। लेकिन आप शायद इसबार नहीं आने वाले हैं, कोई बात नहीं कुछ जरूरी काम होते जिन्हें करना आवश्यक होता है। हम दीपों से आपके नाम की रंगोली बनाकर आपके लिए शुभकामना करेंगें, हो सके तो आप भी मेरे नाम के पहले अक्षर का एक दीप माला बनाने का प्रयास करना,ये न हो सके तो चुपके से एक दीपक मेरा नाम लेकर जलाकर अपने से करीब कहीं रख देना।  सम्भवतः मैं आपकी आदतों से पहले से परिचित हूं, आजकल आप कुछ परेशान से होगे काम का बोझ होगा सफ़ल होने की अनेक चुनौती होगी। पर आप घबराना नहीं, हौसला बुलन्द रखना जीत बस आपकी ही होगी। अक्सर इस महीने में आपको जुक़ाम हो जाया करता था थोड़ी सावधानी रखिएगा।क्योंकि यदि स्वास्थ्य खराब हो तब लक्ष्य की ओर बढ़ने में अनेक अड़चनें आती हैं।सुबह सुबह रोज योगा करने का प्रयास करना ताकि मस्तिष्क स्वस्थ रहे, उदास होने पर मेरी कविताएं पढ़ लिया करना,केवल आपकेलिए ही लिखा है इन्हें। और मैं कर भी क्या सकता हूँ आपके लिए, एक बात और पिछली बार नाराज़ होकर आपने मिठाई भी नहीं खिलाई थी, इस बार ऐसा मत करना। इकट्ठे दोनों बार की उम्मीद में हूं तोड़ मत देना। काश ये चिट्ठी आज ही आपको मिल जाती तो बहुत अच्छा होता अन्यथा जब कभी भी आप इसे पढ़ोगी ये चिट्ठी सार्थक हो ही जाएगी। एक बार फिर से हैप्पी दीवाली, I love you, I miss you, लो हिम्मत करके लिख दी मैने चिट्ठी आपके नाम की बिना आपका नाम लिखे हुए।
                                                     आपका
                                                   सुमित पटेल


Monday, October 7, 2019

भले बाद मुद्दत मग़र बिछड़े मिलते हैं जरूर।


वक़्त तो हर वक़्त हमारा इम्तहान लेता है
हम भी चलो वक़्त का इम्तहान लेकर देखते हैं
बीते हुए लम्हों ने वादा किया था साथ देने का
उन लम्हों को ज़हन में फिर दोहराकर देखते हैं
उसकी तस्वीर क्यों हमेशा धुंधली नज़र आती है
चलो एक बार आँख से पानी पोंछकर देखते हैं
आदतें उसकी अपनाकर उसे मनाने की तमन्ना है
कागज़ पर शेर कुछ उल्टे हाथ से लिखकर देखते हैं
कड़ककर चमकती बिजली के दिल में पीर है कोई
पहले तुम चौंकते थे आज हम चौंककर देखते हैं
गंवारा है नहीं जिसे अपने होंठों पर हमारा नाम तक लाना
हम उसी की याद में जीना गंवारा करके देखते हैं
वो ग़ुलाब की पंखुड़ी सी नाज़ुक तितली सी चंचल है
यूं ही नहीं हम रोज उसे ख्वाब में डूबकर देखते हैं
भले बाद मुद्दत मगर बिछड़े मिलते हैं जरूर 
सुमित कयामत तक उसका इंतज़ार करके देखते हैं।

Saturday, October 5, 2019

मैं तुम्हारे प्रेम को जीता हूँ really



बात इश्क़ की करनी है मोहब्बत और प्यार की करनी है प्रेम के सच्चे स्वरूप को देखना है समझना है मात्र देखना समझना ही नहीं प्रेम को जीना है। किसी के प्रेम में जीना नहीं है वरन किसी के प्रेम को जीना है। क्योंकि किसी के प्रेम में जीना तब तक ही सम्भव है जब तक वह भी तुम्हें प्रेम करे तुम्हारे साथ रहे। परन्तु किसी के प्रेम को जीना सदैव सम्भव है चाहे वह तुम्हें प्रेम करे या न करे तुम्हारे पास हो या दूर कोई फ़र्क नहीं पड़ता। हां एक बात जरूर है किसी के प्रेम में जीने की अपेक्षा किसी के प्रेम को जीना जरा कठिन है। क्योंकि किसी के प्रेम में जीना तो आत्ममुग्धता है किसी के द्वारा स्वयं के लिए किए गए सद्व्यवहार के प्रति भावनात्मक अभिव्यक्ति है कि अमुक व्यक्ति मेरा बड़ा खयाल रखता है वह तो बस मेरे लिए ही बना है आदि आदि। परन्तु प्रेम को जीना ज़रा अलग है दूसरे के प्रति अपने हृदय में प्रेम का बीज बोना प्रेम का वृक्ष लगाना परन्तु अपने लिए कोई भी कामना न करना प्रेम को जीना कहलाता है। सुबह से शाम तक अपने प्रियतम का शुभ सोचना बिना किसी अपेक्षा के प्रियतम की खुशी में अति प्रसन्न होना प्रेम में जीने के लक्षण हैं। इस बात का कभी ध्यान ही नहीं आता कि प्रियतम मेरे लिए क्या कर रहे हैं अपितु मैं प्रियतम के लिए क्या क्या करूँ कैसे उनका और अधिक शुभ कर सकूं पूरी तन्मयता से यही विचार चलते रहते हैं। प्रियतम का शुभ करने की चेष्टा जैसे जैसे बढ़ती जाती है वैसे वैसे हम असहाय होते चले जाते हैं। क्योंकि एक बन्दा जिसे हम बहुत प्यार करते हैं जिसे दुनिया की सारी खुशियां देने की आरजू पाल रखी है और वास्तव में हम उसे कुछ दे नहीं पाते क्योंकि कुछ भी करो प्रेम में कम ही रहता है।और जब मुझे इसका ज्ञान हुआ तब मैंने स्वंय को बड़ा विवश पाया मेरा अहंकार मेरे प्रेम की विवशता के सामने चकनाचूर हो गया ।
हो भी क्यों प्रेमपात्र(जिससे व्यक्ति प्रेम करता है ) के साथ व्यक्ति बिल्कुल असहाय हो जाता है। यही प्रेम की पीड़ा है कि हमें पता ही नहीं चलता कि हम क्या कर सकते हैं हम सबकुछ करना चाहेंगें अपनी प्रेमिका को पूरा ब्रम्हांड देना चाहेंगे! लेकिन हम कर क्या सकते हैं?  मैं भी तुम्हारे प्रेम में असहाय और असमर्थ हो गया हूँ मैं तुम्हारे लिए कुछ कर सकता हूँ या मैंने तुम्हारे लिए कुछ किया है मेरा ये गुमान टूट गया है इस गुमान और अहंकार के टूटने के बाद मेरे पास मात्र तुम्हारा प्रेम बचा है सुद्ध प्रेम अमर प्रेम। अतः मैं स्वयं को तुम्हे समर्पित करके तुम्हारे प्रेम को जीता हूं। तुम्हारे स्वरूप में खो जाता हूँ, तुम्हें अनवरत प्रेम करता हूँ ।
Happy navratri
I love you
I miss you
                                                        Your
                                              Patel sumit(pappu)

Friday, August 23, 2019

Happy janmashtami


मेेरे सांवरे तुझे गोकुल के सांवरे श्याम सुंदर श्री कृष्ण के जन्म दिवस की हार्दिक बधाई व दिल से ढेर सारी शुभकामनाएं।
Please accept it
              तुम्हारा
              Sumit

Thursday, August 22, 2019

जिंदगी का मक़सद ही तुम्हें प्यार करना है


अब ज़िन्दगी का मक़सद तुम्हें प्यार करना है
तुम्हारी याद में जीना है
तुमसे कोई भी शिकायत नहीं करना है
बस तुम्हारी याद में जीना है
तुम छोड़के गए कोई मज़बूरी रही होगी
तुम्हारी हर मज़बूरी का साथ निभाना है
तुम्हें मैं बहुत चाहता हूं हद से ज्यादा
तुम्हें चाहते ही जाना है
तुम्हारी याद में पल पल खोना मुझे अच्छा लगा
बस यही बात मुझे तुमको बताना है
तुम कोई भी कैसा भी फैसला लो
तुम्हारे हर फ़ैसले को सिर माथे लगाना है
तुम बहुत आगे जाना चाहती हो
कसम से तुम्हें बहुत आगे ले जाना है
तुम कोई भी अफ़सोस न करना मुझे लेकर
जो मेरी किस्मत में है मुझे वही मिलना है
तुम्हें मुझसे ज्यादा गैरों पर भरोसा है
मुझे तुम्हारे भरोसे का सम्मान करना है
माफ़ करना मग़र ये भी जरूरी है
तुम्हारे इश्क में मुझे कुछ झूठ बोलना है
मेरी दुनिया मे आग लगाने वाले बहुत खुश हैं
तुम मुझसे रूठी नहीं हो उनसे बस यही कहना है
तुम मुझसे रूठी हो तो जब तक चाहो रूठी रहना
मग़र तुम मुझसे नाराज़ नहीं हो दुनिया को यही बताना है
तुम्हारे लिए मैं कुछ भी न कर सका
बस इसी बात पर जिंदगी भर मुझे पछताना है
तुम्हें मैंने इंसान कम ख़ुदा ज्यादा माना है
तुम सुनो तुम्हे बस यही बताना है
तुम्हारे पांव की मिट्टी मांगी तो तुम्हें गलत लगा
माफ़ी चाहता हूं अभी भी उसे ही माथे लगाना है
आख़िरी बात है कि तुम्हारा पता ढूंढता हूं मैं सुमित
तुम बुरा न मानना मुझे तुमसे मिलने आना है
तुम मिल न सको कोई बात नहीं पर सुनो मेरी
तुम्हारे रस्ते पर तुम्हें देखने आना है।
तुम्हारे कदम छुए और छूने की तमन्ना अभी भी
तुम क़दम छूने देना मुझे तुमसे यही मांगना है।
मैंने सुना है तुम्हें मेरे नाम से भी चिढ़ है
मुझे वही चिढ़ अपनी आंखों से तुम्हारी आँखों मे देखना है।

Wednesday, August 14, 2019

रक्षाबंधन एवं स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।


आप जहाँ भी हैं मेरी ओर से आपको रक्षाबंधन व आज़ादी की हार्दिक शुभकामनाएं। हर दिन आपका मंगलकारी हो। आप सदा नई  नई बुलंदियों को प्राप्त करें । हर पल आपका स्मरणीय व रोमांचक हो।
                                                                 आपका
                                                                 sumit

Sunday, August 4, 2019

तुम्हारी यादें


आज यूं ही अचानक तुम्हारी यादों के संग
एक अज़ब हलचल उठी है मन मे,
दिल के एक कोने में कोई अपरचित सा डर फिर
अभी इतनी खुशी कि शायद तुमने भी मुझे याद किया है।
तुम्हारी यादों में खोकर अक़्सर मैं ख़ुद को खोने से बचा लेता हूं
तुम्हारी यादों से गुफ्तगू करता हूँ कुछ अपने भी किस्से सुना देता हूं
तन्हाई में तुम्हारी यादें गुनगुनाती हैं दिल में मेला कर जाती हैं
भरे मेले में तुम्हारी यादें कभी कभी निपट अकेला कर जाती हैं
सुनो तुम तुम्हें तुम्हारी यादों के चंद किस्से सुनाने वाला हूं
तुम्हारी तरह ये भी बड़ी प्यारी हैं
बड़ी मासूम हैं बिल्कुल तुम्हारे जैसी
मेरे हर अहसास में सांस सांस में रवां होती रहती हैं तुम्हारी यादें
मुस्कुराती हैं कभी बिल्कुल तुम्हारी तरह खिलखिलाकर हँस देती हैं तुम्हारी यादें
मैंने कई बार आँख मिलाकर देखा है ये भी उतनी ही गहरी हैं जितनी गहरी हैं तुम्हारी आँखें
इनके भी अहसास का मिठास बिल्कुल वैसा ही है जैसे मिश्री और शहद में लिपटी रहती हैं तुम्हारी बातें
एक हाथ चेहरे पे रखकर कभी कभी कुछ सोचने लग जाती हैं
लिखते लिखते दांतों से दबाकर कलम को छेड़ने लग जाती हैं
तुम्हारी यादें अक्सर मेरी उलझनों को सुलझा जाती हैं
खुद भी मुस्कराती हैं मेरे दिल को भी हसाँ जाती हैं
सावन की फुहारें जैसी तुम्हारी यादें वीरान मन को हरा भरा कर देती हैं
हाँ तुम्हारी यादें तुम्हारी आहट बनकर मेरे साथ हमेशा रहती हैं
तुम्हारी यादें मेरे जीवन की अमूल्य पूँजी हैं
तुम्हारी यादें मेरी खुशियों की कुँजी हैं
कैसे खोऊँ इन्हें तुम्हारी यादें मेरी धरोहर हैं
तुम्हारी यादें अक्सर कोई न कोई कमाल करती हैं
मेरी मोहब्बत की इबादत को मालामाल करती हैं
कोई क्या कभी समझे कि कितनी खास हैं ये
तुम्हारी अनुपस्थिति में तुम्हारा अहसास हैं ये
यादें बताती हैं तुम्हारी आँखों मे मेरा वो डूब जाना
तुम्हारे कदमों की मिट्टी को उठा माथे से लगा लेना
याद है अब भी तेरे कदमो को बहाने से स्पर्श कर लेना
तेरी मुस्काती आँखों में तेरे मन के भाव पढ़ लेना
तुम्हारी यादों ने बताया है मोहब्बत नाम है तेरा
झुकाकर सर खड़े हैं हम इबादत काम है मेरा
इसी ने तो सिखाया है तुम्हारे बिन मुझे जीना
हृदय से आंख में आये हुए अश्कों को मुझे पीना
तुम्हारी याद में मैंने टूटा कलावा जोड़ रक्खा है
तुम्हारी याद से ही रिश्ता हृदय का जोड़ रक्खा है
तुम्हारी याद के किस्से कभी भी खत्म न होंगें
रहेंगें तब भी ये जिंदा जिंदा जब हम नहीं होंगें
तेरे पलकों के मसकारे तेरी आँखों की गहराई
ग़ुलाबी होंठ वो तेरे तेरे जलवों की अंगड़ाई
चमकता चाँद सा चेहरा केशों की घटा छाई
सोने का बदन तेरा उतर नभ से परी आई
हंसी तेरी महकती सुबह का फ़ूल लगती है
रुबाई सी तेरी बातें हृदय को छूने लगती हैं
कहो कैसे तुम्हारी यादों से अब दूर जाऊंगा
इजाजत मांगता हूं अब इन्हें दिल में बसाऊंगा
इन्हीं के संग रहने दो इन्हें अपना बनाऊंगा
करूँगा शायरी इन पर इन्हें कविता बनाऊंगा।
I miss you😢😢
SUMIT

Monday, July 1, 2019



आख़िर तुम चले ही गए,
कितने दिनों से तुम्हारे आने का इंतजार था,
तुम्हें नज़र भर के देखने की आरजू बलवती हो रही थी।
हृदय एक अपरिचित हलचल से भरता जा रहा था,
इस तरह एक दिन मौसम बदला
और तुम आये भी,
इन आँखों ने दीदार भी किया
तुम्हारी एक झलक भर से मन शीतल हो गया।
रोम रोम में प्रसन्नता मुखर हो रही थी
तुम्हें रोज मिल सकता इतना नसीब वाला नहीं मग़र
मेरे लिए सबसे बड़ी नेमत यही थी कि तुम करीब हो।
और फिर वही तुम्हारी यादों का सिलसिला चलता रहा,
तुमसे मिलने को नए नए असफल प्रयास करता रहा,
ऐसे में ही एक दिन कहानी ने रुख बदल लिया अपना
तुम्हारे जाने की ख़बर मेरी नींदों पर भारी होने लगी।
अक्सर ही तुम चले जाओगे इस ख्याल से नींद टूट जाती थी,
घण्टों जेहन में तुम्हारी सूरत को निहारता गया,
चुपके चुपके मन में बस तुम्हें ही पुकारता गया।
लो वह सुबह भी आ गई जो यहां से तुम्हें ले जाएगी,
ये पागल मुझे तुम्हारी आहट से दूर न कर पाएगी।
शायद तुम्हारा भी मन उदास है कल की रात से ही,
कोई पीर खटक रही होगी मन मे जाने की बात से।
जागते सोते घण्टो विचार में डूबा होगा मन,
याद खूब आया होगा गांव में व्यतीत किया हर क्षण,
कि कल चले जायेंगे कुछ दिनों के लिए गांव से,
भरे पूरे परिवार की बरगद की छांव से।
मन किया होगा कि दादी को पुकार लूं मनुहार से,
और कहूं "अम्मा कोई कहानी सुना दो न", प्यार से।
इस तरह होते करते सुबह हो गई होगी
जाने की तैयारियां रास न आ रही होगी
भारी मन से इधर उधर आना जाना,
अपनो से दूर न जाने की इच्छा और जाने की विवशता
एक ओर अपनों का साथ दूसरी ओर कर्तव्य और जिम्मेदारी
भारी भारी आवाज को छिपाकर कहना
मम्मा सब पैक कर दिया है न कुछ छूटा तो नहीं
खाने की चीजें बहुत क्यों रखती हो
ये सब खाने का मेरा मन नहीं करता
मेरे वो कपड़े और हां वो किताब रख देना जरूरी है
फ़िर आंखों में आंसुओं को छिपाकर तैयार होना
कभी कुतूहल बस इनसे मिलना कभी उनसे मिलना
और अचानक फिर "कुछ छूटा तो नहीं",
हां सच मे बहुत कुछ छूटा जा रहा था,
बचपन के साथी शीतल सी छाया,
छोटे भाई से अनायास का लड़ना।
घर, घर का बरांडा गली आंगन,
खिड़की के पर्दे जो हवा से कभी उड़ा करते हैं,
वो फूलों की डालियाँ जिनपर फूल खिला करते हैं।
वो मिट्टी का दिया जो वर्षों से ड्योढ़ी पर जलता आया है,
कुछ दिनों के लिए माँ का आँचल छूट रहा पिता का साया है।
कुछ जहन में उठती पुरानी यादें,
खट्टे मीठे जीवन की सौगाते।
इस तरह सोच विचार करते करते,
बिना मन के थोड़ा बहुत ब्रेकफ़ास्ट करके
मन ही मन में बुदबुदाते हुए कहा होगा
चलो अब जाने का समय आ गया
सामान सारा रख दिया जाता है
अब तक जो छिपा बैठा था देर से आँख में
आखिर आपकी आंख से वो आंसू भी छलक गया होगा।
आंसुओं को पोंछकर शुभ विदा कहते हुए
सबने आगे बढ़ने की दुवा दी होगी।
अधीर मन रुआंसी आंख और कर्तव्य का बोध
मन मे रख आप भी गाड़ी पर बैठ गए होंगे।
गाड़ी आख़िर उस जगह पहुंच जाती है,
जहाँ बेसब्री से मेरी आँखें तुम्हारी राह तकती थी।
मैं छिपकर खड़ा देखता जा रहा था राह की ओर,
अचानक मुझे आती दिखी तुम हमारी ओर ओर।
शायद देखा हो तुमने सामने खड़ी थी बाइक मेरी
जान बूझकर खड़ा किया था बस तुम्हें ये बताने को,
कि मैं भी यहीं कहीं खड़ा हूँ कब से
बेक़रार होकर एक झलक तुम्हारी पाने को।
मैं झांकता रहा एक कोने से कांपता रहा मेरा शरीर,
भला तुम ही बताओ विवशता से बड़ी होती है कोई पीर।
तुम्हारे साथ प्राण तो नहीं गए पर प्राणशक्ति चली गई,
मैं अवाक निस्तब्ध हो गया मेरी हर खुशी चली गई।
मेरी जिंदगी चली गई मेरी आरजू चली गई,
मुददत की मेरी तलाश मेरी ज़ुस्तज़ू चली गई।
कभी मुस्कराकर मिली कभी मिली मुझे जो खिली खिली,
मुझसे नाराज़ थी जो इक परी मेरी वो परी चली गई।
इसे विवशता कहूं या बुझदिली तुमको सामने से निहार न सका,
बड़े क़रीब से निकल गए तुम मैं पुकार न सका।
तुम ही कहो तुम्हें पुकारने की हिम्मत मैं कैसे जुटाता,
तुम्हारे जाने से मैं ख़ुश हूं कि दुखी तुम्हें कैसे बताता।
नहीं मैं इतना भी डेरिंग नहीं कि आंसूभरके मुस्कराता।
तुम्हारे लिए क्या हूं मैं इससे कोई बड़ा फर्क़ नहीं पड़ता,
पर मेरी आंखें रोती तो शायद तुमको भी ये अच्छा नहीं लगता,
माना कि तुम्हारा दूर होना मेरे लिए ग़म की बात है,
मगर दूर जाकर आगे बढ़ना,तरक्की करना गर्व की बात है।
तुम्हारी बुलन्दी की राह में आंसू बहाता तो लानत की बात थी,
और तुम्हें दूर जाता देख आंख न भीगे तो कयामत की बात थी।
इसलिए जाओ साथी तुम्हें तुम्हारा सफ़ऱ मुबारक़ हो,
मुझे अब तुम्हारी याद के संग जीने का तरीका सीखना है।
मेरे लिए हंसने से कहीं ज्यादा अब रोना ज़रूरी है,
आंसुओ से वफ़ा की बाग़ में मोहब्बत का फूल सींचना है।
मेरी आँखों से जितनी दूर हो तुम उतना शायद आकाश भी नहीं,
और मेरे दिल के जितने करीब हो तुम उतना तो मैं खुद भी नहीं।
अच्छा चलो जाओ कर्तव्यपथ पर आगे बढ़ो
सफलता की सीढ़ियों पर सीढियां चढो।
पर ये भी याद रखना ये हक़ीक़त है
दूर जाकर भी तुम मुझमें कहीं रह ही गए।
देखो न आख़िर तुम चले ही गए।।
                   सुमित

Tuesday, June 25, 2019

इक काम मेरा तुम कर दो न।


फुर्सत में बैठे हो तो इक काम मेरा तुम कर दो न।
धड़कन में है नाम तुम्हारा तुम धड़कन मेरी पढ़ लो न।

ख़ुद ही ख़ुद का नहीं रहा, हां सच में ये खुदगर्ज़ी है,
फ़िर वही कहानी दोहराकर फिर मुझे सेल्फिश कह दो न।

इसने उसने जाने किसने क्या क्या मुझको बोला है,
मैं ऐसा वैसा कभी नहीं था जानम सबसे कह दो न।

आकर ठहरे थे कुछ दिन से आज मग़र तुम जाते हो,
जाते जाते कुछ अपनी कह दो कुछ मेरी मुझसे सुन लो न।

इस तरह बेरुखी मुझसे तेरी यूं जानम सही नहीं जाती,
हूं निर्दोष अगर तो बरी करो या सजा मुझे तुम दे दो न।

चलो कहो तुम एक कहानी जिसमें राजा रानी हो,
या तुम बिन कैसे मैं जीता हूं मुझसे मेरी सुन लो न।।

Sunday, June 23, 2019

मर्ज़ी तुम्हारी तुम जिधर जाओगे।


सुना है कि कल परसो कि नरसों में तुम चले जाओगे।
आँख से दूर सही सुमित दिल में मेरे तुम ठहर जाओगे।
तुम्हारी राहों में फ़ूल सा बिखरने का इरादा कर लिया मैंने,
इधर जाओगे कि उधर जाओगे मर्ज़ी तुम्हारी तुम जिधर जाओगे।
                                   Sumit K patel

Thursday, June 13, 2019

तुम्हारी भी दास्ताँ हूँ मैं।




कभी मुश्किल कभी आसाँ हूँ मैं।
जिंदगी तेरे हाथ का तमाशा हूँ मैं।

भटके हुए को राह दिखाकर तो देखो,
कुछ घड़ी को लगेगा कि इंसां हूँ मैं।

भूखे के हाथ में रोटी देकर वो फोटो लेता है,
इंसान बन न पाया समझता है फ़रिश्ता हूँ मैं।

मेरा लगाया शज़र मुझसे रोकर कहने लगा,
मर गया हूँ बस तुम्हारी सेल्फ़ी में जिंदा हूँ मैं।

दरिया रहम की भीख तेरी गंवारा नहीं मुझको,
तुझे किस क़तरे ने कह दिया कि प्यासा हूँ मैं।

सच को झूठ बनाने का कारोबार जोरों पर है,
और कुछ नहीं बस इसी बात से परेशां हूँ मैं।

फ़ुर्सत निकालकर मुझे पढ़ लिया करो सुमित,
कहानी अपनी ही नही,तुम्हारी भी दास्तां हूँ मैं।

Friday, May 31, 2019

शायरी तुम्हारे नाम की


                                   Sumit patel

ऐ ख़ुदा कोई तो अंजाम बख़्स मेरी मोहब्बत का,
मुझसे उनकी नाराज़गी में अब जिया नही जाता।।१


अब जब सपने में आना तो क्लीयर करके जाना,
अभी और कब तक नाराज़ रहोगे मुझपर।।२


खुले रहने दे घाव मेरे इनको मरहम से न जिंदा कर,
मेरे हमदम मेरी नज़रों में मुझे अब और न शर्मिंदा कर।।३


चलो अब पुकार लो मोहब्बत भरे लहज़े से तुम,
एक इसी उम्मीद पर ख़ुद को ज़िंदा कर रखा है।।४


उफ़्फ़ ये गर्मी और भाव खाती लाइट कुछ ज्यादा ही कटती है,
मेरे वो इस समय यहीं हैं कम्बख़्त इतना भी नही समझती है।।५


किसीको क्या मालूम कि उसने क्या कहा मुझसे,
होंठों से ज्यादा "सुमित" उसकी आँखें बोलती हैं।।६


वो मुझे भूल गया है "सुमित" ये ऐतबार कर लेता मग़र,
उसके नाम पर ही हिचकियों के रुकने का मतलब क्या है।।७

Wednesday, May 22, 2019

हां तुम ऐसे में आ जाओ।।



सांसों में ख़ुशबू बन छाओ,
अंधियारा है दीप जलाओ,
तुमको आँखें पल-पल तरसें
हाँ तुम ऐसे में आ जाओ।।

सूना मन का कोना कोना
बिन आंसू आँखों का रोना
जाने कैसे टूटा खिलौना
टूटा खिलौना सुलझा जाओ
हाँ तुम ऐसे में आ जाओ
हाँ तुम ऐसे में आ जाओ

तेरे ख्यालों का पर्वत चढ़ना
मन में एक छवि बस गढ़ना
जाने क्या क्या लिखना पढ़ना
अपने गीतों को गा जाओ
हाँ तुम ऐसे में आ जाओ।
हाँ तुम ऐसे में आ जाओ।।

सांसों में ख़ुशबू बन छाओ,
अंधियारा है दीप जलाओ,
तुमको आँखें पल-पल तरसें
हाँ तुम ऐसे में आ जाओ।।

Saturday, May 18, 2019

वक़्त भी अब


अज़ीब बात है 'सुमित' तुम कितने बदहवाश रहते हो,
जो दिल में बैठा है उसके फ़ोटो की तलाश करते हो।

Wednesday, May 15, 2019

मैन दिल को मनाया मना न सका

                       
 तेरी नजरों से नजरें मिला न सका।
एक वादा पुराना निभा न सका।

तुमसे मिलकर बताना था दिल की लगी,
तुम मिले भी मग़र मैं बता न सका।

दिल की दुनिया में छाया अंधेरा घना,
प्यार का एक दीपक जला न सका।

दिल में आया पुकारूँ तुम्हे नाम से,
लाख चाहा बुलाऊं बुला न सका।

दिल ने मिलने की तुमसे जिद ठान ली,
मैंने दिल को मनाया मना न सका।

                        Sumit patel

Saturday, March 23, 2019

मेरी होली नज़र नहीं आई।

हृदय को उमंग के रंग से भिगोतीहुई टोली नज़र नहीं आई,
अबके होली तो खूब आई मग़र मेरी होली नज़र नहीं आई।

Saturday, February 23, 2019

सर झुकाके तेरे आगे बन्दग़ी लिख दूँ।


                         Sumit patel



सर झुकाके तेरे आगे बन्दग़ी लिख दूँ।

अपनीदुनियां में तेरे प्यार की कमी लिख दूँ।

अपने गीतों में तुम्हें रोज रोज लिखता हूँ,

अब है मर्जी के तेरे नाम ज़िन्दगी लिख दूँ।।

Sunday, February 10, 2019

मेरी आँखें तुम्हारे ख़्वाब की दीवानी रहती हैं।


                                    (1)
तेरी कलाई पर लाल धागा देखकर अच्छा तो बहुत लगा मग़र,
कभी बेरुख़ी से कलावा काटकर तूने फेका था वो बात ताज़ी भी हो गई।।

                                      (2)
बीते सुहाने पल  पुराने प्यार के  मौसम नहीं होंगे।
बदलते  वक़्त में  तुम  कहीं होगे  हम  कहीं होंगे।
अबके सरस्वती पूजा का कलावा न फेक देना तुम,
बड़ा मायूस होगा वो उठाने को जब हम नहीं होंगें।।


                                      (3)
चली आया करो तुम ख़्वाब में तुमको कसम मेरी,
मेरी  आँखें  तुम्हारे  ख़्वाब  की  दीवानी रहती हैं।


                                      (4)
तुमसे शिकायत नहीं कि तुम रुठकर गये मुझसे,
मलाल तो ये है कि मुझमें कोई कमी रही होगी।
तुम बस ये बता दो भले ही मेरा दिल रखने को,
दूर जाकर तेरी आँखों में कुछ तो नमी रही होगी।।

Saturday, February 9, 2019

गाता हूँ माँ महिमा तेरी शब्दों पर अधिकार बंधा दो।


                        Sumit patel

अम्बे तेरी माया न्यारी भक्ति का संसार दिला दो।
गाता हूं माँ महिमा तेरी शब्दों पर अधिकार बंधा दो।
माया के इस मद के कारण जन जन में कटुता फैली,
सबमें प्रेम जगाकर मैया मानवता की राह दिखा दो।।

सकल चराचर बालक तेरे तुमही जग की जननी हो।
छाया बनकर छाया करती तुम ही असुर मर्दनी हो।
क्षमा दया के संग में माता साहस धीरज शौर्य जगा दो।
गाता हूं माँ महिमा तेरी शब्दों पर अधिकार बंधा दो।।

श्वेत वसन  कर माला वीणा  करती हंस सवारी माँ।
हाथ जोड़कर विनती करते सुन लो अरज़  हमारी माँ।
बुद्धि प्रदाता हे जग माता उर में ज्ञान की ज्योति जला दो।
गाता हूं माँ  महिमा तेरी  शब्दों पर अधिकार बंधा दो।।

सज़दे में सर झुकाकर इबादत की बात करते हैं।

                         Sumit patel


आओ आज फ़िर तुमसे मोहब्बत की बात करते हैं।
सज़दे में सर जुकाकर इबादत की बात करते हैं।

'मतलब','पता है' कभी जोर से तेरा 'हाँ भाई' कह देना,
मेरी यादों में बसी तेरी पुरानी आदत की बात करते हैं।

कहो सच है न! कभी तुम्हें भी हमारी फ़िकर होती थी,
ख़ुशबू से भरे उस दौर की नज़ाकत की बात करते हैं।

कितनी ख़ुशी कितना सुकून मिला है तेरी मोहब्बत में,
ये इनायत तेरी है  फिर से  इनायत की बात करते हैं।

चाँद तारों से कहीं ज्यादा मेरे लिए तुम जरूरी हो,
अपनी जिंदगी में तुम्हारी ज़रूरत की बात करते हैं।

हमें मालूम है मुझे तुम भी याद करते हो,मगर फ़िर भी,
 तेरे दिल से मोहब्बत की हिफाजत की बात करते हैं।

तुझको भूल जाने की शर्त हरगिज़ गंवारा नहीं मुझको,
अगर ये बग़ावत है तो हम बग़ावत की बात करते हैं।।

तुम अपने हो तुमसे इतनी तो नोंक-झोंक बनती है मेरी,
तुम ये न समझ लेना तुमसे शिकायत की बात करते हैं।।

Sunday, February 3, 2019

देर क्यों प्रभु।

                                    Sumit

रचना काल- 7/11/2018


हे राम एक बार फिर तुम्हारा वनवास समाप्त हुआ
हर बार की तरह फिर तुम्हारी अगवानी में दीप जलाए गए।

पटाखों और पर्यावरण की बहस जारी रही
चीनी झालर बहिष्कार के बावजूद जगमगाते रहे।

बाग़ लोगो ने रंगोली भी क्या खूब सजाई
बन्दनवारों की तरह छतों पर झालर चमकते रहे

पटाखे, मस्ताब,फुलजरियों के साथ तेज आवाज के गोले भी गरजते रहे।

एक बार आपको चौदह वर्ष का वनवास क्या मिला
हर बरस बार बार वनवास समाप्त हो ही जाता है

इतना बड़ा घोर अन्याय क्यूं कर प्रभू
माना कि आप परमात्मा हो,रावण विजेता हो
पर इसका अर्थ ये तो नहीं कि आप न्याय न करो

अपना वनवास बार बार समाप्त करो प्रभू पर
निज जन के वनवास का भी तो कुछ स्मरण करो

वह छण भी आये जब हमारा भी अज्ञातवास पूरा हो।
घर में ही नहीं प्रभु मन भी पुनः सवेरा हो।

यदि ऐसा नहीं तो हे राम मुबारक आपको आपकी दीवाली है,
आप रहो प्रकाश पुन्ज बनकर अपनी हर रात अमावश सी काली है।

माफ़ करना प्रभु ह्र्दय विदीर्ण हुआ शिकायत कर बैठा,
अंजान बन्दा हूं कोई परमात्मा नहीं हिमाकत कर बैठा।

आप ही तो कहते हैं कि खेती सूख जाये तो बारिश से क्या फायदा,
प्यास से मृत व्यक्ति को अमृत का कलश देना बेकार है।

यदि करुणा निधन हो तो करुणा करने में देर क्यों प्रभु,
आपके होते हुए भी किसी की दुनियां में अंधेर क्यों प्रभु


Saturday, February 2, 2019

तेरा ज्ञान भी मस्त हो विज्ञान भी मस्त हो

                        Sumit patel


महकती फ़िज़ाओं के आलम में,
मस्त रहे तेरा फूल सा जीवन।
मस्त हो फ़ागुन की पुरवाई तेरी,
मस्त रहे तेरा हर एक सांवन।

मस्त रहे तेरे उल्टे हाथ की लिखावट।
रहे मस्त तेरे मासूम चेहरे की बनावट।
मस्त रहे वो आँगन जहाँ तेरे कदम पड़ जाएं,
मस्त रहे हमेशा तेरी ज़िन्दगी की सजावट।।

तेरा खिलखिलाकर हंसना सदा मस्त रहे।
वो क़ातिल मुस्कान तेरी और भी मस्त रहे।
मस्त रहे तेरी नज़रों का मुझसे नाराज होना,
मुझसे दूर होकर तेरा हर एक पल मस्त रहे।।

मस्त रहे हर वो शक़्स जिसे तेरी झलक मिले।
मस्ती ही मस्ती जहाँ में तुझे दूर तलक मिले।
मस्त रहे ज़माने में मेरी जान तेरा अल्हड़पन,
मुझे भी मस्ती भरी तेरी याद की अनहलक मिले।।

तेरा आत्म गौरव स्वाभिमान मस्त हो।
जीवन की हर एक दास्तान मस्त हो।
ऐ ख़ुदा मस्त हो तेरा हर एक करिश्मा,
अंग्रेजी तो ठीक है विज्ञान भी मस्त हो।।

मेरा क्या! मेरी जान मैं भी तेरी मस्ती में मस्त रहूँ।
रात दिन तेरी सुहानी फूल सी यादों में व्यस्त रहूँ।
तुझे मनाने को क्या क्या जतन न कर डाला"सुमित"
आगे भी बस तुझको ही लिखने में अभ्यस्त रहूँ।।



Thursday, January 31, 2019

नित प्रेरणा का संगम और हर्ष दे तुम्हे।

                         Sumit patel

                 
नित प्रेरणा का संगम और हर्ष दे तुम्हें।l
जग में अनेक खुशियाँ नव वर्ष दे तुम्हें।।

सूरज की चमक संग संग चन्दा का रूप हो,
तारों से सजा आंगन अम्बर स्वरूप हो,
हो चांदनी का साया न गम की धूप हो,
अनुकृति रहे असम्भव अनुपम अनूप हो,
मान संग प्रसिद्धि उत्कर्ष दे तुम्हें।
जग में अनेक खुशियां नव वर्ष दे तुम्हें।

चितवन में बाँकपन और चेहरा ग़ुलाब हो,
फूलों को लजाता हुआ यौवन शबाब हो,
होंठों की हंसी तेरी नित लाज़वाब हो,
हो शायरी मेरी तुम शायर का ख़्वाब हो,
तन मन में दे मधुरता प्रहर्ष दे तुम्हें।
जग में अनेक खुशियां नव वर्ष दे तुम्हें।।

Sunday, January 27, 2019

तुम्हारा अहसास ही जुबाँ पर मेरे गीत बनकर आया था।

                              Patel Sumit


केवल तुम्हारी यादों में मैं रोया और गाया था।
वक़्त गणतंत्र का और मैं कितना घबराया था।

उधर जाकर नज़र भर आती थी जहाँ तुम बैठी थी पहले,
अबके तुम नहीं हो बड़ी मुश्क़िल से दिल को समझाया था।

कभी इसपर कभी उसपर हर गाने पर नचाया लोगों ने,
मैं नाचता गया बेहिचक तेरा गम मैंने लोगों से छिपाया था।

बिना तेरी तालियों के मेरा शायरी पढ़ना आसान नहीं था,
मग़र जैसे तैसे तेरी यादों में मैंने कुछ गीत भी गाया था।

मैंने महसूस किया मानो हर शायरी पर तुम मचलती हो,
तुम्हारा अहसास ही जाना जुबाँ पर गीत बनकर आया था।

Friday, January 18, 2019

जिंदगी को ज़न्नत बना गया।

Sumit patel


                                  (१)
पहली कक्षा में सुना था दुनिया गोल है,आज यकीन हो गया।
जिस मोड़ पर छोड़कर गया था कोई उसी पर आकर मिल भी गया।।

                                 (२)
ऐ जमाना सबकुछ लूट ले मत फ़िकर कर कि कंगाल हो जाऊंगा मैं,
बस मेरी मोहब्बत में दरार ना डालना हद से ज्यादा मालामाल हो जाऊंगा मैं।।

                               (३)
ख़ता हुई है मुझसे तो मुआफ़ करना मुझे मेरे हमदम,
तेरी आवाज़ सुनकर ख़ुशी से पागल जो हो गया था।
फ़िर भी नाराज़ है तो इतना बता के जाना मेरे साथी,
तुझसे थैंक यू बोलने का मेरा हक़ कब  खो गया था।।

                                (४)
किसीको तो मुबारक़बाद देना था मुझे मेरी खुशयों पर,
मेरी ख़ुशी पर दाद देने को आँख से आंसू निकल आए।।

                                   (५)
ऐ ख़ुदा तेरा करिश्मा कहूं या अपनी मोहब्बत की तड़प का असर,
बस एक पल में किसी ने ज़िन्दगी को ज़न्नत बना दिया।।

                            (६)
उनके क़दमों को लिपटकर चूम लेने की तमन्ना है,
जिन्होंने कहा था कि सब्र का फल मीठा होता है।।

                             (७)
ये जो बात है कि मारने से बचाने वाला बड़ा होता है।
सच है मग़र मन में इस कहावत पर प्रश्न खड़ा होता है।
टूटा  दिल  लेकर  जीने से  मर जाना  कहीं  बेहतर है,
बचाने वाले से ज्यादा दिल को जोड़ने वाला बड़ा होता है।।

                                (८)
वो आदमी जो किसी एक के लिए दुनिया से लड़ जाता है,
जब वही एक उससे रूठ जाए कसम से जीते जी मर जाता है। 

                                (९)
सुमित" मोहब्बत की शिददत में अब भी कुछ कमी है शायद,
वरना वो मुझसे बात करने से पहले अपना परिचय नहीं देते।।

                               (१०)
जितना देखा, सोचा, जाना मैंने तो बस तुझे ही लिखा,
अब ये किसी से न कह देना कि मेरी शायरी ख़राब है।।


Thursday, January 17, 2019

बिछड़े यार को.......मैं वचन......... आया हूँ


                         Sumit patel


उसके तन की ख़ुशबू मन में समेट के लाया हूँ।
मेरे महबूब की निंगाहों में मैं डूब के आया हूँ।

मेरे चेहरे की चमक को मत पूछ मेरे हमदम,
बिछड़े यार को बड़े करीब से देख के आया हूँ।

माना कि उससे जो कहना था,कह न सका ,
मगर कुछ फेक के और कुछ लपेट के आया हूँ।

जिसकी ख़बर के लिए शामोसहर बेख़बर रहता था,
उससे खुद ही मैं उसका हाल-चाल पूछ के आया हूँ।

उदासी,निराशा,हताशा,बेचैनी,घबराहट में फंसा था,
उसकी मुस्कान के मरहम से सारे जख्म भरके आया हूँ।

वो गुस्से में है,रूठा है कि ख़फा है मुझसे,
मैं भरम में था,भरम सारे तोड़ के आया हूँ ।

इबादत किया है इबादत ही करूंगा ये वचन है तुमसे,
ये मेरा वचन ही मैं तेरे कदमों में छोड़ के आया हूँ।


Tuesday, January 15, 2019

ऐ कलम तू......लगती है

                        Sumit patel     


कलम आज तो तू बहोत मचलती है
शब्द शब्द में ख़ुशबू पहनकर निकलती है
उछलती है नाचती महकती है शरमाती है
मैं भी हैरान हूं तू क्या बताना चाहती है
कभी शाम सुहानी लिखती है
कभी लहरों की रवानी लिखती है
कभी लिखती है आँखों में पानी
कभी परियों की कहानी लिखती है
सूरज बरफ़ है,
चन्दा धूप देगा,
पानी में आग सकेंगें,
घर नहीं राहें बुहारना है,
फूल तोड़कर सड़कों पर बिखेरना है,
पांव नहीं सर के बल चलना है,
कुछ कहना नहीं बस मौन रहना है,
कितनी बड़ी गड़बड़ी में है,
शायद तू हड़बड़ी में है,
इतराना तो ठीक मग़र मग़रूर लगती है।
ऐ कलम तू किसीके नशे में चूर लगती है।

Monday, January 14, 2019

मकर संक्रांति मंगलमय हो

                        Sumit patel     




चेहरे पर तेज़ यौवन में कान्ति हो।

महकता जीवन हृदय में शांति हो।

भविष्य में नए अवसर की क्रांति हो,

मंगलमय आपको मकर संक्रांति हो।।

मसला ये नहीं.....

                         Sumit patel.     


तन्हा ज़िन्दगी के सवालों का जवाब देखा था।
तुम्हारी आँखों में मैंने इश्क़ का सैलाब देखा था।

फ़ुरसत से मिलने की तुम्हें फ़ुरसत हो तो बताऊँ,
ख़्वाबों में भी मैंने बस तेरा ही तेरा ख़्वाब देखा था।

मेरे इश्क़ के ज़ुनून को अब जिद कहते हो,याद करो,
इसीको मैंने तेरी,तूने मेरी आँखों में बेहिसाब देखा था।

मसला ये नहीं कि तुम मुझको भूल क्यों गए"सुमित",
मसला ये है कि तुमने मुझमें क्या क्या खराब देखा था।।


Saturday, January 12, 2019

सोचता हूँ असल में मरने का तजुर्बा किया जाए।

                       SUMIT patel


अब जिंदगी कुछ इस तरह से जिया जाए।
घावों पर नमक की जगह मरहम दिया जाए।

कौन जाने ज़ख्मों को शायद भर ही डाले,
चलो वक़्त को कुछ वक़्त तो दिया जाए।

उसके बिछड़ने का गम है पर मलाल नहीं,
मुनासिब नहीं है इश्क़ पर मलाल किया जाए।

पंख पर उंगली उठाने से पहले जरूरी है,
परिंदे को उड़ने का मौका तो दिया जाए ।

तुम अगर खुश हो मुझसे दूर रहकर जीने में,
मेरे लिए जरूरी है तेरी मर्जी से जिया जाए।

सुनो! मेरे बाद मेरे सारे गीत तुम्हारे अपने होंगे,
समय आ गया है तुम्हारे नाम वसीयत किया जाए।

तुम्हारे इश्क़ में तो कई दफ़ा मर चुके हैं "सुमित",
सोचता हूं असल में मरने का तजुर्बा किया जाए।

Sunday, January 6, 2019

ये पहली साल की बारिश मुबारक़ हो तुझे हमदम।

                         Sumit patel


नये इस साल का हर पल मुबारक हो तुझे हमदम।
सुहाना सा नया मौसम मुबारक हो तुझे हमदम।
मुबारक हो तुम्हें प्यारे सुनहरा फूल सा जीवन,
ये पहली,साल की बारिश मुबारक़ हो तुझे हमदम।।

नूतन वर्ष का मौसम फुहारें साथ लाया है।
तुम्हारें साथ बीते पलों की याद लाया है ।
बड़ी उम्मीद थी तुमसे मुबारकबाद की मुझको,
तुम्ही ने है इसे भेजा मुबारक़बाद लाया है।।

गरज़ मेरी गरजकरके तुम्हें बादल सुनाता है।
मेरी आँखों के आँसू हैं ये अम्बर जो लुटाता है।
बिजली तड़पती है ज़िगर पर वार करती है,
तुम्हारी याद के किस्से मुझे मौसम सुनाता है।।

Tuesday, January 1, 2019

Happy new year to you



वक़्त को तराजू पर तोल न सका।
रिश्तों में पड़ी गांठे मैं खोल न सका।
बड़ा वाला हैप्पी न्यू ईयर हो तेरा,
ये बोलना था तुमसे मैं बोल न सका।।

अपने दिल पे उसका सवाल लिख दिया।
ज़िन्दगी में फ़िर से बवाल लिख दिया ।
आगे पढ़ो कहानी ख़तम है नहीं अभी,
उसके ही नाम हमनें नया साल लिख दिया।

तेरे बग़ैर दिल का बुरा हाल लिख दिया।
लोगों ने कहा मैंने कमाल लिख दिया।
रोने का सिला जब भी कोई पूछने लगा,
आँखों से आँसू पोछकर रुमाल लिख दिया।।

ख़ुशबू के जहां में तेरा संसार लिख दिया।
फूलों की वादियों में घर-बार लिख दिया।
उम्मीद हो विस्वास हो तुम जिद हो हमारी,
तेरे लिए ही दिल का सारा प्यार लिख दिया।।

Happy new year to you


मेरी आँखों में दिखता हो वो सच्चा हाल कह देना।
नहीं सम्भव अगर है आज तो तुम काल कह देना।
मेरी कविता को सुनने वालों तुम पर कर्ज़ है मेरा,
कभी तुमसे मिले उसको मुबारक साल कह देना।

वफ़ादारी ,भरोसे की कमाई साथ ले करके।
चले आओ नूतन वर्ष कुछ विस्वास ले करके ।
नये नम्बर से कोई कॉलआई तो लगा मुझको,
तुम्हारा फ़ोन आया है बधाई साथ ले करके ।

दिनकर उदित होकर सुबह जब व्योम में जाना।
जाना खुली छत पर वहां जाकरके रुक जाना।
सुनो सूरज मेरी जाना कभी छत पर जो आ जाए,
किरणों से बधाई दे उन्हें स्पर्श कर आना ।।

सितारे संग में लेकर वो बड़ा इतराके आया था।
चमकता चाँद मेरे पास ज़रा इठलाके आया था।
उसीसे कह दिया मुबारक़बाद मेरे यार को देना,
गगन का चाँद मेरे चाँद से शरमाके आया था।।